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    डेंगू की प्राथमिक जांच में 49 की रिपोर्ट पॉजिटिव, तीन गंभीर

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    Updated: Tue, 22 Sep 2015 01:39 AM (IST)

    वाराणसी : वायरस के संक्रमण से कराह रहे काशी विद्यापीठ ब्लाक के कोटवां गांव की टड़िया, ठकुरान व मुस्लि

    वाराणसी : वायरस के संक्रमण से कराह रहे काशी विद्यापीठ ब्लाक के कोटवां गांव की टड़िया, ठकुरान व मुस्लिम बस्ती से मंडलीय व दीनदयाल अस्पताल में भर्ती कराए गए 49 और मरीजों की डेंगू की प्राथमिक जांच पॉजिटिव पाई गई। इसके साथ ही सोमवार को यह संख्या 59 तक पहुंच गई। इससे सकते में आए स्वास्थ्य विभाग ने एलाइजा टेस्ट से पुष्टि के लिए सभी के रक्त नमूने बीएचयू स्थित सेंटीनल लैब भेज दिए। इस बीच पं. दीनदयाल अस्पताल में भर्ती तीन मरीजों की स्थिति गंभीर देखते हुए डाक्टरों ने उन्हें बीएचयू रेफर कर दिया। हालांकि विवशता जताते हुए तीनों ने वहां जाने से इनकार कर दिया।

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    इसके अलावा कोटवा की तीनों बस्तियों में दूसरे दिन भी चिकित्सा शिविर लगाकर परीक्षण के बाद 58 मरीज नगर के दो बड़े सरकारी अस्पतालों में भेजे गए। इनमें पं. दीनदयाल अस्पताल में भर्ती 45 मरीजों में 30 की एच1एस1 रिपोर्ट पाजिटिव मिली। यहां रविवार को भर्ती सभी 10 मरीजों की जांच रिपोर्ट धनात्मक थी। वहीं मंडलीय अस्पताल में सुबह ही आए 13 मरीजों में आठ तो एक दिन पहले भर्ती 20 मरीजों में 11 की रिपोर्ट डेंगू पीड़ित होने का संकेत देती मिली। फिलहाल दोनों अस्पतालों में कोटवा के 88 मरीजों का इलाज चल रहा है। बीमारियों के मामले में संवेदनशील इस गांव में बुखार व दर्द का सिलसिला एक पखवारे पहले शुरू हुआ था। दो दिन पहले जब बड़े सरकारी अस्पतालों में क्षेत्र विशेष से रोगियों की संख्या बेतहाशा बढ़ने लगी तो प्रशासन जागा और गांव की ओर दौड़ा। विशेष चिकित्सकीय आवश्यकता वाले मरीजों को एंबुलेंसों में भर कर नगर के अस्पतालों में भेजा गया। अलर्ट जारी करने के साथ पांच चिकित्सा इकाइयों में 150 बेड भी आरक्षित कर दिए गए।

    एनआरसी तक कोटवां के हवाले, परिवारीजन बच्चों को लेकर भागे

    मरीजों की भीड़ को संभालने में दोनो अस्पतालों को पसीने छूट गए। दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र के आसपास के सभी वार्ड चैंबर कोटवां को समर्पित कर दिए गए। इसके बाद भी जगह कम पड़ी तो रैनबसेरा को भी वार्ड में तब्दील कर दिया गया। इस बीच आसपास के सभी चैंबरों में डेंगू व वायरस जनित मरीजों की भीड़ देख एनआरसी में भर्ती तीनों कुपोषित बच्चों को लेकर परिवारीजन घर लौट गए। हालांकि रात में एक कुपोषित भर्ती किया गया। उधर, मंडलीय अस्पताल में सुधार की राह पर आ चुके आठ डेंगू पीड़ितों को डिस्चार्ज कर दिया गया। इसके साथ ही एक अन्य कक्ष को भी डेंगू वार्ड घोषित करना पड़ा।

    खड़ा हुआ स्टाफ का संकट

    दीनदयाल अस्पताल में एनआरसी स्टाफ ने सूई-दवा की जिम्मेदारी संभाली। स्थिति नियंत्रण से बाहर होते देख सीएमओ के निर्देश पर अस्पताल की दो नर्से आई जरूर लेकिन उनके जाते ही वह भी चल दीं। जाते-जाते सीएमओ ने मंगलवार को अपने अधीन चिकित्सा इकाइयों से तीन स्टाफ नर्स देने का भरोसा दिया।

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    गांव में ही देखे गए 342 मरीज

    गांव में घर घर बीमारों की संख्या से खुद स्वास्थ्य विभाग सांसत में हैं। अब तक इससे इनकार करते फिर रहे महकमे का खुद का दावा है कि कोटवा स्थित प्राइमरी विद्यालय, मुस्लिमपुरा इस्लामिया मदरसा व टड़िया की बड़ी मस्जिद में शिविर लगाकर 342 रोगियों का इलाज किया गया। इनमें संदेह के आधार पर 52 की मलेरिया जांच के लिए रक्त पंिट्टका बनाने के साथ किट से भी परीक्षण किया गया।

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    ढूंढे जाएंगे मच्छर, खत्म होंगे स्रोत

    इतना सब होने के बाद अब प्रशासन को एहतियात की याद आई। कूड़े-कचरे और जलजमाव वाले इस क्षेत्र में मंगलवार को मच्छरों का घनत्व मापा जाएगा। उनके आकार प्रकार के आधार पर बीमारियों की संभावना का अध्ययन भी किया जाएगा। इसके लिए सीएमओ डा. एमपी चौरसिया ने जिला मलेरिया अधिकारी, नगरीय मलेरिया अधिकारी, आधा दर्जन फील्ड वर्कर व कीट संग्रहकर्ताओं को कोटवा में डेरा डालने का निर्देश दिया गया है।

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    रात में हंगामा, पहुंचे सीएमओ

    आपात स्थिति के बाद भी दीनदयाल अस्पताल में दोपहर बाद अस्पताल ईएमओ के हवाले कर दिया गया। वार्ड में पंखे और पानी का इंतजाम भी नहीं दिखा। मरीजों के सापेक्ष उतने ही तीमारदारों के होने से भी संकट बढ़ा। दु‌र्व्यवस्था का हवाला देते हुए मरीजों के परिवारीजनों ने हंगामा कर दिया। इसकी सूचना किसी ने 100 नंबर पर और कमिश्नर को दी। इसके बाद सीएमओ पहुंचे और फिजीशियन तैनात करने का निर्देश दिया। उधर, गांव बीमारी की चपेट में आने के बाद भी अब तक सोये रहे बाहुबली पंचायत चुनाव को देखते हुए सक्रिय हो उठे। दिन भर घर-घर जाकर परिचय दिया, हालचाल और अस्पताल पहुंचकर हंगामा करने में भी साथ दिया।

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