क्षेत्र में 20 लाख तक का काम करा सकेंगे पार्षद
जागरण संवाददाता, वाराणसी : नगर निगम में सोमवार को सदन की साधारण बैठक में जोरदार हंगामा हुआ। पार्षदों
जागरण संवाददाता, वाराणसी : नगर निगम में सोमवार को सदन की साधारण बैठक में जोरदार हंगामा हुआ। पार्षदों ने अध्यक्ष रामगोपाल मोहले की कुर्सी तक पहुंच कर घेराव किया। उन्हें तानाशाह करार दिया। भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ नारेबाजी की। सदन में असलहा लाने के आरोप भी लगे, लेकिन इन सबके बावजूद अच्छी बात यह रही कि बैठक सार्थकता के साथ संपन्न हुई।
सदन में 91(2) के तहत पटल पर रखे गए पार्षदों के सभी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास तो कर दिए गए, लेकिन इसके पूर्व इसमें शामिल किए गए पार्षद डा. राजेश कुमार जायसवाल व वरुणा सिंह के प्रस्ताव 'पार्षद कोटा को 25 लाख तक कार्य कराने का अधिकार' पर जोरदार चर्चा हुई। अंत में 20 लाख रुपये तक विकास कार्य कराने के प्रस्ताव पर सहमति बनी। हालांकि सपा पार्षद इसके बाद भी हो-हल्ला मचाते रहे। उन्होंने महापौर से स्पष्टीकरण मांगा कि 20 लाख रुपये का बड़ा बजट किस मद से निर्गत किया जाएगा। सपा पार्षद विजय जायसवाल व शंकर विसनानी चाहते थे कि नगर आयुक्त डा. श्रीहरि प्रताप शाही इस मसले पर स्पष्ट जवाब दें क्योंकि उनका आरोप था कि महापौर के पास वित्तीय अधिकार नहीं होता है। चर्चा के दौरान सपा पार्षद हंगामा करने लगे। इस पर भाजपा पार्षदों ने शेष प्रस्तावों को पढ़ते हुए शोक प्रस्ताव पढ़ा। इस दौरान भाजपा राजेश यादव उर्फ छिल्लू व सत्य प्रकाश कौशिक सत्यम ने पूर्व पार्षद पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व विधायक हरिश्चंद्र श्रीवास्तव उर्फ हरीशजी व पूर्व पार्षद राजेश यादव के पिता के निधन पर शोक प्रस्ताव रखा। दो मिनट का मौन रख सदन ने श्रद्धाजंलि अर्पित की। अंत में तीन अक्टूबर तक सदन को स्थगित करते हुए महापौर ने स्पष्ट किया कि नगर निगम के आय स्रोतों को बढ़ाने के लिए लाइसेंस शुल्क पुनरीक्षित पर चर्चा अगली बैठक में की जाएगी।
संविदा सफाईकर्मियों को राहत
अधिनियम 91(1) के तहत नगर निगम की ओर से तीन प्रस्ताव आए। इनमें दो संविदाकर्मियों से जुड़े थे तो एक नगर निगम के आय वृद्धि व नगर में छुट्टा पशुओं के इंतजाम से जुड़े थे। नगर आयुक्त ने सदन को अवगत कराया कि नियम-अधिनियम के आधार पर रखे गए 698 सफाईकर्मियों को शासनादेश के तहत वेतनमान बढ़ाने का रास्ता साफ है और यह जल्द हो जाएगा, लेकिन 431 कर्मियों को तत्कालीन नगर आयुक्त के आदेश पर रखा गया था। उन्हें भी वही वेतनमान दिया जाएगा जो अन्य को दिया जा रहा है। इसकी व्यवस्था नगर निगम अपने स्त्रोतों से की जाएगी। संविदा पर रखे गए वाहन चालकों को भी इसमें शामिल करने के प्रस्ताव को सभी ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
बढ़े पशु आहार का बजट
सदन में नगर आयुक्त ने माना कि कांजी हाउस की कमी है और निगम द्वारा पशुओं को जिस गोशाला में भेजा जाता था वहां 52 लाख रुपये से ज्यादा का बकाया हो चुका है। गोशाला में पशु खुराक प्रतिदिन प्रति पशु के हिसाब से 25 रुपये है जिसे बढ़ाने की माग की गई है। प्रावधान यह किया कि गोशाला की वर्तमान वर्ष के बकाए 2,41,000 रुपये का भुगतान कर उन्हें 50 रुपये प्रति पशु रोजाना के हिसाब से खुराक का भुगतान किया जाए।
कुत्ते व बंदरों से मिलेगी निजात
अशोक मिश्र, राजेश शाहू, ओमप्रकाश चौरसिया, प्रियंका मौर्या आदि पार्षदों के प्रस्तावों में कुत्तों और बंदरों की समस्या से सदन को अवगत कराया गया। इस पर पशु चिकित्साधिकारी की ओर से बताया गया कि कुत्तों को पकड़कर दूसरी जगह नहीं छोड़ा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर दिशानिर्देश तय कर रखे हैं। ऐसे में कुत्तों का बंध्याकरण ही उपयुक्त उपाय है। महापौर ने अगली बैठक में नगर आयुक्त को यह स्पष्ट करने को कहा कि निगमों का आकलन कर समस्या समाधान की मुकम्मल योजना बनाएं। वहीं शहर से दूर 50 एकड़ में नंद गांव बसाने की योजना है जिसमें सभी प्रकार के जानवरों को रखने की व्यवस्था होगी, लेकिन अभी इसमें देरी है।
कितने घाट हैं, निगम को पता नहीं
घाटों के नामों को ¨हदी, उर्दू और अंग्रेजी में फिर से स्पष्ट लिखने का प्रस्ताव पारित हुआ। पार्षद अजीत सिंह ने घाटों की संख्या पूछी तो विभाग नहीं बता सका। आरोप लगाया कि सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई तो उसमें 70 घाट बताए गए जबकि लोग कहते हैं कि 84 घाट हैं। तभी पार्षद अमरदेव यादव ने नगर निगम प्रशासन को यह पूछ कर सकते में डाल दिया कि पहला व आखिरी घाट कौन सा है। निरुत्तर अधिकारियों का बचाव महापौर को करना पड़ा।
पानी की अवैध कंपनियां संचालित
शहर में अवैध रूप से चल रहे मिनरल वाटर कारोबार पर सवाल उठा। शिव सेठ, असलम अंसारी, अनिसुर्रहमान आदि पार्षदों ने इसके अवैध कारोबार पर रोक लगाने की मांग की। इसे लेकर उन्होंने नगर निगम की भूमिका जाननी चाही ताकि स्पष्ट हो कि विभाग के अधिकार में कार्रवाई करना है या नहीं। इसके अलावा ठेकेदारों द्वारा निजी बो¨रग कर जलकल के टैंकर से पानी बेचने का भी मुद्दा उठा। पार्षद नरसिंह दास व बृजकिशोर दास, अनिल शर्मा ने जलकल अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया। अनिल ने कहा कि पानी की बिक्री हो, इसलिए विभाग खराब पंप जल्दी नहीं बनाता। इस पर नगर आयुक्त ने भूजल अधिनियम का अध्ययन कर कार्रवाई करने का सदन को विश्वास दिलाया।
डेंगू का भय, नहीं साफ होती हौदी
सदन में डेंगू के खतरे को देखते हुए नगर निगम को दो एंबुलेंस की व्यवस्था और उसमें चिकित्सक का इंतजाम करने का प्रस्ताव दिया गया। इसके अलावा हौदी की सफाई ठेकेदार से कराने का प्रस्ताव आया। इस पर जलकल की ओर से जवाब दिया गया कि निजी हौदी सफाई ठेके में शामिल नहीं है। पार्षदों ने आपत्ति जताई कि घर के बाहर की हौदी निजी नहीं होती। इस पर जलकल ने जवाब दिया कि शासन से कर्मचारियों की माग की गई पर इसकी अनुमति नहीं मिली। महापौर ने नाराजगी जाहिर करते हुए स्पष्ट किया कि नगर आयुक्त हौदी की सफाई सुनिश्चित कराएं।
गलियों का होगा नामकरण
सदन में शहर की कुछ गलियों और पार्क के नाम विशिष्टजनों के नाम पर रखने का प्रस्ताव आया। इसका सभी ने समर्थन किया। महापौर ने कहा कि इसमें नियम का अध्ययन किया जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि कहीं वे पहले से किसी के नाम पर तो नहीं हैं। उसी के आधार पर प्रकिया आगे बढ़ेगी। प्रस्ताव में पत्थर गली को संपादक मार्ग, हरिश्चंद्र के नाम पर उनकी कालोनी का नामकरण किया जाना आदि शामिल थे।
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