तीन लाख ने लगाई संतति कामना की डुबकी
वाराणसी : भादो माह के शुक्ल पक्ष के छठें दिन शनिवार को लोलार्क षष्ठी पर संतति कामना से लगभग तीन लाख
वाराणसी : भादो माह के शुक्ल पक्ष के छठें दिन शनिवार को लोलार्क षष्ठी पर संतति कामना से लगभग तीन लाख लोगों ने लोलार्क कुंड में डुबकी लगाई। संकल्पों के साथ पति-पत्नी ने एक साथ सविधि स्नान किया। भगवान सूर्य को समर्पित इस अनुष्ठान के जरिए उम्मीद की नई किरणों को समेटा और पुराने वस्त्र आदि तक का त्याग किया। षष्ठी माता को पुष्प व श्रृंगार सामग्री अर्पित की। लोकमानस में संतति की मान्यता प्राप्त भथुआ, लौकी, कोहड़ा के साथ बेल, धतूरा या कदंब चढ़ा कर इसे आजीवन न खाने का संकल्प लिया।
विज्ञान और तकनीक के इस दौर में भी धार्मिक मान्यताओं की समृद्धि का प्रमाण ही था यह कि लोलार्क कुंड में स्नान के लिए शुक्रवार की शाम से ही कतार लग गई। हालांकि षष्ठी तिथि तो रात आठ बजे ही लग गई लेकिन श्रद्धालुओं ने अंग्रेजी कैलेंडर का भी मान रखा और रात 12 बजे के बाद डुबकी लगाने का क्रम शुरू हो गया। रात के तीसरे प्रहर तक पांडेयहवेली और दूसरी ओर अस्सी तक कतार लग गई। स्नान-ध्यान और दर्शन-पूजन विधान का दौर सप्तमी लगने से पहले शाम 5.50 बजे तक चला। इसमें तमाम ऐसे भी रहे जो मन्नतें पूरी होने पर बाजे-गाजे के साथ लोलार्क कुंड तक आए। लोलार्केश्वर महादेव मंदिर में मुंडन कराया, लाल को भी कुंड में स्नान कराया और सौगात के लिए आभार जताया। इसमें पूर्वाचल के साथ ही पश्चिम बिहार तक के श्रद्धालु थे।
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धूप व उमस से दो दर्जन अचेत
पूर्व वर्षो के स्याह अनुभवों को देखते हुए सोनारपुरा व अस्सी से लोलार्क कुंड तक बैरिकेडिंग की गई थी। इसमें होते हुए ही कुंड तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को चार -पांच घंटे तक लगे। इस कारण सुबह 10 बजे तल्ख धूप से शुरू हुआ दुश्वारियों का दौर। तपिश व उमस के कारण दो दर्जन महिलाएं गश खाकर गिर पड़ीं। डाक्टरों की टीम ने प्राथमिक उपचार किया। हालांकि सधी रणनीति के तहत कुशल व्यवस्था का असर सुकून के रूप में हर चेहरे पर दिखा।
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एहतियातन एनडीआरएफ
को कमान
पिछली दो-तीन लोलार्क षष्ठी के दौरान संकरे कुंड में स्नान के दौरान मची भगदड़ का असर रहा कि इस बार एहतियातन पूरी व्यवस्था एनडीआरएफ ने अपने हाथ में ले ली। आपदा प्रबंधन में दक्ष जवानों ने एक पुत्र या भाई की तरह कुंड में खड़े होकर लोगों को स्नान कराया। कोई अचेत हुआ या फिसल कर गिर पड़ा तो उसे कुशलता से उठाया और मंदिर के समीप बनाए गए अपने चिकित्सा कैंप में इलाज किया और स्नान विधान भी कराया। इसके लिए डिप्टी कमांडेंट अभिनंदन किशोर के नेतृत्व में 75 जवान तैनात किए गए थे जिन्होंने नजदीकी गंगा घाट पर भी मोर्चा संभाला।
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लोलार्केश्वर महादेव का श्रृंगार
षष्ठी तिथि में शुक्रवार रात लोलार्केश्वर महादेव का फूलों व वस्त्र आभूषण से श्रृंगार किया गया। पारी महंत पं. ऋषिशंकर पांडेय ने पूजन अनुष्ठान कराए। रात 12 बजे आरती उतारी और स्नान शुरू हुआ।
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हर ओर उमड़ा गजब सेवा भाव
श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस के साथ ही स्थानीयजनों ने भी सेवा का भाव दिखाया। रास्ते में जलपान करा कर सेवा सुश्रुषा की। उनकी राह आसान करने के लिए सड़क पर जल का छिड़काव किया। अपनों से जो बिछड़े उन्हें मिलवाने का जतन किया और कुंड में पट आए वस्त्र और जूते चप्पल हटाने में भी सहयोग किया।
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अघोरेश्वर पीठ में भी स्नान
और लोलार्क षष्ठी के विधान
वाराणसी : लोलार्क षष्ठी पर शिवाला स्थित क्रीं कुंड में स्नान के लिए भी श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा। पीठाधीश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम महाराज ने औघड़ संतों की समाधि का पूजन किया और आरती उतारी। इसके साथ ही पर्व के अनुष्ठान शुरू हुए। शाम तक स्नान दान का क्रम जारी रहा।
पड़ाव स्थित सर्वेश्वरी समूह परिसर में पीठाधीश्वर गुरुपद संभव राम जी ने गुरु समाधि का पूजन किया और भक्तों को आशीष दिया।
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