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    देशी बादाम की खेती से मुंह मोड़ते जा रहे किसान

    By Edited By:
    Updated: Mon, 31 Oct 2011 09:00 PM (IST)

    किसानों की मानें तो अब फायदे की खेती नहीं रही मूंगफली

    फतेहपुर चौरासी, अप्र: पिछले कई वर्षों से लगातार उत्पादन घटते रहने से किसान देशी बादाम कही जाने वाली मूंगफली की खेती से मुंह मोड़ते जा रहे हैं। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि अब इस खेती के करने से किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। काफी मेहनत करने एवं निराई, गोड़ाई आदि करने के बाद भी बीज के दाम भी नहीं निकल पा रहे हैं।

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    फतेहपुर चौरासी क्षेत्र में कुछ वर्ष पूर्व शायद ही कोई ऐसा किसान हो जो अपने खेत में मूंगफली की खेती न करता हो लेकिन इधर कुछ वर्षों से किसान इस खेती से किनारा करते नजर आ रहे हैं। अब तो स्थिति यह है कि काफी खोजने के बाद भी देशी मूंगफली खोजे नहीं मिलती है। किसान इस खेती से किनारा करने के पीछे लगातार घटते उत्पादन को ही मुख्य कारण मान रहे हैं। ग्राम नौगवां निवासी जयशंकर अवस्थी कहते हैं कि देशी मूंगफली के उत्पादन में आई गिरावट के चलते किसानों ने इस खेती में मुंह मोड़ रखा है। वह कहते हैं कि देशी मूंगफली के बाद टाइप 64 आई फिट चंदा रानी आई और उसी के बाद इसकी उपज में आई कमी से किसान इस खेती से पीछे हट गये। खैरी के रामशरण कहते हैं कि आषाढ़ माह में होने वाली मूंगफली का उत्पादन इतना घट गया कि निराई, गोड़ाई तो दूर बीज के भी पैसा वापस नहीं हो पा रहा है। अब जेठ वाली मूंगफली खाने पीने भर के लिए कर लेते हैं। जाजमऊ निवासी रामबाबू कहते हैं कि पैदावार कम हो गई इसलिए अब यह खेती नहीं करते। नील गाय और बंदर भी यह खेती नहीं होने देते। निबिहन खेड़ा के कैलाश कहते हैं कि पैदावार कम हो गई है बाढ़ का प्रकोप भी रहता है। कमलेश कहते हैं कि बीघा भर बोई थी लागत भी वापस नहीं आई तो अब हाइब्रिड मूंगफली बोते हैं लेकिन यह मूंगफली न तो उस स्वाद की है और न खाने का कोई लाभ मिलता है।

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