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    धान की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप

    By Edited By:
    Updated: Mon, 07 Sep 2015 11:17 PM (IST)

    सिद्धार्थनगर : इधर कई दिनों से बारिश न होने से वैसे ही किसान परेशान हैं, ऊपर से धान की फसल में फैल

    सिद्धार्थनगर : इधर कई दिनों से बारिश न होने से वैसे ही किसान परेशान हैं, ऊपर से धान की फसल में फैल रहे रोगों ने उनकी ¨चता को भी बढ़ा दिया है। झुलसा व तना छेदक रोग के प्रकोप से धान के उत्पादन पर भी असर पड़ने का खतरा मंडराने लगा है।

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    विकास खंड क्षेत्र के दर्जनों गांव में धान की फसल पर झुलसा रोग के प्रकोप की खबर है। धान की फसल में खासकर निचले क्षेत्रों में जहां पर्याप्त मात्रा में नमी बनी हुई है वहां शीथ झुलसा का प्रकोप हो रहा है, इसमें पौधे की निचली पत्ती तने के साथ जहां से जुड़ी होती है, उस पर भूरे धब्बे बनते दिखाई दे रहे हैं, जिससे फसल सड़ने के साथ पौधे के सूख जाने की भी शंका बनी हुई है। सांभा मंसूरी व सुगंधित धानों में जीवाणु झुलसा, गोल्डेन मंसूरी धान की प्रजाति में राइस हिस्पा व धान की फसल में ही तना छेदक रोग का प्रकोप फैलने की खबर है। तना छेदक में कीट तने में छेद करके घुस जाते हैं, और अंदर ही अंदर खाकर नुकसान कर देते हैं, जिससे बीच की पत्ती सूख जाती है। किसानों में कन्या चौधरी, रामपाल, शत्रुघन, परमेश्वर चौधरी, ईश्वरी प्रसाद मिश्रा, लवकुश, कृष्णा, राम रूप, अब्दुल हई, सई मुहम्मद आदि ने बताया कि रोग के चलते उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभाव को सोच कर नींद उड़ी हुई है। धान की सफल पर रोगों का प्रकोप होता है। जरूरत है सतर्क रहने व छिड़काव पर ध्यान देने की। शीथ झुलसा रोग का प्रकोप होने पर 2.5 ग्राम कार्बान्डजिम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें, प्रति एकड़ कम से कम 200 लीटर पानी का छिड़काव होना चाहिए। इसी तरह जीवाणु झुलसा होने पर प्रति एकड़ 6 ग्राम स्टेप्टोसाइक्लिन तथा 200 ग्राम कापरआक्सी क्लोराइड 200 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव, राइस हिप्पा का प्रकोप वाली फसलों पर क्यूनालफास 1.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से स्प्रे व तना छेदक रोग के निवारण के लिए कारटाप हाइडोक्लोराइड 4 जी का 8 किलो ग्राम प्रति एकड़ खेत में भरे पानी में उपयोग करें।