सहारनपुर के सरसावा से उड़ान भरेगा राफेल लड़ाकू विमान
जनवरी 2019 तक देश का पहला राफेल स्क्वाड्रन यानी सैनिक विमानों की टुकड़ी भी बनेगी। इस टुकड़ी में पहले चरण में 5 ट्रेनर व 12 राफेल विमान होंगे।
सहारनपुर (संजीव जैन)। सितंबर 2019 यानी 33 महीने बाद सहारनपुर मुख्यालय से 10 किमी दूर पर स्थापित सरसावा एयरबेस से अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस फ्रांस से खरीदे जाने वाले अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल उड़ान भर सकेंगे। जनवरी 2019 तक देश का पहला राफेल स्क्वाड्रन यानी सैनिक विमानों की टुकड़ी भी बनेगी। इस टुकड़ी में पहले चरण में 5 ट्रेनर व 12 राफेल विमान होंगे।
सब कुछ सही रहा तो सितंबर 2019 में सरसावा स्क्वाड्रन से राफेल विमान दुश्मन की जमीन में डीप पैनिट्रेशन यानी दूर तक वॉर करने में सक्षम साबित होगा। प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के लिए फ्रांस की कंपनी डसाल्ट एविएशन का दल सरसावा का दौरा कर चुका है। इस दौरे के बाद ही सरसावा एयरबेस को 1100 एकड़ क्षेत्र में विस्तार करने की योजना को भी ग्रीन सिग्नल मिला है।
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बीते 15 अक्टूबर को जमीन अधिग्रहण के लिए वायुसेना स्टेशन की जद में आने वाले गांवों सरसोहेड़ी, सौराना, सैदपुरा, बुढेड़ा, धौलापड़ा, सरूरपुर, अहमदपुर के प्रधानों तथा नकुड़ तहसील के प्रशासनिक अधिकारियों को स्टेशन में बुलाया गया था। यहां वायुसेना के बड़े अधिकारियों ने ग्राम प्रधानों के सामने विस्तारीकरण का खाका पेश किया।
बैठक में करीब 11 सौ एकड़ जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव रखा गया। आम सहमति के बाद इस प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय भेजा गया। अब रक्षा संपदा विभाग ने रक्षा मंत्रालय की हिदायत पर इस प्रस्ताव को ग्रीन सिग्नल दे दिया है। नियमानुसार तीन-चार महीने में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इससे पूर्व सन् 1942 में ब्रिटिश शासन में यहां शेरपुर गांव में वायुसेना अवस्थान की स्थापना की गई थी।
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जमीन अधिग्रहण के सर्वे का कार्य हुआ पूरा : एसडीएम
नकुड़ के एसडीएम शमशाद हुसैन ने बताया कि सरसावा में 11 गांव की करीब 1100 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक के बाद सर्वे का कार्य पूरा हो चुका है। सैन्य अधिकारियों ने ही बैठक व प्रशासन को संबोधित विभिन्न पत्राचार में स्पष्ट किया है कि सरसावा एयरबेस को जमीन का अधिग्रहण इसलिए करना है, क्योंकि करीब दो साल में लडाकू विमान राफेल का पहला स्कवाड्रन बनना है। फ्रांस की टीम के मुआयने की भी जानकारी सैन्य अधिकारियों ने स्थानीय प्रशासन को दी थी।
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सरसावा एयरबेस होगा मजबूत
वायुसेना की एक स्क्वाड्रन में 18 फाइटर जेट होते हैं। अभी सहारनपुर के सरसावा में सुखोई की स्क्वाड्रन हैं। सरसावा में राफेल आने के बाद एक समय में 75 प्रतिशत विमान हमेशा ऑपरेशनली तैयार रहेंगे। सुखोई में 46 प्रतिशत विमान ही तैयार रहते हैं। राफेल 24 घंटे में पांच बार उडऩे की क्षमता रखता है, जबकि सुखोई सिर्फ तीन उड़ान भर सकता है। राफेल का फ्लाइट रेडियस करीब 780-1050 किलोमीटर है। इस विमान में भारत की जरूरत के हिसाब से इस्राइल निर्मित हेलमेट पर लगे डिस्प्ले, रडार वार्निंग रिसीवर, लो बैंड जैमर, 10 घंटे की फ्लाइट डाटा रिकॉर्डिंग, इंफ्रा रेड सर्च एंड ट्रैङ्क्षकग जैसे उपकरण लगाए जाएंगे। साथ ही लेह जैसी बर्फीली जगहों पर भी स्टार्ट करने की सुविधा होगी।
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