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    ओबीसी का अस्तित्व मिटाना चाह रही सरकार : मेश्राम

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    Updated: Sat, 05 Nov 2011 10:56 PM (IST)

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    सहारनपुर : भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम ने कहा कि इस देश में जानवर और पेड़-पौधों की तो गणना होती है, मगर जातिगत आधार पर इंसान की जनगणना कराने से सरकार कतरा रही है ताकि ओबीसी का अस्तित्व मिट सके।

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    भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम शनिवार को यहां गांधी पार्क में आयोजित सभा को संबोधित कर रहे थे। कहा कि देश पर जब तक अंग्रेजों ने राज किया तब तक उन्होंने जातिगत आधार पर जनगणना कराई थी। वर्ष 1931 तक के आंकड़े इस बात के गवाह हैं। मगर जब देश में गांधी और नेहरू ने मोर्चा संभाला तो ब्राहम्णवादी सोच के कारण जातिगत आधार पर जनगणना न कराकर धर्म आधारित जनगणना कराना शुरू कर दिया और तीन फीसदी होने के बावजूद हिंदू के नाम पर बहुसंख्य हो गए। यही कारण है कार्यपालिका और न्यायपालिका पर भी तीन फीसदी लोगों का ही वर्चस्व कायम है। कहाकि सभी सियासी दलों ने साजिश कर ओबीसी को उबरने का मौका नहीं दिया। मंडल कमीशन के आंदोलन को कमंडल से कुचल दिया गया। ओबीसी अभी भी ब्राहम्णवाद के जाल में फंसा हुआ है। यही कारण है कि ओबीसी भारत मुक्ति मोर्चा के तत्वाधान में जातिगत आधार पर जनगणना कराने की मांग को एक साल से आंदोलनरत है। बिहार के सांसद कैप्टन जयनारायण निषाद ने कहा कि वह पांचवी बार बिहार से सांसद हैं और पांचों बार वह अलग-अलग पार्टी से सांसद बने हैं। इसका कारण यह है कि वह समाज के लिए काम करते हैं और ओबीसी के मामलों को सबसे ज्यादा उनके द्वारा संसद में उठाया गया है। वामन मेश्राम के साथ वह ओबीसी को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए सौ मंडलों में इस तरह की रैलियां कर रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जौहर सिंह कश्यप ने कहा कि इस देश में दो विचारधारा काम कर रही हैं। एक मनुवाद है जो अपनी बात को आसानी से अपनी मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंचा देती है। मगर एक विचारधारा हम हैं इसे ये लोग उबरने नहीं देते। सभा को बाबूराम, पूर्व जिला पंचायत चेयरमैन धर्म सिंह मोर्य, मांगेराम भारती, सेवानिवृत्त अपर जिला जज चिरंजीलाल, विक्रम सिंह सैनी, चांद सिंह कश्यप, इंजीनियर डीपी सिंह, पृथ्वी सिंह सैनी आदि ने भी मनुवाद और कांग्रेस सभी सियासी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये भी ओबीसी की जाति आधारित गिनती न कराकर उनके अस्तित्व को मिटाना चाहते हैं।

    इस मौके पर इंजी. अजित सिंह, चंद्रकिरण, अतर सिंह, नाथीराम बौद्ध, बस्तीराम, खानचंद जौहरी, हरीचंद, सुधीर कुमार, अरुण कुमार, राजेंद्र आढ़ती आदि रहे। संचालन हर्षपति ने किया।

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