सहारनपुर की खेती, अमेरिका की औषधि
बृजमोहन मोगा, सहारनपुर
गन्ना, गेहूं और धान की फसल के लिए खास पहचान रखने वाला सहारनपुर अब औषधीय खेती में भी झंडे गाड़ रहा है। दिलचस्प यह है कि यहां की औषधीय खेती से अमेरिका में कैंसर जैसे खतरनाक रोगों का गला घोंटा जा रहा है। कुछ कंपनियां कांट्रैक्ट पर औषधीय खेती करा रही हैं।
औषधीय खेती करने वाले किसानों के दिन अब बहुरने लगे हैं। ऐसे किसान अब घर बैठे ही अपनी फसल की अच्छी कीमत ले रहे हैं। इसका कारण यह है कि यहां के किसान कांट्रैक्ट फार्मिग अपना रहे हैं। कंपनियों के कहने पर किसान औषधीय खेती कर रहे हैं। ये कंपनियां उनकी फसल अमेरिका व दूसरे देशों में सप्लाई करती हैं। पहले जहां जनपद में एलोवीरा व स्टीविया की खेती की जा रही थी वहीं अब दूसरी औषधीय फसलों का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। औषधीय खेती के कारण बालपुर एवं उसके आसपास गांवों के लोगों को इससे रोजगार भी मिल रहा है। किसान को भी इसकी खेती से दोगुनी आमदनी हो रही है।
इनकी हो रही खेती
जनपद में पार्सले, ओरीगेनो, थाइम, स्पेयर मिंट, बेसिल, लीक, सेज, मारजोरम, चैरिबल, डिल व ओरी आदि फसलों की औषधीय खेती की जा रही है। लीक सेक्सवर्धक पौधा होता है। ओरीगेनो कैंसर मारक है। स्पेयर मिंट जोड़ों के दर्द में काम आता है। थाइम चने के पौधे जैसा होता है। यह खून को पतला करता है। जिले में करीब तीन हजार बीघा भूमि पर औषधीय खेती की जा रही है। बालपुर, हलालपुर, शकलापुरी, कोलागढ़, शाहपुर, कोटा व मड़की आदि गांवों में इनकी खेती हो रही है।
ऐसे होती है खेती
किसान मदनलाल सैनी के मुताबिक, फ्लैक्स फूड कंपनी द्वारा उन्हें पौध उपलब्ध कराई थी। पार्सले की खेती के बारे में बताया कि इसके पौधे कतारों में रोपे जाते हैं। इसकी बुवाई नवंबर में की जाती है। मई में इसकी कटाई की जाती है।
ऐसे हुई शुरुआत
मदन सैनी के मुताबिक, देहरादून की मैसर्स फ्लैक्स फूड कंपनी के वरिष्ठ प्रसार विद डेनमार्क निवासी जान जारगन लार्सन ने पार्सले एवं ओरीगेनो व अन्य औषधीय पौधों के उत्पादन की तकनीकी और इससे बनने वाली औषधियों के विषय में जानकारी दी। उन्होंने इससे होने वाले आर्थिक लाभ के बारे में भी बताया। उसके बाद वह 2004 से जैविक व औषधीय खेती कर रहे हैं।
इनका कहना है..
मदन सैनी पिछले 7-8 साल से औषधीय खेती कर रहा है और कंपनी के माध्यम से उसकी फसल विदेशों में जा रही है। ओरीगेनो कैंसररोधी औषधि है, स्पेयर मिंट जोड़ों के दर्द वगैरह में काम आती है। कुल मिलाकर सभी उसके यहां होने वाली सभी औषधीय पौधे स्वास्थ्यवर्धक हैं। मदन खुद तो खेती करता ही है दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहा है। कभी कभी कंपनी बाग में भी उसे लेक्चर के लिए बुलाया जाता है और मेलों में भी किसानों को जागरूक कर रहा है।
-डा. आइके कुशवाहा, सह निदेशक फसल सुरक्षा, कृषि विज्ञान केंद्र सहारनपुर ।
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