रामपुर में जिंदा बेटी का कर दिया अंतिम संस्कार
रामपुर में परिजनों ने अधजले शव को बेटी के रूप में शिनाख्त कर शव लेकर अंतिम संस्कार कर दिया।
रामपुर (जेएनएन)। दो सप्ताह से लापता बेटी को तलाश रहे परिजनों के होश उस वक्त फाख्ता हो गए थे जब पुलिस ने उन्हें एक अधजले शव की शिनाख्त के लिए बुलाया था। आज बुलाए जाने पर परिजनों उसकी पहचान अपनी बेटी के रूप में की और शव लेकर अंतिम संस्कार कर दिया। लेकिन इसके २४ घंटे के भीतर ही युवती लौट आई। इससे परिजनों के चेहरे पर खुशी तो आई लेकिन अफसोस भी कि बिटिया जिंदा है और हमने उसे मार दिया। ये गलती कैसे हो गई। आज रहमतगंज गांव में एक खेत से युवती का अधजला शव मिला था। उसकी शिनाख्त भूबरा गांव के धूप सिंह ने अपनी बेटी १७ वर्षीय राजरानी के रूप में की थी।
धूप सिंह ने बताया कि बेटी मानसिक रूप से कमजोर है। वह दो सप्ताह पहले घर से चली गई थी। इससे पहले भी वह घर से गई तो वापस मिल गई थी। तब पुलिस ने यही माना कि लापता युवती की किसी ने हत्या कर साक्ष्य मिटाने के लिए शव को जला दिया। पुलिस ने धूप सिंह की ओर से हत्या का मुकदमा दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी। परिजनों ने भी शव लापता बेटी का मानकर अंतिम संस्कार कर दिया। अब पुलिस अपनी जांच आगे बढ़ाती, उससे पहले ही कहानी में नया मोड़ आ गया। २४ घंटे बाद ही लापता युवती जीवित लौट आई। उसके पिता ने बताया कि उनके बड़े दामाद राकेश कुमार धनौरा स्वार में रहते हैं। वह दिल्ली में टेलरिंग करते हैं। दामाद गुरुवार को दिल्ली से घर आ रहे थे। मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर उन्हें बेटी मिल गई। वह उसे घर ले आए। घर पर युवती के आते ही लोगों की भीड़ लग गई। वह दिमाग से कमजोर होने के कारण कुछ बताने की स्थिति में नहीं है। पुलिस के सामने अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर वह अधजला शव किसका था? भूबरा निवासी धूप सिंह ने जब अधजले शव की पहचान अपनी बेटी राजरानी के रूप में की थी, तब उसकी पत्नी चंद्रवती ने शव को बेटी का होने से इन्कार कर दिया था। वह कहती रही कि शव उसकी बेटी का नहीं है। वह मां होने के नाते अपनी बात पर कायम रही, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी।
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