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    एनटीपीसी हादसे के उच्चस्तरीय जांच टीम को मिले अहम सुराग

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Sun, 05 Nov 2017 08:12 PM (IST)

    केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री के निर्देश पर गठित की गई उच्चस्तरीय विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय जांच टीम को शुरुआती जांच में अहम सुराग मिल गए हैं।

    एनटीपीसी हादसे के उच्चस्तरीय जांच टीम को मिले अहम सुराग

    रायबरेली (जेएनएन)। केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री के निर्देश पर गठित की गई उच्चस्तरीय विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय जांच टीम शनिवार देर रात एनटीपीसी पहुंच गयी। जांच टीम ने हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी है। टीम को शुरुआती जांच में अहम सुराग मिल गए हैं। डाटा केबल बता रहा है कि राख का रोड़ा फंसे होने के बाद भी यूनिट को दोबारा चलाया गया था।

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    छठी यूनिट में हादसे के बाद केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह ने निर्देश पर एनटीपीसी के अधिशासी निदेशक प्रचालन सेवाएं एसके राय, महाप्रबंधक अभियंत्रण समय दीप और महाप्रबंधक अभियंत्रण उदयन कुमार की टीम शनिवार रात एनटीपीसी पहुंची। यह दल एक माह में भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। टीम ने जांच की शुरुआत केबल डाटा जुटाने से की है। इसी के आधार पर पांच सौ मेगावाट की यूनिट के संचालन की स्थित की जानकारी जुटाई जाएगी। एनटीपीसी की हर यूनिट ऑनलाइन है और कोई भी यूनिट किस समय किस स्थिति में संचालित हो रही, इसका पूरा ब्योरा सुरक्षित होता है। सूत्रों के मुताबिक टीम को केबल डाटा से ही अहम सुराग हाथ लग गए हैं। पांच सौ मेगावाट की जिस यूनिट में बुधवार की शाम को हादसा हुआ है, वह एक दिन पहले भी थोड़े समय के लिए बंद हुई थी। ड्राई ऐश सिस्टम में राख अधिक जमा होने की जानकारी सबको थी और उसी राख के बने ङ्क्षक्लकर को तोड़कर निकालने की कोशिश भी हुई थी। घटना के दिन करीब 12 बजे इस यूनिट के स्वत: बंद होने का रिकार्ड भी मिला है। करीब एक बजे दोबारा यूनिट को चलाया गया था और करीब साढ़े तीन बजे हादसा हो गया। यह भी बताया जा रहा है कि बाटम ऐश हापर में काफी राख जमा होने पर उच्च अधिकारियों ने छह नंबर यूनिट के परिचालन से जुड़े एक सीनियर मैनेजर से रिपोर्ट मांगी थी। उसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यूनिट के चालू हालत में बाटम ऐश हापर से क्लिंकर को तोड़कर निकाला जा सकता है। उसी की सलाह पर यूनिट को चलाया गया था, जबकि लगभग 20 मीटर तक ऐश डंप होने का मतलब बिना यूनिट को बंद किए क्लिंकर निकालना बहुत ही जोखिम भरा काम था।