अमेठी राजघराना, भूपति भवन और विवाद
अमेठी,जागरण संवाददाता: अमेठी राजघराने का विवादों से गहरा नाता है। भूपति भवन यहां के लोगों के दिलों में बसता है। उसकी खासी गरिमा भी है। बात सियासत की हो या अमेठी में घटित होने वाली किसी भी घटना क्रम में भूपति भवन किसी न किसी रूप में चर्चा में आ ही जाता है। रियासत की हैसियत व सियासत के उतार चढ़ाव का साक्षी रहा भूपति भवन पर एक बार फिर सब की निगाहें टिक गई हैं। इस बार परिवार के आपसी टकराव का गवाह भी बन गया है भूपति भवन।
अंग्रेजों से सियासी जंग के समय भी भूपति भवन ने अपनी भूमिका का निर्वाह देश को आजादी दिलाने के लिए किया था। देश आजाद हुआ तो अमेठी में शिक्षा की अलख जगाने की कोशिशों का गवाह बनने वाले महल के रास्ते अमेठी में गांधी नेहरू परिवार के रिश्ते परवान चढ़े और 1977 से लेकर अब तक अमेठी में किसी न किसी रूप में भूपति भवन चर्चा में बना हुआ है। बताया तो यहां तक जाता है कि अंग्रेज हुकूमत के दौरान मोतीलाल नेहरू राजघराने के वकील हुआ करते थे और राजघराने ने ही खुश होकर इलाहाबाद में आनंद भवन का निर्माण कराया था। भूपति भवन का नाम जितना चर्चित है उससे कहीं ज्यादा महल खूबसूरत है। गांधी नेहरू परिवार व अमेठी राजघराने के रिश्तों के बीच मिठास व खटास का भी भूपति भवन गवाह है। पिछले कुछ दिनों से भूपति भवन को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. संजय सिंह के परिवार में तनाव बना हुआ था। शुक्रवार को जो बातें दबी थी वह सभी सामने आ गई। कुंवर अनंत विक्रम सिंह अपनी मां, बहन, पत्नी व बेटे के साथ भूपति भवन पहुंचे तो टकराव सार्वजनिक हो गया। देखते ही देखते महल के बाहर लोगों का मजमा लग गया और जो बातें कल तक लोग दबी जुबान से कर रहे थे उस पर बहस छिड़ गई। बात कुछ भी हो लेकिन हकीकत यही है कि अमेठी राजघराना भूपति भवन और विवाद ही अब एक दूसरे के पूरक बनते जा रहे हैं।