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    एनटीपीसी हादसा: रायबरेली अस्पताल में 100 और लखनऊ केजीएमयू में 50 बेड खाली कराए

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Thu, 02 Nov 2017 08:19 AM (IST)

    रायबरेली जिला अस्पताल प्रबंधन ने 4.30 बजे इमरजेंसी सायरन बजा दिया। 4.45 बजे लगभग सभी चिकित्सक व चिकित्सीय स्टाफ इमरजेंसी पहुंच गया।

    एनटीपीसी हादसा: रायबरेली अस्पताल में 100 और लखनऊ केजीएमयू में 50 बेड खाली कराए

    रायबरेली (जेएनएन)। ऊंचाहार हादसे की सूचना मिलते ही जिला अस्पताल प्रबंधन ने 4.30 बजे इमरजेंसी सायरन बजा दिया। 4.45 बजे लगभग सभी चिकित्सक व चिकित्सीय स्टाफ इमरजेंसी पहुंच गया। पांच बजे पहली एंबुलेंस से दो घायल आए। एक घंटे के भीतर मरीजों की संख्या 18 के पार हो गई। इनमें से एक की मौत भी हो गई। घायलों को भर्ती करने के लिए आननफानन एक सैकड़ा बेड खाली करा लिए गए। घायलों की हालत गंभीर देखते हुए लखनऊ केजीएमयू में भी पचास बेड़ आरक्षित करा लिए गए। निजी अस्पतालों को भी अलर्ट कर दिा गया।

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    सिमहेंस में जुटी आइएमए टीम 

    जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं दुरुस्त कराने में जुटे सीएमएस डा एनके श्रीवास्तव ने आइएमए के सेक्रेटरी डा मनीष ङ्क्षसह चौहान को घटना से अवगत कराया। जिस पर डा चौहान ने आइएमए को इसकी सूचना दी और सिमहेंस अस्पताल में 50 बेड खाली करा दिए। इससे सहूलियत रही की कुछ मरीज यहां भी भर्ती करके इलाज शुरू कर दिया गया। जिससे जिला अस्पताल पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ा। 

    98 फीसदी तक झुलसे कामगार

    जिला अस्पताल लाए गए घायलों में अधिकांश की हालत नाजुक बतायी जा रही है। सर्जन डा जेके लाल के मुताबिक इनमें से 15 घायल 90 फीसद से ज्यादा झुलसे हुए हैं। कुछ की बाडी तो 98 फीसदी तक झुलस गई, सिर्फ पैर के तलवे ही सुरक्षित बचे हैं। 

    पैरों पर खड़े हो सके सिर्फ तीन

    एंबुलेंस से अस्पताल लाए गए 18 मरीजों में से सिर्फ तीन मरीज ही एंबुलेंस से उतरने के बाद इमरजेंसी तक अपने पैरों पर चलकर पहुंचे। कुछ के शरीर में ही अंडरवियर थी, बाकी सभी नग्नावस्था में आए। बेसुध अकड़ा हुआ और खाल उधड़ा हुआ जिंदा शरीर देख वहां मौजूद लोगों की रूह कांप गई। 

    ये चिकित्सक रहे सक्रिय

    इमरजेंसी मेडिकल आफिसर डा शम्सी की ड्यूटी थी। इमरजेंसी काल पर सबसे पहले सर्जन डा जेके लाल यहां पहुंचे। फिर डा बीरबल, डा दीपेंद्र सिंह, डा धर्मेंद्र सिंह, त्वचा रोग विशेषज्ञ डा प्रभाकर मुश्तैद हो गए। स्टाफ नर्स सरोजनी भी अपनी टीम लेकर आ डटी। प्रशिक्षु नर्सों को भी आपात सेवा के लिए बुला लिया गया। सीएमएस ने बताय कि उन्होंने हादसे के संबंध में एडी स्वास्थ्य को अवगत करा दिया है ताकि लखनऊ रेफर होने वाले मरीजों को सहूलियत मिल सके। 

    कोतवाल ने संभाला माइक

    हादसे की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में नेता, समाजसेवी व आमजन इमरजेंसी पहुंच गए। एंबुलेंस आने में असुविधा न हो, इसके लिए कोतवाल नागेश मिश्र ने माइक संभाला। उन्होंने सभी लोगों से आग्रह किया कि इमरजेंसी के सामने भीड़ न लगाएं। पुलिस की मौजूदगी और चिकित्सीय स्टाफ की सक्रियता का असर दिखा और एंबुलेंस से सेकेंडों में घायलों को उतारकर उपचार के लिए ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें तुरंत नजदीक के वार्डों में भर्ती भी करा दिया गया।

    एंबुलेंस चालकों ने भी पहने दस्ताने

    इमरजेंसी में निजी एंबुलेंस के चालक भी मौजूद रहे। इन्होंने भीड़ को किनारे करने और घायलों को भर्ती कराने में महती भूमिका निभायी। अस्पताल में पहले से भर्ती मरीजों के तीमारदार भी मदद के लिए आगे आए। यही वजह रही कि घायलों को उपचार के लिए इंतजार नहीं करना पड़ा। 

    एनटीपीसी अस्पताल पहुंचा सीएचसी स्टाफ

    हादसे की सूचना मिलते ही सीएचसी ऊंचाहार की टीम एनटीपीसी अस्पताल बुला ली गई। झुलसे लोगों के लिए बेड कम पड़ गए तो फर्श पर लिटाकर ही उनका उपचार शुरू कर दिया गया। जिले से भी तीन चिकित्सकों की टीम ऊंचाहार रवाना कर दी गई। जब घायलों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी होने लगी तो उन्हें लखनऊ और रायबरेली के लिए रेफर किया जाने लगा। 

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