भारतीय रेल में है लकडी की बेंच वाला स्लीपर भी
पीलीभीत : एक तरफ रेलवे को स्मार्ट बनाने की कवायद चल रही है तो दूसरी तरफ खस्ताहाल रेलवे का चेहरा भी य
पीलीभीत : एक तरफ रेलवे को स्मार्ट बनाने की कवायद चल रही है तो दूसरी तरफ खस्ताहाल रेलवे का चेहरा भी यात्रियों से छिपा नहीं है। इन दिनों बरेली से गोंडा को जाने वाली गोकुल एक्सप्रेस में लकड़ी की सीटों वाले साधारण कोच को स्लीपर कोच के तौर पर चलाया जा रहा है। हैरत देखिए कि इस कोच में मिडिल की बर्थ न होने के बावजूद बकायदा आरक्षण सेवा भी चालू है। इससे यात्रियों के हितों को धक्का पहुंच रहा है और कई बार झड़पें भी हो रही है। साधारण कोच पर चॉक से लिख कर तत्काल ही यात्री डिब्बे को स्लीपर कोच बना दिया जाता है।
बरेली से गोंडा को जाने वाली 15315 और 15316 गोकुल एक्सप्रेस ट्रेन इन दिनों स्लीपर कोच व्यवस्था से जूझ रही है। इस ट्रेन में चार दिन तो बमुश्किल स्लीपर कोच मुहैया कराया जा रहा है पर बाकी दिनों की व्यवस्था राम भरोसे हैं। खुद रेल अफसरों को पता नहीं रहता है कि ट्रेन में आज स्लीपर कोच होगा कि नहीं। यही वजह है कि इसकी सटीक जानकारी रेलवे के यात्रियों को भी नहीं हो पाती है। हैरानी की बात यह है कि जानते हुए भी इस पूरी प्रक्रिया के अंतर्गत आरक्षण सेवा की जा रही है। लोगों को अपर बर्थ लोअर बर्थ और मिडिल बर्थ पर रिजर्वेशन दिया जा रहा है। जब यात्री पहुंचते हैं तो परेशानियां होती है और कई बार तो झड़पें भी हो चुकी हैं। ऐसे में कुछ लोगों को तो यात्रा के दौरान आने वाला अंतर मूल्य वापस कर दिया जाता पर कुछ यूं ही इस व्यवस्था को नियमित मान कर सफर करते हैं।
वर्तमान में जब यात्री ज्यादा होते हैं तो एक साधारण कोच की बजाए पूरे रैक में दो कोच पर चॉक से स्लीपर लिख कर स्लीपर कोच बना दिया जाता है। वर्तमान में पीलीभीत से गोंडा तक का आरक्षित सीट पर सफर शुल्क 280 रुपये हैं। पूरे मसले पर रेल अफसर खुद सकते में हैं। मामला खुलने पर लखनऊ से इज्जत नगर रेल मंडल तक खलबली मच गई। कोई शिकायत न होने पर मामला फेयर डिफरेंस देकर दबा दिया गया। जीआरपी एसओ एसएस भदौरिया ने बताया कि इन दिनों गोकुल एक्सप्रेस में कोच नहीं लग रहा है। यह जानकारी हमारे पास भी आई है पर मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता। वाणिज्य अधीक्षक ने बताया कि हां इन दिनों नियमित तो स्लीपर कोच नहीं लग रहा है। जरूर कही कोई दिक्कत है।
इनसेट
कुछ रैक की कमी के कारण ऐसी परेशानी आई है। पर इस बारे में सटीक जानकारी में पता करके ही बता पाऊंगा। फिलहाल ऐसी जानकारी संज्ञान में आई है।
आशीष भाटिया, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक लखनऊ मंडल
कोई स्लीपर आदि डैमेज कर प्रक्रिया चल रही है। हमारे पास लिखित में अब तक कोई शिकायत नहीं आई है। पर इसे चेक कराने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
नीलिमा सिंह, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, इज्जत नगर रेल मंडल