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    रविवार विशेष : 15 फीट ऊंचे पौधे में 25 किग्रा टमाटर

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    Updated: Sat, 05 Apr 2014 08:49 PM (IST)

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    फोटो 05 जीएनपी 01 व 02

    - महिला कर रहीं उन्नत टमाटर की खेती

    -डिप के जरिए सिचाई कर पानी की बर्बादी को भी बचाती हैं

    अखिलेश सिंह, ग्रेटर नोएडा :

    बात जब टमाटर की होती है तो एक छोटे से उसके पौधे की तस्वीर दिमाग में आती है। कोई सोच भी नहीं सकता है कि टमाटर का पौधा 15 फीट ऊंचा भी हो सकता है। इतना ऊंचा पौधा तो होता ही है, इसमें एक पौधे में 20 से 25 किलोग्राम तक टमाटर पैदा भी होता है। इतना ही नहीं, इसमें कीटनाशक व रासायनिक खाद का बिल्कुल उपयोग नहीं किया जाता है। यानी, स्वास्थ के लिहाज से भी यह टमाटर ज्यादा उपयोगी है। इस टमाटर की खेती को कर रही हैं पेशे से शिक्षक रहीं डॉक्टर उपासना सिंह।

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    स्वास्थ्य व पर्यावरण की रक्षा :

    उपासना सिंह बताती हैं कि सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद व कीट नाशकों का प्रयोग आम है। इन सब्जियों के खाने से स्वस्थ्य तन व मन और पर्यावरण दोनों पर बुरा असर पड़ता है। इसीलिए मैने जैविक खेती करने की ठानी और एल्फा सेक्टर एक में खाली पड़े एक हजार वर्ग मीटर के भूखंड को किराये पर लेकर उसमें जैविक खेती शुरू कर दी। इसमें पांच सौ वर्ग मीटर के भाग में टमाटर व बाकी हिस्से में औषधीय पौधे व अन्य सब्जियों की खेती करती हैं। मुख्य फसल टमाटर की है। इसकी पैदावार कुछ बेचती हैं तो कुछ फसल देखने आने वाले लोगों को वैसे ही खाने को दे देती हैं।

    बचपन का सपना हुआ पूरा :

    वह कहती हैं कि उन्हें बचपन से ही माटी से बेहद लगाव रहा है। वह तभी से खेती करने का मन बनाया करती थीं। मगर तब यह सपना पूरा नहीं हो सका। पति के साथ ग्रेटर नोएडा आने के बाद एक बार फिर से वह सपना जाग गया। तभी उन्होंने फैसला किया कि वह रासायनिक और कीट नाशकों वाली सब्जियों को खाने से लोगों को बचाने के लिए जैविक खेती करेंगी।

    हरी सोना व चेरी प्रजाति के टमाटर :

    पाली हाउस में हरी सोना और चेरी प्रजाति के टमाटर की खेती करती हैं। टमाटर का पौधा स्वस्थ हो और इसमें उत्पादन भी अधिक हो, पौधों में पोषक तत्वों की कमी भी नहीं होने पाए इसलिए वह खेत में उर्वरक के तौर पर गोबर की खाद और गाय मूत्र डालती हैं। पौधों की सिंचाई के दौरान पानी की बर्बादी बिल्कुल नहीं करती हैं। इसलिए उन्होंने पौधों की सिंचाई के लिए पाइप लाइन डाल रखी है। इससे पौधों की जड़ों की सिंचाई डिप के माध्यम से करती हैं।

    गमलों में की जा सकती है खेती -

    शहरों में बहुमंजिला इमारतों का चलन है। बालकनी में कुछ जगह रहती ही है। यहां गमले में टमाटर उगा सकते हैं। इससे हरियाली भी रहेगी और जरूरत की सब्जी भी।

    हरियाणा के किसानों से सीखी जैविक खेती :

    उपासना सिंह बताती हैं कि पति का दिल्ली में कारोबार है। मैं भी कालेज में शिक्षिका रही। कुछ वर्ष पूर्व रिसर्च के सिलसिले में हरियाणा गई तो वहां कुछ किसानों को जैविक खेती करते देखा था। यह तकनीक वहीं से सीखी।

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