शरई अदालत सदर ने कहा-तीन तलाक नापसंद हो तो धर्म बदल दें
शरई अदालत के सदर मौलाना इरफान ने कहा कि शरीयत का कानून में बदलाव का हक सिर्फ अल्लाह को ही है। जिन्हें तीन तलाक पसंद नहीं वह मसलक या धर्म बदल सकते हैं।

मुजफ्फरनगर (जेएनएन)। तीन तलाक व मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव की बहस के बीच शरई अदालत के सदर मौलाना इरफान ने कहा कि शरीयत का कानून अल्लाह ने बनाया है, इसमें बदलाव का हक सिर्फ अल्लाह को ही है। जिन्हें तीन तलाक पसंद नहीं वह अपना मसलक या धर्म बदल सकते हैं।
मौलाना इरफान ने कहा कि देश की पार्लियामेंट सिर्फ उस कानून में बदलाव या परिवर्तन कर सकती है, जिसे उसने बनाया हो। मुस्लिम शिया फिर्के में भी इससे अलग नियम हैं, लेकिन हमें उस पर कोई ऐतराज नहीं। दूसरे धर्मों में तलाक किस तरह दिया जाता है, यह उनका विषय है। मुस्लिम सुन्नी फिर्के के लोग उस पर ऐतराज जताते हैं तो ये उनकी परेशानी है, शरीयत की नहीं। इसलिए वह अपनी परेशानी को दूर कर सकते हैं। जिसे जिस मसलक में जो तरीका पसंद आता है वह उस मसलक या धर्म का अख्तियार कर सकता है।
जमीयत उलमा ए ङ्क्षहद के जिला सदर मौलाना जाकिर का कहना है कि तलाक के बारे में बुनियादी चीज ये है कि यह तमामतर हलाल चीजों में से सबसे अधिक नापसंद है, लेकिन यदि पति-पत्नी में बात नहीं बन रही तो एक बार तलाक देकर कुछ दिन इंतजार किया जा सकता है। दोनों में सुलह नहीं होती तो फिर तीन बार तलाक दिया जा सकता है। तीनों तलाक की एक बार में इजाजत नहीं है, लेकिन यदि एक बार में दे दिया जाता है तो मान्य है।
पर्सनल लॉ में दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं
बहराइच के मसऊदिया मिसबाहिया खसियारी मस्जिद सलारगंज में बहराइच व श्रावस्ती की तहफ्फुज-ए-शरीयत कांफ्रेंस हुई। मौलानाओं ने कहा कि शरीयत में दखलंदाजी बंद न हुई तो आंदोलन को मजबूर होंगे। कांफेंस के मुख्य अतिथि ऑल इंडिया जमात रजा-ए-मुस्ताफा बरेली शरीफ के राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने केंद्र सरकार को आगाह किया कि सरकार न्यायालय के माध्यम से मुसलमानों के पर्सनल लॉ में दखलंदाजी करना चाहती है। दारूल उलूम मुफ्ती आजम ङ्क्षहद गजाधरपुर के मौलाना अब्दुल समी खां ने कहा कि केंद्र सरकार मुलसमानों के केवल शरई और मजहबी मसलों को उजागर करके मुसलमानों को दिमागी तौर पर परेशान करना चाहती है। अब तीन तलाक समाप्त कर कामन सिविल कोड के नाम पर उन्हें डराने का काम कर रही है। कांफ्रेंस आयोजक मौलाना मुईनुद्दीन कादरी ने कहा कि ङ्क्षहदुस्तान का कानून हमें और हर एक को अपने धर्म के हिसाब से ङ्क्षजदगी गुजारने का हक देता है। उन्होंने कांफ्रेंस में आए लोगों से कहा कि यहां जो फार्म दिया जा रहा है उसे भरकर दस्तखत कर मदरसे के माध्यम या सीधे भारत के विधि आयोग को भेज दें। कांफ्रेंस को मुफ्ती शमशुद्दीन, मौलाना मुहम्मद मुसाब खां, मौलाना मुहम्मद अली मसऊदी, मौलाना इम्तियाज समेत कई लोगों ने संबोधित किया।

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