सीने पर चढ़कर काटी थी सांसों की डोर
जानसठ : कवाल में दोनों भाइयों को इतनी बेदर्दी से मौत दी गई कि देखने वालों की रूह कांप गई। जिंदगी बचाने के लिए उन्होंने पूरी जद्दोजहद की, लेकिन दर्जनों की भीड़ के सामने मजबूर हो गए। गिरने के बाद हमलावर उनके सीने पर चढ़ गए और चक्की के पाटों से तब तक प्रहार किए जब तक उनकी सांसों की आखिरी डोर नहीं टूट गई।
मौत एक कड़वा सच है, जो कहीं भी किसी रूप में प्रकट हो सकती है। लेकिन कवाल में जिस तरह दोनों भाइयों को मौत के घाट उतारा गया, वह घटना इंसानियत का भी सीना चीरती नजर आई।
प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि गोली की आवाज सुनकर जब वे चौराहे पर पहुंचे तो एक युवक खून से लथपथ मृत पड़ा था, जबकि दूसरे युवक के पीछे छह-सात लोग चाकू व ईट व पत्थर लेकर दौड़ रहे थे।
जान बचाने के लिए कभी वह गली में इधर भागता तो कभी उधर। कभी दीवार से टकराता तो कभी सड़क पर गिर जाता। बचने का जिधर रास्ता नजर आता, उधर से भीड़ हमला शुरू कर देती। अंत में उसे आरोपियों ने घेरकर नीचे गिरा लिया। एक युवक ने नारे लगाते हुए उसकी गर्दन रेत दी। अन्य लोगों ने ईट से सिर पर वार किए तो कुछ ने चाकू से उसके शरीर को गोद डाला।
कहीं जिंदा न रह जाए, इस आशंका में एक आरोपी चक्की का पाट लेकर युवक के सीने पर चढ़ गया और तब तक सिर को कुचलता रहा, जब तक उसने सांसें नहीं तोड़ दीं। एक युवक पर तो पाटों के इतने प्रहार किए गए कि उसे सीधा होने तक का मौका नहीं मिल सका। उसी अवस्था में उसके प्राण पखेरू उड़ गए।
करीब 25 मिनट चले मौत के तांडव का लाइव दर्जनों लोगों ने अपनी आंखों से देखा, लेकिन उन्मादी भीड़ के सामने बचाव में कुछ नहीं कर सके।
कपड़े दे रहे गवाही
घटनास्थल पर पड़ीं दोनों लाशें इस बात की चीख-चीखकर गवाही दे रही हैं कि कितनी बेरहमी के साथ उन्हें मौत दी गई। दोनों युवकों के पैरों में जूते-चप्पल नहीं थे। कपड़ों की दशा उनसे मौत के हाथों बचने की छटपटाहट को बयां कर रही थीं। दोनों युवकों के कपड़े बुरी तरह कीचड़ में लथपथ थे। घेराबंदी के दौरान कभी वे नाली में गिरे तो कभी सड़क पर। एक युवक के शरीर पर शर्ट नहीं थी जबकि दूसरे की शर्ट खींचतान में फट गयी थी।
ऐसे बहा लहू
घटनास्थल पर खून इस तरह बिखरा था मानो लहू नहीं, पानी हो। एक युवक का मुंह सड़क की तरफ था जबकि उसकी पूरी खोपड़ी प्रहारों से खुली पड़ी थी। इसके नीचे रक्त बह रहा था। दरअसल, इसी युवक पर चक्की के पाटों के ज्यादा प्रहार किए गए थे।
मां के सीने से चिपक गए बच्चे
नजारा देख बच्चे क्या बड़े तक कांप गए। कुछ छोटे बच्चे एक बार बाहर आए भी, लेकिन वीभत्स दृश्य देख वापस लौटे और मां के सीने से चिपक गये। घरों में मरघट जैसा सन्नाटा था और बाहर अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल।
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