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    जीका की संरचना खोज में शामिल मेरठ की देविका

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    Updated: Thu, 07 Apr 2016 02:05 AM (IST)

    मेरठ : क्रांतिधरा की कोख से निकली प्रतिभाएं हर क्षेत्र में आगे आई हैं। अब मेरठ का मान बढ़ाया है, देव

    मेरठ : क्रांतिधरा की कोख से निकली प्रतिभाएं हर क्षेत्र में आगे आई हैं। अब मेरठ का मान बढ़ाया है, देविका सिरोही ने। 'जीका वायरस' की संरचना की खोज में देविका का अहम योगदान है। वह सात वैज्ञानिकों की टीम में शामिल हैं। यही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित दुनिया भर के कई देश इस अनुसंधान को बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। माना जा रहा है कि अब भारत सहित विश्व के पांच देशों के 14 डेवलपर्स को वैक्सीन तैयार करने में मदद मिलेगी।

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    अमेरिका में शोध कर रहीं देविका

    अमेरिका की परड्यू यूनिवर्सिटी में शोध कर रहीं देविका मेरठ में सोफिया ग‌र्ल्स स्कूल और डीएमए (दयावती मोदी एकेडमी) प्रथम की छात्रा रह चुकी हैं। जीका वायरस की संरचना की खोज करने वाले सात लोगों की टीम में उनका नाम प्रमुखता से शामिल है। अनुसंधान टीम निदेशक रिचर्ड कह्न की अगुवाई में तीन प्रोफेसर और चार शोध छात्र-छात्राएं हैं।

    इस वर्ष पूरा होगा शोध

    देविका के पिता डा. एसएस सिरोही औ मां डा. रीना सिरोही बच्चा पार्क पर पैथलॉजी लैब चलाते हैं। देविका की विश्वस्तरीय इस सफलता से माता-पिता बेहद खुश हैं। देविका की मां डा. रीना बताती हैं कि वह शुरू से ही खोजी प्रवृत्ति की रही है। उसकी लगन ने ही सफलता दिलाई और उसे परड्यू यूनिवर्सिटी की ओर से डेंगू वायरस पर शोध के लिए चुना गया। डेंगू पर शोध के दौरान ही जीका वायरस वायरल होने पर इनकी टीम को जीका के संरचना की खोज में लगा दिया गया। वह पिछले पांच वर्षो से अमेरिकी यूनिवर्सिटी में शोध कर रही है। शोध इस वर्ष पूरा हो जाएगा।

    इन संस्थानों से देविका

    ने की पढ़ाई

    कक्षा 10 वीं : सोफिया ग‌र्ल्स स्कूल मेरठ

    कक्षा 12 वीं : दयावती मोदी एकेडमी प्रथम मोदीपुरम

    बीएससी (बायो केमिस्ट्री, ऑनर्स) : श्री वेंकटेश्वर कॉलेज, दिल्ली विवि

    एमएससी (3 वर्षीय, रिसर्च फेलोशिप) : टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर)

    पीएचडी (डेंगू वायरस, 5 वर्षीय) : परड्यू यूनिवर्सिटी, यूएसए

    ये है जीका वायरस

    जीका वायरस डेंगू की प्रजाति का ही माना जा रहा है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह वायरस शिशुओं के विकसित होते मस्तिष्क में एक खास तरह की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इससे मस्तिष्क में असामान्यता आ जाती है। शोधकर्ता इस वायरस व असामान्य मस्तिष्क के बीच संबंध को समझने की दिशा में कार्यरत हैं। यह एडीज मच्छरों के जरिए ही फैल रहा है। यह खास तौर पर गर्भ में पल रहे बच्चों पर असर करता है। यह वायरस ब्राजील में आक्रामक हो चुका है।

    इसी परिवार से है जीका

    शोधकर्ताओं ने जीका के उस हिस्से की पहचान भी कर ली है जो इसकी संरचना को अन्य फ्लैवीवायरसों से भिन्न करता है। जीका जिस पारिवारिक वायरस से संबंध रखता है, उसमें डेंगू, वेस्ट नाइल, येल्लो फीवर, जैपनीज इंसेफेलाइटिस व टिक बोर्न इंसेफेलाइटिस वायरस होते हैं।

    डब्ल्यूएचओ ने बताए

    सुरक्षा के ये उपाय

    जीका वायरस संक्रमण को रोकने में मच्छरों की रोकथाम को दें प्राथमिकता।

    मच्छरों से बचने हेतु पूरे शरीर को ढक कर रखें और हल्के रंग के कपड़े पहनें।

    -प्रजनन को रोकने हेतु घर के आस-पास गमले, बाल्टी, कूलर में पानी जमने न दें।

    -बुखार, गले में खरास, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होने जैसे लक्षण पर अधिकतर तरल पदार्थ लें और आराम करें।

    -जीका का टीका उपलब्ध नहीं है। किसी में लक्षण मिले तो इस स्थिति में चिकित्सकों से परामर्श जरूरी होता है।