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बदला मेरठ-दिल्ली हाईस्पीड ट्रेन का रूट

By Edited By: Published: Fri, 03 Jan 2014 02:29 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2014 02:30 AM (IST)
बदला मेरठ-दिल्ली हाईस्पीड ट्रेन का रूट

मेरठ : आखिर वही हुआ, जिसके कयास लगाए जा रहे थे। दिल्ली से मेरठ हाईस्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट पर एनएचएआइ की आपत्ति के बाद रूट बदलने पर बाकायदा एनसीआर ट्रांसपोर्ट कारपोरशन लिमिटेड (एनसीआरटीसीएल) ने ग्रीन सिग्नल दे दिया है। अब दोबारा फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार होगी, जिस पर 50 लाख का खर्च होगा। दूरी 26 किमी और लागत बढ़कर 21 हजार करोड़ रुपये हो गई है। अब यह ट्रेन हिंडन के सहारे भी दौड़ेगी। नई रिपोर्ट में यह संभावना भी तलाशी जाएगी कि हाईवे-58 का प्रयोग न हो।

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गुरुवार को दिल्ली में एनसीआरटीसीएल की बैठक में आरआरटीएस व गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट को प्रजेंटेशन हुआ। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव सी के खेतान की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस संशोधित प्रोजेक्ट को ग्रीन सिग्नल दिया गया। यूपीएनसीआर आयुक्त कल्पना अवस्थी, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण अध्यक्ष संतोष यादव, मुख्य नगर नियोजक एसके जमान व मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एस के सिंह ने भाग लिया।

ये था एनएचएआइ का तर्क

दिल्ली के निजामुद्दीन से मेरठ के पल्लवपुरम तक हाई स्पीड ट्रेन के ट्रैक का रूट एनएच-58 पर डिजाइन किया गया है। प्रोजेक्ट अनुसार एनएच-58 के बीच डिवाइडर पर करीब आठ से दस फुट चौड़ाई वाले पिलर हाई स्पीड ट्रेन के लिए ट्रैक तैयार करने होंगे, जबकि हाइवे-58 की मौजूदा चौड़ाई ही चार लेन (15.7 मीटर, जिसके बीच में ढाई फुट का डिवाइडर) है। सड़क के बीचों-बीच ढाई फुट का डिवाइडर है। अगर 10 फुट चौड़ा पिलर बनाया जाता है तो इसके बाद भी डिवाइडर पर पिलर के लिए साढ़े सात फुट जगह की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में दिक्कत आएगी।

अब ये है नया रूट

इस प्रोजेक्ट को नया रूट निजामुद्दीन से शुरू होगा, जो महाराजपुर बॉर्डर से लिंक रोड होकर मोहन नगर स्थित सेल्स ऑफिस के पास पहुंचेगा। करहेड़ा के पास से हिंडन नदी पार करके उसके सहारे राजनगर एक्सटेंशन होकर जीडीए के प्रस्तावित मास्टर प्लान रोड से मुरादनगर के पास कनेक्ट होगा। मोदीनगर व मुरादनगर में हाई स्पीड ट्रेन की दूरी एनएच-58 से करीब डेढ़ किमी दूरी निवाड़ी की तरफ होगी। यहां से परतापुर होते हुए मेरठ के बेगमपुल को पार करके पल्लवपुरम तक पहुंचेगा।

यह था पुराना प्लान

मोहननगर से मेरठ तिराहा होते हुए एनएच-58 के बीचों-बीच डिवाइडर पर पिलर बनाकर एलिवेटेड ट्रैक से मेरठ के पल्लवपुरम तक पहुंचाने का था।

फैक्ट फाइल

90 किमी थीं पुराने रूट की दूरी।

106 किमी होगी नए रूट की दूरी।

50 लाख रुपये फिजीबिलिटी रिपोर्ट पर होंगे खर्च।

15 हजार करोड़ से लागत बढ़कर हुई 21 हजार करोड़ से ज्यादा।

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