स्वाइन फ्लू से ज्यादा भयावह विभागीय रवैया
मेरठ : स्वाइन फ्लू से जिले में एक दर्जन से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई, किंतु स्वास्थ्य विभाग रोकथाम के बजाय नकारने में जुटा रहा। नर्सिग होमों में एक दर्जन से ज्यादा मरीज स्वाइन फ्लू से जूझ रहे हैं, पर विभाग के पास कोई सूचना नहीं है। दयावती नर्सिग होम में दो मरीज भर्ती हैं, जबकि विभाग नकार रहा है। कहा कि बुधवार को जाकर स्थिति का जायजा लिया जाएगा, जबकि मामला सुबह से संज्ञान में रहा।
सीएमओ ने इस बाबत करीब 15 दिन पहले रैपिड रेस्पांस टीम का गठन किया था। जिले में करीब 50 संदिग्ध मामलों की सूचना टीम को मिली, जिसमें एक भी स्थान पर वह समय से नहीं पहुंची। स्वाइन फ्लू का कहर बढ़ता गया, किंतु जिला मलेरिया अधिकारी राजेश शर्मा घटनास्थल से दूर-दूर रहे। सीएमओ को समय पर सूचनाएं नहीं दी गई। दिल्ली स्थित एनसीडीसी लैब में भेजे गए सैंपलों को लेकर भी विभाग ने परस्पर विरोधी बयान दिया। शहर में करीब एक दर्जन नर्सिग होमों में संदिग्ध मरीजों की सूचना है। लाल पैथोलॉजी एवं रेनबैक्सी लैब ने कई दर्जन सैंपल जुटाया, जबकि डीएमओ एक भी स्थान पर समय से नहीं पहुंचे। मेरठ से दिल्ली इलाज कराने गए 80 फीसदी मरीज आनंद नर्सिग में भर्ती रहे चुके थे, जबकि स्वास्थ्य विभाग इसकी पुष्टि नहीं कर सका। सेना में स्वाइन फ्लू से एक लांस नायक की मौत हुई, जिसकी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को भेजी गई, किंतु डीएमओ को पता नहीं था। उधर, दिल्ली भेजे गए 18 सैंपलों में से सोमवार तक आठ की रिपोर्ट आई, जिसके बारे में सीएमओ को नहीं सूचित किया गया। जिला अस्पताल में दो मरीजों के भर्ती एवं मृतक के परिवार के 12 सदस्यों ने जांच कराई थी, जिसकी भनक विभाग को अगले दिन लगी। हर सवाल को कल पर टालने वाले स्वास्थ्य विभाग का रवैया स्वाइन फ्लू से भी ज्यादा खतरनाक साबित हुआ है।
सीएमओ डा. अमीर सिंह का कहना है कि ज्यादातर मौतों में स्वाइन फ्लू साबित नहीं हो पाया है। विभाग की रैपिड रेस्पांस टीम ने सभी जगह पर जायजा लिया है। संक्रमित लोगों के परिजनों को टेमी फ्लू दी गई है।
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