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    एलोपैथिक दवाओं पर रोक बर्दाश्त नहीं

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    Updated: Mon, 02 Jul 2012 08:20 PM (IST)

    मऊ : आयुर्वेद व यूनानी डिग्रीधारकों पर एलोपैथिक दवाओं के उपयोग पर राज्य सरकार द्वारा रोक अविलंब समाप्त की जाए। आईएसएम ग्रेजुएट को अपनी पैथी के साथ-साथ एलोपैथिक दवाएं लिखने में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उक्त विचार हैं नीमा एसोसिएशन के संरक्षक डा.जेपी राय के। वे नीमा के तत्वावधान में प्रदेश बंद आह्नवान पर नगर के बीएएमएस व बीयूएमएस क्लिनिकों को बंद कराने के आह्वान पर उक्त विचार व्यक्त कर रहे थे।

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    इसके पूर्व सहादतपुरा से सभी चिकित्सकों का समूह डा.विजय के सिंह के नेतृत्व में सभी नीमा चिकित्सक क्लिनिक बंद कराते हुए मिर्जाहादीदपुरा तक गए। इसी क्रम में रौजा पर समूह को संबोधित करते हुए डा. शब्बीर अहमद ने कहा कि प्रदेश की तानाशाह सरकार ने नए नियम बनाकर नीमा चिकित्सकों को आक्रोशित कर दिया है। यूनानी तथा आयुर्वेद के स्नातकों को भारत सरकार सीसीआईएम के निर्देशानुसार यूनानी, आयुर्वेद के साथ-साथ मार्डन पद्धति की भी शिक्षा दी जाती है। पिछले 50 वर्षो से किसी भी सरकार ने किसी भी प्रकार की रोक नहीं लगायी परन्तु उत्तर प्रदेश सरकार ने तुगलकी फरमान जारी कर एलौपैथिक दवाओं की प्रैक्टिस पर रोक लगाने का कुत्सित प्रयास कर रही है। चिकित्सकों ने तत्काल प्रभाव से ड्रग्स एण्ड कास्मेटिक एक्ट में संशोधन कर पूर्व की भांति एलोपैथिक दवाओं के प्रयोग की अनुमति देने की मांग की। चेतावनी दी कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानेगी तो प्रदेश संगठन के निर्देशानुसार आंदोलन के लिए सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे। इस मौके पर डा.हरेन्द्र उपाध्याय, डा.एमए खान, डा.नसीरूद्दीन, डा.एसपी मौर्य, डा.खुर्शीद अनवर, डा.एके राय, डा. एचपी उपाध्याय, डा.रामगोपाल गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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