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औद्योगिक सर्किट के लिए सीमा का चिन्हांकन शुरू

जागरण संवाददाता, मथुरा: यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण एक्सप्रेस वे के सहारे अपनी जमीन रखने के मामले म

By Edited By: Published: Thu, 09 Jul 2015 12:00 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2015 12:00 AM (IST)

जागरण संवाददाता, मथुरा: यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण एक्सप्रेस वे के सहारे अपनी जमीन रखने के मामले में तीन साल विलंब से जागा है। मायावती सरकार में ही एक्सप्रेस वे के सहारे औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यटन पट्टी विकसित करने की सहमति बनी थी, लेकिन अब केंद्र सरकार के आगरा तक औद्योगिक सर्किट बनाने के एलान पर उसने सीमा चिन्हांकन के बोर्ड लगाए हैं।

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एक्सप्रेस वे प्राधिकरण द्वारा लगाए बोर्डों पर दी सूचना के अनुसार एक्सप्रेस वे के सहारे खेतों में अब निर्माण नहीं हो सकेगा। मथुरा के मांट और बल्देव विस क्षेत्र के कुल 431 गांव लिए गए हैं। पिछले महीने यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिक्षा वर्ग में सर संघचालक मोहन भागवत से मिलने आए केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ग्रेटर नोएडा से लेकर आगरा तक औद्योगिक सर्किट बनाने की घोषणा कर गए थे। उन्होंने कहा था कि जिस तरह अक्षरधाम से लेकर मथुरा तक ब्रज सर्किट तैयार होगा, उसी तरह आगरा तक एक्सप्रेस वे के सहारे औद्योगिक सर्किट बनाया जाएगा। इसकी रूपरेखा तैयार हो रही है।

उन्होंने बताया था कि मथुरा की सीमा के पास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनेगा, जो संभवत: जेवर में हो सकता है। साथ ही आगरा तक इंडस्ट्रियल पट्टी विकसित की जाएगी। यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण ने इसी योजना के तहत कदम बढ़ाते हुए सीमा विस्तार करने की जानकारी गांवों के सहारे चस्पा की है। योजना के मास्टर प्लान के मुताबिक ग्रेटर नोएडा, बुलंदशहर, हाथरस, अलीगढ़, मथुरा और आगरा तक कुल 2105 वर्ग किमी भूमि प्राधिकरण सीमा में रहेगी। प्राधिकरण ने अभी जमीन अधिग्रहण के बारे में सूचना नहीं दी है, मगर माना जा रहा है कि अगले दो साल में जमीन अधिग्रहण के साथ औद्योगिक सर्किट पर केंद्र सरकार काम शुरू करा सकती है।

किसान पसोपेश में, जबरन अधिग्रहण हुआ तो आंदोलन

सुरीर: यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण की सीमा के विस्तार को भूमि अधिग्रहण की योजना किसानों के समझ में नहीं आ रही। जमीन पर निर्माण को प्राधिकरण की मंजूरी उन्हें रास नहीं आ रही है।

गांव बदनपुर के किसान भूपेंद्र ¨सह का कहना है कि एक्सप्रेस वे प्राधिकरण द्वारा औद्योगिक विकास के बहाने जमीन अधिग्रहण की तैयारी समझ से परे है। अभी तक कोई विकास नहीं हुआ है। अब फिर भूमि अधिग्रहण से खेतीबाड़ी सिमट कर रह जाएगी। इलाका धीरे-धीरे कंक्रीट के जंगल में बदल जाएगा।

नगला फौंदा के किसान तेजवीर ¨सह का कहना है कि एक्सप्रेस वे चालू हुए तीन वर्ष हो गए, लेकिन किसानों का केवल नुकसान ही हुआ है। अब फिर विकास के बहाने न केवल जमीन अधिग्रहण की तैयारी चल रही है, बल्कि जमीन पर निर्माण में रोक लगाई जा रही है। सुरीर के किसान शिवराम शर्मा का कहना है कि एक्सप्रेस वे प्राधिकरण भूमि अधिग्रहण तो कर लेता है, लेकिन उसका समुचित लाभ किसानों को नहीं देता। खुद की जमीन पर निर्माण को प्राधिकरण का मुंह ताकना पड़ेगा।

गांव भगत नगरिया के किसान मुरारी ¨सह का कहना है कि एक्सप्रेस वे प्राधिकरण की योजना क्या है, जमीन लेकर वह किसे देना चाहता है, यह अभी साफ नहीं है।

किसान नेता रामबाबू कटेलिया का कहना है कि इलाके में औद्योगिक विकास की परियोजना अच्छी बात है, लेकिन किसानों की सहमति एवं उचित मुआवजे से ही भूमि का अधिग्रहण किया जाए। अगर जबर्दस्ती हुई तो आंदोलन किया जाएगा।

ये होंगे गांव

मांट तहसील के जावरा, मांट मूला, मांट राजा बांगर और खादर, हरनौल, भद्रवन, सुरीर कलां, भदनवारा, तेहरा, सुल्तानपुर, भीम, अरुआ, नसौठी आदि। महावन तहसील के अकोस, कंजौली, नगला अकोस, अवैरनी, रीढा, झरौठा, जटौरा, बनारसीपुर, अरतौनी, मुजाहिदपुर आदि। मथुरा सदर तहसील के भी कुछ गांव इस दायरे में लाए गए हैं।


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