भूमि अधिग्रहण से पहले सुरक्षित हो किसान का परिवार
जागरण संवाददाता, मथुरा: किसान भूमि अधिग्रहण के विरोधी नहीं हैं। किसानों ने बंजर जमीन, जहां सिंचाई के
जागरण संवाददाता, मथुरा: किसान भूमि अधिग्रहण के विरोधी नहीं हैं। किसानों ने बंजर जमीन, जहां सिंचाई के साधन नहीं है, उस जमील को पहले अधिग्रहण करने की सलाह सरकार को दी है। उचित मूल्य के साथ परिवार के सदस्य को नौकरी और परिवार को पेंशन दिए जाने का प्रावधान भूमि अधिग्रहण बिल में किए जाने की मांग भी सरकार से की है।
गांव भूतपुरा के प्रोफेसर नबाव सिंह ने बताया कि भूमि अधिग्रहण बिल में किया गया संशोधन उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है। केंद्र सरकार विकास की बात कह रही है, जब लोगों के पास धन होगा तो उनके परिवारों की भी तरक्की होगी। अधिकांश आबादी गांवों में ही बस रही है। किसान की जमीन का मूल्य उचित दिया जाए। जो जमीन अधिग्रहण करे, उस किसान के परिवार के एक सदस्य को नौकरी के साथ-साथ पेंशन दिए जाने का भी प्रावधान सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून में करना चाहिए। जिससे जमीन छिन जाने के बाद किसानों का परिवार सदैव सुरक्षित रह सके।
सुरीर के किसान धर्मेद्र सिंह ने बताया कि किसानों की भूमि की बाजार में जो कीमत मिल रही है, उस कीमत से कई गुना कम कीमत सरकार द्वारा आंकी जा रही है। किसानों के जमीन बेच देने से उनकी रोजी-रोटी भी चली जाती है या फिर उनको दूसरे स्थानों पर जाकर जमीन खरीदने पर अपने गांव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सरकार को किसानों की सहमति के बाद ही जमीन का अधिग्रहण करना चाहिए।
चौमुहां के किसान राम निवास सिसौदिया ने कहा है कि किसानों की जमीन को जबरन न लिया जाए। उनकी जमीन को उद्योग के लिए अधिग्रहीत किया जाए, उसमें किसानों की भागीदारी सुनिश्चत की जाए। इसके अलावा अन्य कार्यो के लिए अधिग्रहण की जाने वाली जमीन के मालिक के परिवार को सरकारी नौकरी दी जाए।
गांव करनपुर के किसान ब्रज किशोर शर्मा ने बताया कि किसानों के पास जमीन ही उनकी रोजी-रोटी का जरिया होती है। इसी भूमि से किसानों की कई-कई पीढ़ी पल रही हैं। अगर इसको ही जबरन छीन लिया जाए और उसके परिवार की रोजगार के इंतजाम न किए जाएं तो किसान परिवार बर्बाद हो जाएंगे। इसलिए सरकार को किसान परिवारों के हित को ध्यान में रखकर उसी की सहमति से जमीन का अधिग्रहण करना चाहिए।