डॉ. अंबेडकर थे सच्चे समाज सुधारक
मैनपुरी, भोगांव: अवंतीबाई लोधी इंटर कॉलेज में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया, जिसमें कॉलेज के सभी शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं के द्वारा डॉ. अंबेडकर के योगदान का स्मरण करते हुए नमन किया गया।
डॉ. अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर कॉलेज में आयोजित गोष्ठी में प्रधानाचार्य गोपालदास लोधी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने स्वयं को एक राजनीतिज्ञ के मुकाबले एक समाज सुधार के रूप में खड़ा करने का अधिक प्रयास किया था। तथा वह सड़ी गली व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन चाहते थे। शिक्षक आकाश कुमार ने कहा कि गोल मेज सम्मेलन के दौरान डॉ. अंबेडकर ने वंचित समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने विचार दमखम के साथ रखे थे। परंतु राजनीतिक हिस्सेदारी के सवाल पर महात्मा गांधी ने आमरण अनशन शुरू कर दिया था। तब डॉ. अंबेडकर ने इसकी परिणति पूना पैक्ट के रूप में की। मनोरमा तिवारी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर स्त्री मुक्ति के भी बड़े पैरोकार थे। उनका मानना था कि स्त्री उत्थान से ही समाज का सही विकास हो सकता है। कानून मंत्री रहते हुए उन्होंने हिन्दू औरतों की मुक्ति के दस्तावेज के रूप में हिन्दू कोर्ट बिल तैयार किया था। परंतु कांग्रेस के विरोध के चलते उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। इतिहास में यह पहली मिसाल है कि किसी व्यक्ति ने स्त्री मुक्ति के सवाल पर अपना पद छोड़ दिया। पूर्व में उपस्थित लोगों ने डॉ. अंबेडकर के चित्र पर माल्र्यापण कर उनका भावभीना स्मरण किया। गोष्ठी में रमाकांत दुवे, दिनेश चन्द्र, दर्गपाल शाक्य, अवधेश शाक्य, सतेन्द्र, किरन शाक्य, पूनम, मधु, नीतू, सुमन, सनी राजपूत, उदल सिंह, शिवनरेश पाल ने विचार व्यक्त किये।
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