अधर में लटकी 800 करोड़ की अर्जुन सहायक परियोजना
महोबा, निज प्रतिनिधि : दस साल की मशक्कत के बाद भी पानी की अहम परियोजना का काम पूरा कराने में नाकाम रही केंद्र सरकार गरीबों को भोजन की गारंटी दे मिशन 2014 पूरा करने को बेताब है। दूसरी ओर जिले में जल उपलब्धता बढ़ाने की महत्वाकांक्षी अर्जुन सहायक परियोजना अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इसके चलते अहम सवाल यह है कि जो सरकार दस साल में आठ सौ करोड़ की योजना पूरी नहीं करा सकी वह खाद्य सुरक्षा के लिए हजारों करोड़ का बजट कहां से लाएगी।
महोबा जिला बीते दो दशक से पानी की कमी से जूझ रहा है। हालात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बीते साल जिले का आधे से ज्यादा हिस्सा डार्क जोन घोषित किया गया था। वहीं 2008 में रिमोट सेंसनिंग टीम की सर्वे रिपोर्ट में भूगर्भ जल की हालत इतनी खस्ता पाई गई कि एक हजार फिट गहराई तक नलकूप लगाने योग्य पानी नहीं मिला। लिहाजा केंद्र सरकार ने केंद्रीय जल आयोग में लंबित अजुर्न सहायक परियोजना का आठ सौ करोड़ का बजट स्वीकृत कर तेजी से काम शुरू कराया। योजना बने दस और काम शुरू हुए पांच साल से अधिक हो चुके है पर समय से धन न मिल पाने से अब तक भूमि अधिगृहण का काम भी पूरा नहीं हो सका है।
पैसा न मिलने से काम ठप
मौदहा बांध निर्माण खंड के अधीक्षण अभियंता वीके गुप्ता मानते हैं कि पैसा न मिल पाने से बीते एक वर्ष से योजना का काम ठप पड़ा है। वह बताते हैं कि इस गतिरोध के चलते परियोजना लागत लगभग तीन सौ करोड़ बढ़ गई है। विभागीय तौर पर कई माह की पैरवी के बाद अगले माह तक तीन सौ करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। यह घन भी भूमि अधिगृहण में ही चला जाना है। ऐसे में योजना का काम पूरा कराने को राज्य वित्त अथवा नाबार्ड से मदद लेने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बढ़ी लागत केंद्र से लेने का प्रयास किया भी जाए तो कागजी कोरम पूरा करने में ही कम से कम दो साल का समय लग जाएगा। पानी जैसी महत्वपूर्ण योजना के प्रति केंद्र सरकार की यह बेरुखी जाहिर करती है कि वह बुंदेलखंड की सबसे कड़ी समस्या के प्रति कितनी सजग है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा बिल के जरिए गरीबों को रिझाने की सरकारी योजना पर कितना यकीन किया जा सकता है।
जनता ने बयां किया दर्द
मुख्यालय के देवेंद्र कुमार, रामसिंह, राज प्रताप सिंह, आदि कहते है केंद्र सरकार गरीबों के प्रति इतनी हमदर्द है तो पहले सभी को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने वाली योजनाओं का काम पूरा करे। समझना चाहिए कि लोग खाने की जुगाड़ तो जैसे तैसे कर लेंगे पर पानी ही नहीं होगा तो जीवन कैसे संभव है।
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