मोदी के मन की बात ने बढ़ाई रेडियो की चाह
कुशीनगर : ये आकाशवाणी है, थोड़ी ही देर में आप समाचार सुनेंगे। नब्बे के दशक तक हर घरों में रेडियो की स
कुशीनगर : ये आकाशवाणी है, थोड़ी ही देर में आप समाचार सुनेंगे। नब्बे के दशक तक हर घरों में रेडियो की सुनाई देने वाली यह आवाज संचार के आधुनिक साधनों के बीच कहीं गुम सी हो गई थी। दूरदर्शन व मोबाइल के बढ़ते प्रभाव ने तो इसकी उपयोगिता पर ही बड़ा संकट खड़ा कर दिया, पर स्थितियां अब बदल रही हैं। हाल के दिनों में जहां लोगों में रेडियो की चाह बढ़ी है, वहीं इसकी बिक्री भी तेज हुई है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक कोशिश ने अब रेडियो की लोकप्रियता बढ़ा दी है। रेडियो के जरिए लोगों से अपने मन की बात की उनकी पहल का असर हुआ है और अब रेडियो फिर से आमजन व घरों तक पहुंचने लगा है। आधुनिक दौर में गुजरे जमाने की बात बनी रेडियो की मांग करते फिर लोग माग दिख रहे हैं। दुकानों पर भी अब रेडियो की संख्या बढ़ने लगी है। मतलब हमारा पुराना रेडियो अब मोदी के मन की बात के जरिए बाजार व लोगों के मन को भा रहा है।
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अक्टूबर में हुई थी शुरुआत
- देश के नागरिकों से संवाद स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो के जरिए मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत की थी। बीते तीन अक्टूबर को सुबह 11 बजे मन की बात का शुभारंभ करते हुए अपने 15 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने लोगों से खादी अपनाने पर जोर दिया था। इसी तरह दो नवंबर को आयोजित मन की बात में मोदी ने काला धन पर अपनी बात सुनाई थी।
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अबकी नशा पर होगी बात
- दिसंबर में आयोजित होने वाले मन की बात कार्यक्रम में देश में तेजी से बढ़ती नशाखोरी पर प्रधानमंत्री का संबोधन होगा। पिछले कार्यक्रम में नशे की चपेट में आने वाली युवा पीढ़ी से नशामुक्त जीवन अपनाने का आह्वान करते हुए इस मुद्दे पर मोदी ने लोगों से सुझाव भी मांगा है।
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बढ़ी है मांग
- मन की बात कार्यक्रम शुरू होने के बाद रेडियो की मांग बढ़ी है। नगर के सिनेमाहाल रोड स्थित रेडियो दुकानदार विनय जायसवाल कहते हैं कि बीते एक माह में उनके दुकान से 55 रेडियो की बिक्री हुई है। जो विगत कई वर्षो की अपेक्षा सर्वाधिक है। दुकानदार चंद्रभूषण वर्मा कहते हैं कि रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम मन की बात के चलते रेडियो व्यवसाय में तेजी आई है।
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आम जन से जुड़ा है रेडियो
- समाजशास्त्री डा.विवेक पांडेय कहते हैं कि संचार के विभिन्न संसाधनों के बाद भी रेडियो आमजन के बीच संवाद स्थापित करने का सबसे सुलभ व सहज माध्यम है। किसानों की समस्या हो या फिर सीमा पर तैनात जवानों के मनोरंजन की बात। सभी जरूरतों पर रेडियो की सबके बीच सहभागिता बनी रही। यही कारण है कि गांवों के देश भारत के प्रधानमंत्री ने भी जनता से संवाद का माध्यम रेडियो ही चुना। ताकि तमाम झंझावात के बाद भी उनकी बात सहज ढंग से जनता तक पहुंच सके।