सीएम बनने के बाद तीसरी बार अयोध्या में होंगे योगी आदित्यनाथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में काशी को अपनाया और अब सीएम योगी आदित्यनाथ अयोध्या अपनाते जा रहे हैं। ...और पढ़ें

लखनऊ (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में काशी को अपनाया और अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या को अपनाते जा रहे हैं। इससे रामनगरी वाली खुश हैं। मुख्यमंत्री का अयोध्या से गहन सरोकार रहा है। वह नाथ संप्रदाय के विरक्त आचार्यों की गोरक्षपीठ के अधिपति हैं। वैराग्य लेने वाले संतों की नगरी से जुड़ाव उनकी विरासत में है।
उनके बाबागुरु और तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर दिग्विजय नाथ 22-23 दिसंबर 1949 की रात रामजन्मभूमि पर रामलला के प्राकट्य प्रसंग के शिल्पी रहे हैं। कालांतर में मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष के रूप में प्रतिष्ठित रामचंद्रदास परमहंस अयोध्या में दिग्विजय नाथ के दूत जैसे रहे। सीएम योगी के गुरु महंत अवैद्यनाथ ने अयोध्या से गोरक्षपीठ के जुड़ाव की विरासत आगे बढ़ाई। रामचंद्रदास परमहंस उनके मित्रों में रहे और परमहंस की तरह वह भी मंदिर आंदोलन के किरदार रहे। परमहंस से भेंट और मंदिर आंदोलन में भूमिका के चलते उनका साल-छह माह में अयोध्या आगमन होता रहा।
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योगी की अगवानी की सारी तैयारियां पूरीं
अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रमों की समीक्षा में अधिकारियों को अगले दो-तीन दिनों में सारी तैयारियां पूर्ण करने का निर्देश दिया। इसके लिए सभी अधिकारियों को पूर्वाभ्यास की हिदायद दी गई है। कार्यक्रमों के दौरान संपूर्ण अयोध्या क्षेत्र विशेषकर रामकीपैड़ी, नयाघाट, रामकथापार्क,अयोध्या हेरिटेज वाक मार्ग आदि क्षेत्रों में साफ-सफाई पर विशेष जोर दिया गया है। हेरिटेज वाक प्रात: साढ़े नौ बजे कंचनभवन मंदिर से शुरू होकर नागेश्वरनाथ मंदिर तक जाएगी। वाक में मुख्यमंत्री शामिल होंगे। अपराह्न दो बजे से चार बजे के बीच राम के अयोध्या आगमन को दर्शाते हुए शोभायात्रा साकेत महाविद्यालय से रामकथा पार्क पहुंचेगी। अपराह्न चार बजे राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री व अन्य गणमान्य अतिथियों का रामकथा पार्क में आगमन होगा। राम का प्रतीकात्मक राज्याभिषेक के साथ मुख्यमंत्री रामकथा पार्क से ही विकास कार्यों का शिलान्यास करेंगे। यहीं राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री का उद्बोधन प्रस्तावित है। सायं छह से सात तक दीपोत्सव का आकर्षण सरयू तट की ओर उन्मुख होगा। नयाघाट पर सात बजे से साढ़े सात बजे तक सरयू नदी में लेजर-शो के माध्यम से रामकथा का प्रदर्शन होना है।
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ढाई दशक से योगी आदित्यनाथ का आना-जाना
ढाई दशक पूर्व गुरु के साथ योगी आदित्यनाथ का भी अयोध्या आगमन होने लगा। योगी से परमहंस गुरु की ही तरह आदर पाते रहे तो उन्हें शिष्य का स्नेह देते रहे। 31 जुलाई, 2003 को परमहंस के साकेतवास एवं कुछ वर्ष पूर्व गुरु अवैद्यनाथ के साकेतवास के बाद भी योगी का रामनगरी से जुड़ाव बरकरार रहा। योगी हिंदुत्व और राम मंदिर के प्रबल पैरोकार की भूमिका में अयोध्या की नुमाइंदगी करते रहे हैं। यह देखना रोचक है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने अयोध्या से रिश्ते को किस प्रकार आगे बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी बुधवार को तीसरी बार रामनगरी आ रहे हैं। पहली बार वे 30 मई को अयोध्या आए रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं शीर्ष पीठ मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास के जन्मोत्सव में हिस्सा लेने। नृत्यगोपालदास को जन्मदिन की शुभकामना देने के साथ मुख्यमंत्री ने जहां संतसमाज और राममंदिर के प्रति सरोकार की छाप छोड़ी, वहीं रामनगरी के लिए साढ़े तीन सौ करोड़ की विकास योजनाओं का एलान किया। पहली अयोध्या यात्रा से पूर्व ही रामनगरी को नगर निगम का दर्जा दे उन्होंने अपने रुख का इजहार कर दिया था। दूसरी बार मुख्यमंत्री 26 जुलाई को परमहंस की 14वीं पुण्यतिथि में हिस्सा लेने आए और एहसास कराया कि मंदिर आंदोलन के अग्रणी संत का स्मृति-पर्व उनकी प्राथमिकताओं में है। केंद्र एवं प्रदेश सरकार की विकास योजनाओं के क्रियांवयन एवं बुधवार को प्रदेश सरकार के संरक्षण में आसन्न दीपोत्सव से प्रतीत होने लगा है कि अयोध्या विश्व पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित होने से बहुत दूर नहीं रह गई है। रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य एवं पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती के अनुसार इसमें कोई शक नहीं कि योगी के मुख्यमंत्री बनने से अयोध्या की अपार संभावनाएं भी प्रशस्त हुई हैं।

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