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    विद्या बालन पहुंची भोली भाली आदिवासी महिलाओं के बीच

    By Edited By:
    Updated: Mon, 23 Sep 2013 01:20 AM (IST)

    लखनऊ। 'मुझे पहचानती हैं। ..हां आप फिलम वाली विद्या बालन हैं। आप लोगों ने मेरी कोई पि

    लखनऊ। 'मुझे पहचानती हैं। ..हां आप फिलम वाली विद्या बालन हैं। आप लोगों ने मेरी कोई पिक्चर देखी है। हां, कौन सी..उलाला।' ये संवाद हैं फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन और नक्सल प्रभावित मीरजापुर में पड़री क्षेत्र के थानापुर गांव की भोली-भोली आदिवासी महिलाओं के बीच।

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    रविवार को एक संस्था के कार्यक्रम में यहां आई बालन ने खुलकर इन महिलाओं से बातचीत की। कोई लटका न झटका, न ही कोई नाज नखरा। फिल्मी ग्लैमर से दूर बेहद सादगी भरे माहौल में पीले रंग की गोटेदार साड़ी पहने विद्या चिलचिलाती धूप में पेड़ के नीचे लगभग बीस मिनट तक एक शिक्षिका की भूमिका में महिलाओं से सवाल जवाब करती रहीं। महिलाएं भी उन्हें अपने बीच पाकर निहाल थीं। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक धन संचय करिए। बच्चों को शिक्षित बनाने पर जोर दिया। कहा कि शिक्षित व्यक्ति ही देश व समाज का भला कर सकता है। वे जागरूक हों और समूह में रहकर अपना विकास करें। उन्होंने महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की सुशीला, किरन, उषा, रामा, राधा से फिर आने का वादा भी किया।

    सुबह से ही ग्रामीणों का हुजूम कार्यक्रम स्थल पूर्व माध्यमिक विद्यालय पर उमड़ा रहा। बच्चे व नौजवान विद्यालय की छत पर चढ़कर अपलक उस रास्ते को निहार रहे थे जहां से विद्या को आना था। सफेद लग्जरी वाहन के काफिले के साथ जैसे ही स्कूल के बाहर उतरीं, बच्चे खुशी से झूम उठे। भीड़ उनकी तरफ हो ली। उन्हें नियंत्रित करने में पुलिस कर्मियों के छक्के छूट गए। धक्का-मुक्की के बीच हर कोई उनकी एक झलक पाने को बेताब था। पूर्व माध्यमिक विद्यालय में आयोजित समारोह में उन्होंने बच्चों का भी खूब उत्साहव‌र्द्धन किया। कक्षा आठ के छात्र सचिन शर्मा व कक्षा छह की छात्रा ज्योति मौर्या से उनका पसंदीदा गाना सुना। बच्चे भी कहां चूकने वाले उनके हर सवाल का सटीक जवाब दिया। 15-20 मिनट तक यह दौर चलता रहा। उन्होंने गिनती व पहाड़ा भी सुना। बच्चों से खूब पढ़ाई करने को कहा।

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    हर बात में 'हां' ठीक नहीं

    सिने तारिका विद्या बालन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए कराटे सीखने चाहिए। हर बात में चुप रहने व हां करने की आदत को त्यागना होगा। अब उन्हें अत्याचार, अन्याय का खुलकर विरोध करना होगा। वे साहस के साथ ना करना सीखें। उन्होंने स्वीकार किया कि देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। इसके लिए सरकार व पुलिस प्रशासन को कड़े कदम उठाने होंगे। सबसे पहले तो उन्हें शिक्षित होना होगा। शिक्षा के बगैर मजबूती संभव नहीं है। अन्याय का विरोध करने के लिए आगे आना होगा। अब बहुत हो गया। नारी को अपनी शक्ति पहचाननी होगी। विरोध के स्वर मुखर करने होंगे।

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