उन्नाव-हरदोई सीमा पर बाघिन की मौजूदगी बनी चुनौती
पीलीभीत के जंगल से निकलकर करीब ग्यारह माह से भटक रही बाघिन ने एक बार फिर सनसनी फैला दी है। अभी तक उन्नाव में गंगा किनारे कटरी के जंगल में रह रही बाघिन तीन दिन पहले आबादी के बीच से गुजरी तो हर कोई उसके पंजों के निशान देखकर दुबक
लखनऊ। पीलीभीत के जंगल से निकलकर करीब ग्यारह माह से भटक रही बाघिन ने एक बार फिर सनसनी फैला दी है। अभी तक उन्नाव में गंगा किनारे कटरी के जंगल में रह रही बाघिन तीन दिन पहले आबादी के बीच से गुजरी तो हर कोई उसके पंजों के निशान देखकर दुबक गया। हरदोई, सीतापुर और लखनऊ होते हुए उन्नाव पहुंची बाघिन से अभी कोई जनहानि नहीं हुई लेकिन उसकी मौजूदगी ने उन्नाव के हसनगंज व हरदोई सीमा के आसपास के गांवों में दहशत फैला दी है। तीन दिन पहले उसके पंजों के निशान बता रहे हैं कि वह लगातार पीलीभीत की तरफ जाने का प्रयास कर रही है। बुधवार को वन विभाग की टीम उसे खोजती रही लेकिन वह नजर नहीं आई। माना जा रहा है कि वह लखनऊ की सीमा में आने के बजाय हसनगंज से ही हरदोई सीमा को पार कर जाएगी। मुख्य वन संरक्षक (लखनऊ मंडल) ईवा शर्मा ने बताया कि उन्नाव के हसनगंज हरदोई सीमा के बुसौली भडुऔना गांव में बाघिन की गतिविधियां देखी गई हैं। पंजों के हिसाब से उस पर निगरानी रखी जा रही है।
एक बाघिन से हारा वन विभाग
बाघिन को घेराबंदी कर सुरक्षित पकडऩे की रणनीति में वन विभाग फेल हो गया। यही कारण है कि बाघिन लंबा रूट तय कर कई जिलों की सीमाओं को की लांघते हुए उन्नाव पहुंच गई और आबादी में कई दिनों तक दहशत फैलाने के बाद बाद वह गंगा किनारे कटरी के जंगल में पहुंच गई थी। वहां पर्याप्त भोजन, पानी और घना जंगल होने के कारण बाघिन का यह सुरक्षित ठिकाना बन गया था। करी ब तीन चार माह से उसकी कोई नई पहचान नहीं मिली थी और माना जा रहा था कि वह पन्ना के जंगलों में पहुंच गई है लेकिन तीन दिन पहले उनके पंजों के निशान से उसकी मौजूदगी का अहसास हर किसी को करा दिया। जानकार मानते हैं कि वन विभाग ने भी बाघिन को पकडऩे में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई और वन विभाग के बड़े अफसर इटावा की लॉयन सफारी में ही व्यस्त रहे।
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