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    उत्तर प्रदेश में कारोबार की नीतियां ठीक पर तंत्र जटिल : एसोचेम

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Wed, 31 Aug 2016 08:42 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में उद्यम लगा कर रोजगार सृजन के साथ निवेश बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने अच्छी नीतियां लागू की हैं लेकिन तंत्र बाधा पहुंचाने वाला है।

    लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में उद्यम लगा कर रोजगार सृजन के साथ निवेश भी बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने नीतियां तो कई अच्छी लागू की हैं, लेकिन इन्हें उद्यमियों और कारोबारियों तक पहुंचाने वाला तंत्र पुराना और बाधा पहुंचाने वाला है। यह निष्कर्ष उस अध्ययन रिपोर्ट के हैं, जिसे एसोचेम (दि एसोसिएट चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया) ने तैयार कराया है। बुधवार को एसोचेम ने रिपोर्ट सार्वजनिक की और सुझावों के साथ इसे शासन तक भी पहुंचाया।

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    एसोचेम के राष्ट्रीय महासचिव डीएस रावत ने प्रेसवार्ता में बताया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में प्रदेश का देश में 10वां स्थान है। राज्य सरकार ने नियामक सुधार और निवेश मित्र में एकल खिड़की प्रणाली सहित उद्योगों की समस्याओं के समाधान की ऑनलाइन प्रणाली, ई-स्टांपिंग सुविधा, एक दिन में वैट पंजीयन प्रमाण पत्र जारी करने और ई-संचरण प्रणाली शुरू करने जैसे सही कदम तो उठाए हैं, लेकिन इसके अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए शासन को इंस्पेक्टर राज समाप्त करने, डिजिटाइजेशन बढ़ाने और सरकारी एजेंसियों का दखल कम करने जैसे उपाय करने होंगे।

    एसोचेम की ओर से रिसर्च करने वाली संस्था टारी (थॉट आर्बीट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट) की निदेशक क्षमा कौशिक ने बताया कि शासन को सुझाव दिया गया है कि प्रशासन को राज्य के विभिन्न तंत्रों व प्रक्रियाओं की लगातार निगरानी करनी चाहिए। साथ ही पुरानी प्रक्रियाओं में पूरी बदलाव कर या उन्हें खत्म कर नए व्यापारिक परिदृश्य के मुताबिक नई प्रक्रियाएं निर्धारित करनी चाहिए। रावत ने बताया कि प्रदेश डबल डिजिट ग्र्रोथ की ओर बढ़ रहा है। इस बार मानसून बेहतर होने से जीडीपी ग्र्रोथ 12 फीसद तक हो सकती है।

    शासन को सुझाव

    • औद्योगिक नीतियों के तहत दिए जाने वाले प्रोत्साहनों व रियायतों को उद्यमियों तक पहुंचाने के लिए उन्हें निवेश मित्र की एकल खिड़की प्रणाली से जोड़ा जाए
    • सभी विभागों की मंजूरी आसानी से मिलने के लिए संयुक्त आवेदन पत्र उपलब्ध कराया जाए
    • सभी जरूरी एनओसी ऑनलाइन प्राप्त हो तथा शुल्क भुगतान की भी ऑनलाइन सुविधा हो
    • सिंगल टैक्स आइडी बनाई जाए, ताकि राज्य स्तर पर लगने वाले कर चुकाने में आसानी हो
    • रियायत व प्रोत्साहन उपलब्ध कराने, विभिन्न प्रक्रिया पूरी करने और मंजूरी दिलाने की स्पष्ट समय सीमा तय हो