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    खनन मंत्री गायत्री प्रजापति की मुश्किलें बढ़ीं

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 30 Jan 2015 07:50 PM (IST)

    लोकायुक्त की जांच की जद में आए उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ साक्ष्यों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। सोनभद्र में पर्यावरण महकमे की इजाजत के बगैर खनन होने और मंत्री के नाम पर अलग तारीखों में लखनऊ के वीवीआइपी गेस्ट हाउस

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    लखनऊ। लोकायुक्त की जांच की जद में आए उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ साक्ष्यों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। सोनभद्र में पर्यावरण महकमे की इजाजत के बगैर खनन होने और मंत्री के नाम पर अलग तारीखों में लखनऊ के वीवीआइपी गेस्ट हाउस के कक्ष आवंटित होने के साक्ष्य भी लोकायुक्त को मिल गये हैं।

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    महत्वपूर्ण तथ्य यह कि वीवीआइपी के कक्ष उन्हीं पिंटू उर्फ विजय, अमरेन्द्र सिंह उर्फ पिंटू और विकास वर्मा को आवंटित किये गये, जिन पर मंत्री के परिवार की कथित कंपनियों से जुड़े होने का आरोप है। मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ दाखिल चार शिकायतों की जांच कर रहे लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने वीवीआइपी गेस्ट हाउस के व्यवस्थाधिकारी को नोटिस जारी कर मंत्री या उनके द्वारा कक्ष आवंटित कराने का ब्योरा मांगा था। नोटिस में वर्ष 2014 का ब्योरा देने की बात कही गयी थी। व्यवस्थाधिकारी ने मई 2014 से ही रिकार्ड उपलब्ध होने का उल्लेख करते हुए मंत्री या उनके द्वारा पिंटू उर्फ विजय, अमरेन्द्र ंिसह उर्फ पिंटू और विकास वर्मा को आवंटित कराये गये कक्षों का तिथिवार ब्योरा दिया है। सबसे लंबी अवधि के लिए सात जनवरी 2015 से 17 जनवरी तक कक्ष बुक कराया गया है। अन्य तिथियों ने दो दिन से 10 दिन तक कक्ष आवंटित किये जाने का उल्लेख है। लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा का कहना है कि मामले जांच की जा रही है। कुछ लोगों के जवाब मिल रहे हैं लेकिन यह सब विवेचना का विषय है, इसलिए उनका राजफाश नहीं किया जा सकता है।

    प्रजापति के खिलाफ जांच की सूचना

    खनन मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त की जांच निर्णायक मोड़ पर है। प्रारम्भिक जांच में साक्ष्य जुटाने के बाद लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को उनके एक मंत्री के खिलाफ विवेचना (अन्वेषण) शुरू होने की सूचना दे दी है। साथ में उन्हें साक्ष्यों की छाया प्रतियां भी भेजी गयी हैं। गायत्री प्रजापति के खिलाफ लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा के यहां पहली शिकायत 11 दिसंबर को दाखिल हुई। ग्यारह दिन बाद ही शिकायतकर्ता ने शिकायत वापसी का शपथ पत्र दाखिल कर दिया। नियमों में शिकायत वापसी की व्यवस्था न होने के चलते जांच शुरू हुई और इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर और सोनभद्र निवासी चौधरी यशवंत ंिसह ने नई शिकायतें कर दीं। डेढ़ माह तक साक्ष्य जुटाने के बाद लोकायुक्त ने अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गायत्री प्रजापति द्वारा आय से अधिक धन अर्जित करने, अवैध खनन और सिंडीकेट के जरिए वसूली करने के इल्जामों की जांच शुरू करने की सूचना दी है।

    पर्यावरण विभाग की अनापत्ति के बिना खनन का राजफाश

    चौधरी यशपाल सिंह की शिकायत पर पूछे गये सवाल के जवाब में सोनभद्र के डीएम दिनेश कुमार सिंह ने स्वीकार किया है कि वन विभाग की जमीन पर 34 पट्टे दिये गये हैं, जिस पर खनन के लिए वन विभाग ने अनापत्ति दी है लेकिन पर्यावरण विभाग ने अनापत्ति नहीं दी है। डीएम ने लोकायुक्त को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि अनापत्ति के लिए केंद्रीय पर्यावरण महकमे को 12 अप्रैल 2012 को पत्र लिखा गया था लेकिन उत्तर नहीं मिला है। डीएम ने लोकायुक्त को भेजे जवाब में यह भी कहा कि किन परिस्थितियों में पट्टे हुए हैं उसकी 'विधिक परिस्थितियों को समझना जरूरी है। उन्होंने अदालत के कई निर्देशों का भी उल्लेख किया है। सूत्रों का कहना है कि डीएम ने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देशों का उल्लेख नहीं किया है, जिसमें पांच हेक्टेयर से कम के भी पट्टों पर पर्यावरण अनापत्ति अनिवार्य की गयी है। लोकायुक्त ने डीएम सोनभद्र की रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की है लेकिन इससे ज्यादा जानकारी देने से इन्कार किया है।

    गृह विभाग ने नहीं भेजी रिपोर्ट

    खनन मंत्री के तीन करीबी लोगों को राज्य सरकार से शैडो, गनर आवंटित करने के बारे पूछे गये सवालों का गृह विभाग को जवाब देना था। प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पांडा ने रिपोर्ट भेजने का जिम्मा सचिव गृह देने की जानकारी लोकायुक्त को दी थी, लेकिन सचिव गृह ने कोई रिपोर्ट नहीं भेजी। लोकायुक्त का कहना है कि रिपोर्ट देने के लिए 29 तारीख निर्धारित की गयी थी, इसलिए इस मामले में वह जल्दी कोई फैसला लेंगे।