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मुख्यमंत्री अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव से सभी महत्वपूर्ण विभाग छीने

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव से पीडब्यूल्डी विभाग हटा लिया और चार मंत्रियों के विभाग बदल दिए हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 13 Sep 2016 09:47 PM (IST)Updated: Tue, 13 Sep 2016 11:32 PM (IST)

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में सपा और सत्ता की राजनीति में सुबह से शुरू घटनाक्रम के तहत शिवपाल यादव की सपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने देर शाम मंत्री शिवपाल सिंह यादव से सभी महत्वपूर्ण विभाग छीन लिए। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रस्ताव पर राज्यपाल राम नाईक ने मंत्रियों के विभागों में फेरबदल का आदेश आज रात जारी कर दिया। अब शिवपाल यादव के पास परती भूमि विकास, भूमि विकास एवं जल संसाधन के साथ समाज कल्याण विभाग का अतिरिक्त कार्यप्रभार रहेगा। पीडब्लूडी और सिंचाई शिवपाल का पसंदीदा विभाग है। अब पीडब्लूडी मुख्यमंत्री के पास रहेगा। राज्यपाल ने मंत्री अवधेश प्रसाद को सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण का अतिरिक्त प्रभार दिया है जबकि बलराम यादव को वर्तमान विभाग के साथ ही राजस्व, अभाव, सहायता एवं पुनर्वासन तथा लोकसेवा प्रबंधन विभाग एवं सहकारिता विभाग का अतिरिक्त कार्यभार आवंटित किया है।

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छोटी उम्र में जब अखिलेश को सपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई तब पार्टी के दिग्गज नेताओं के सामने नेतृत्व करना आसान नहीं था। जनेश्वर मिश्र, मोहन सिंह, ब्रजभूषण तिवारी और शारदानंद अंचल जैसे कद्दावर नेताओं की मौजूदगी के बावजूद अखिलेश ने सपा की कमान संभाली थी। इसके पहले मुलायम सिंह यादव के इस्तीफे से रिक्त हुई कन्नौज लोकसभा सीट पर जब वह चुनाव मैदान में उतरे तब वहां एक नारा गूंजता था- टीपू को सुलतान बना दो। टीपू यानी अखिलेश ने कन्नौज के उप चुनाव से सफर शुरू किया तो कभी मात नहीं खायी। सियासी दांव-पेंच में पहली बार उन्हें झटका लगा है।

मुख्यमंत्री जिसे चाहे मंत्री के रूप में काम लें जिसे चाहे उसे हटाएं

2012 के विधानसभा चुनाव के पहले अखिलेश यादव ने साइकिल यात्रा निकाली और पूरे प्रदेश में सीधा जनसंपर्क किया। अखिलेश यादव के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सपा की सरकार बनी और वाकई टीपू सुलतान बन गये। वर्ष 2000 में शुरू हुआ उनका सियासी सफर 16 वर्षों की यात्रा में ऐसे मुकाम पर पहुंच गया जहां उन्हें बाहरी चुनौतियों के साथ-साथ घर-परिवार से जूझना पड़ रहा है। इस अवधि में अखिलेश परिपक्व होने के साथ-साथ शतरंज की बिसात पर मोहरे बिछाना भी सीख गये हैं।


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