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    मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को हटा शिवपाल को बनाया प्रदेश अध्यक्ष

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Tue, 13 Sep 2016 09:44 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं। अखिलेश की जगह पर शिवपाल को एसपी की यूपी इकाई का नया अध्यक्ष बनाया गया।

    लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बन गए हैं। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मनोनीत किया है। इससे पहले अखिलेश यादव यह पद संभाल रहे थे। उल्लेखनीय है कि पिछला विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव के प्रदेश अध्यक्ष होते लड़ा गया था। इसमें सपा को भारी जीत हासिल हुई और अखिलेश मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी। सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने मुलायम सिंह द्वारा किए गए इस मनोनयन की घोषणा की। साथ ही शिवपाल से अपने परिश्रम और लगन से पार्टी को आगे बढ़ाने की उम्मीद की गई है। उल्लेखनीय है कि सपा की एक प्रमुख बैठक आज दिल्ली में चल रही है। इस बीच लगातार बदलते घटनाक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव से पीडब्यूल्डी विभाग हटा लिया और चार मंत्रियों के विभाग बदल दिए हैं।

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    अन्तर्कलह दूर करने का प्रयास

    मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी ऐसे समय पर सौंपी है जिसे परिवार की अन्तर्कलह दूर करने का प्रयास माना जा रहा है। दरअसल, मंत्रियों गायत्री प्रसाद प्रजापति और राजकिशोर सिंह की बर्खास्तगी और आज मुख्य सचिव दीपक सिंघल को अचानक हटा दिए जाने से यह सवाल उठने लगा था कि चाचा-भतीजा के बीच फिर रार बढ़ेगी। दीपक सिंघल और राजकिशोर शिवपाल के ही करीब माने जाते हैं। वैसे भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मंत्री शिवपाल सिंह यादव के तल्ख रिश्ते समय-समय पर सार्वजनिक होते रहे हैं। कभी शिवपाल ने आगे बढ़कर इस पर विराम लगाया तो कभी खुद मुख्यमंत्री ने पर इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि दोनों के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है। दो दिनों के घटनाक्रम में मुख्यमंत्री के फैसले तो यही कहते हैं। ऐसे में यह बात उठने लगी थी कि शिवपाल की नाराजगी बढ़ेगी। हालांकि शिवपाल सिंह यादव ने मुख्य सचिव को हटाये जाने को मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार की बात कहकर सधा हुआ बयान दिया लेकिन समर्थकों को कुछ दूसरी तरह की ही चर्चा होने लगी।

    पुत्र का मोह, भाई की चिंता

    मुलायम ने विधानसभा चुनाव के पहले हर मोर्चे पर कील-कांटा दुरुस्त करने की पहल की है। वह अखिलेश की छवि के प्रति जितना सजग दिख रहे हैं उतना ही उन्हें अपने अनुज की भावनाओं का भी ख्याल है। शिवपाल संगठन के मजे खिलाड़ी हैं। उन्हें जोड़-तोड़ की राजनीति में माहिर माना जाता है। चुनाव के दृष्टिगत वह बेहतर ढंग से संगठन का संचालन कर सकेंगे क्योंकि मुख्यमंत्री की व्यस्तता भी बढ़ी है। वैसे भी पहले शिवपाल को सपा का प्रदेश प्रभारी बनाया गया तो यह संदेश गया कि संगठन अब उन्हीं के हाथ में होगा। शिवपाल ने विधान पंचायत चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि विधान परिषद के चुनाव में अखिलेश ने ही अपना प्रभाव दिखाया।

    सिंघल की ताजपोशी से दूर हुई शिवपाल की नाराजगी

    सिंघल लंबे समय तक शिवपाल के विभागों के प्रमुख सचिव रहे और जब उन्हें सिंचाई के साथ ही गृह विभाग दिया गया तो मुख्यमंत्री पखवारे भर भी बर्दाश्त नहीं कर पाए। सिंघल को गृह विभाग से हटा दिया गया। सिंघल को जिस समय मुख्य सचिव बनाया गया उन्हीं दिनों मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के विलय और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर चाचा-भतीजे के मतभेद सार्वजनिक हो गए थे। बात इस हद तक बढ़ी कि खुद मुलायम सिंह यादव को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। इस लड़ाई के दरमियान ही दीपक सिंघल मुख्य सचिव बनाए गए तो यह संदेश गया कि शिवपाल को खुश करने की पहल हुई है। अब सिंघल मुख्य सचिव की कुर्सी से हटाए गए हैं तो दूसरी ओर शिवपाल के करीबी अमर सिंह को भी मुख्यमंत्री ने महत्व देना कम कर दिया है। शिवपाल के ही करीबी समझे जाने वाले राजकिशोर सिंह की बर्खास्तगी की कड़ी भी इसी से जुड़ गई है। राजकिशोर सदन से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर शिवपाल के ही करीब देखे जाते हैं।