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    मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नरेश यादव एसजीपीजीआइ में भर्ती

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Wed, 19 Oct 2016 07:11 PM (IST)

    मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नरेश यादव को पीजीआइ में भर्ती किया गया है। इन्हें पोस्ट ऑपरेटिव आइसीयू में भर्ती किया गया है। उनकी हालत स्थिर है।

    लखनऊ (जेएनएन)। मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नरेश यादव (85) को पीजीआइ में भर्ती किया गया है। इन्हें पोस्ट ऑपरेटिव आइसीयू में भर्ती किया गया है। फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने पर मध्य प्रदेश से मंगलवार रात में लाया गया था। पीजीआइ के चिकित्सा अधीक्षक अमित अग्रवाल ने बताया कि उन्हें कई दिक्कते हैं। सांस लेने में भी तकलीफ है। मल्टीपल बीमारी का इलाज चल रहा है। इससे पहले वह आठ सितंबर को पीजीआइ में भर्ती कराए गए थे।

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    राम नरेश का शुरुआती जीवन

    शुरुआती जीवन में आजमगढ़ में वकालत करने वाले राम नरेश यादव 1977 में जनता पार्टी सरकार आने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाये गए। बाद में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। उनका जन्म एक जुलाई 1928 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के गांव आंधीपुर में किसान परिवार में हुआ। बचपन खेत-खलिहानों में गुजरा। माता भागवंती देवी गृहिणी और पिता गया प्रसाद थे। पिताजी प्राइमरी पाठशाला में अध्यापक थे। रामनरेश को देशभक्ति और सादगी की शिक्षा पिता से विरासत में मिली है। राम नरेश के बहुआयामी कृतित्व के कारण वह बाबूजी के नाम से जाने जाते हैं। उनका विवाह 1949 में अंबेडकरनगर के करमिसिरपुर (मालीपुर) की अनारी देवी ऊर्फ शांति देवी के साथ हुआ। उनके तीन पुत्र और पांच पुत्रियां हैं। प्रारम्भिक शिक्षा गांव के विद्यालय और हाईस्कूल की शिक्षा आजमगढ़ के वेस्ली हाई स्कूल से मिली। डीएवी कालेज वाराणसी से इटर और बीए., एमए. और एलएलबी की डिग्री काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से मिली। उस समय प्रसिद्ध समाजवादी विचारक आचार्य नरेन्द्र देव काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति थे। इस बात का उनके जीवन पर खासा प्रभाव पड़ा।

    छात्र जीवन से समाजवादी राजनीति

    शिक्षा के पश्चात वाराणसी में चिन्तामणि एंग्लो बंगाली इन्टरमीडिएट कालेज में तीन वर्षों तक शिक्षक रहे। पट्टी नरेन्द्रपुर इंटर कालेज जौनपुर में भी कुछ समय प्रवक्ता रहे। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1953 में आजमगढ़ में वकालत शुरू की। छात्र जीवन से समाजवादी आन्दोलन में शामिल होकर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। इस काम में उन्हें आजमगढ़ के गांधी कहे जाने वाले बाबू विश्राम राय का सानिध्य मिला। समाजवादी विचारधारा के तहत जाति तोड़ो, विशेष अवसर के सिद्धान्त, बढ़े नहर रेट, लगान माफी, समान शिक्षा, आमदनी-खर्चा सीमा बांधना, वास्तविक रूप से जमीन जोतने वालों को अधिकार दिलाने, अंग्रेजी हटाओ आदि आंदोलनों को लेकर गिरफ्तारियां दीं।

    आपातकाल का दंश

    आपातकाल के दौरान रामनरेश मीसा और डीआईआर के तहत जून 1975 से फरवरी 1977 तक आजमगढ़ जेल और केन्द्रीय कारागार नैनी इलाहाबाद में निरूद्ध रहे। राम नरेश के राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन में विभिन्न दलों एवं संगठनों तथा संस्थाओं से संबद्ध रहे। राज्यसभा सदस्य तथा संसदीय दल के उपनेता भी रहे। अखिल भारतीय राजीव ग्राम्य विकास मंच, अखिल भारतीय खादी ग्रामोद्योग कमीशन कर्मचारी यूनियन और कोयला मजदूर संगठन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में ग्रामीणों और मजदूर तबके के कल्याण के लिये लम्बे समय तक संघर्षरत रहे। बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय में एक्सिक्यूटिव कॉसिंल के सदस्य भी थे।

    मुख्यमंत्री और राज्यपाल

    रामनरेश यादव 23 जून 1977 को उत्तरप्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए। मुख्यमंत्रित्व काल में आपने सबसे अधिक ध्यान आर्थिक, शैक्षणिक तथा सामाजिक दृष्टि से पिछड़े लोगों के उत्थान के कार्यों पर दिया तथा गांवों के विकास के लिये समर्पित रहे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों के अनुरूप उत्तरप्रदेश में अन्त्योदय योजना का शुभारम्भ किया। राम नरेश 1988 में संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सदस्य बने एवं 12 अप्रैल 1989 को राज्यसभा के अन्दर डिप्टी लीडरशिप, पार्टी के महामंत्री एवं अन्य पदों से त्यागपत्र देकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। 8 सितम्बर 2011 को मध्यप्रदेश के राज्यपाल पद की शपथ ग्रहण की।

    महत्वपूर्ण योगदान

    राम नरेश मानव संसाधन विकास संबंधी संसदीय स्थायी समिति के पहले अध्यक्ष के रूप में आपने स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कृति के चहुंमुखी विकास को दिशा देने संबंधी रिपोर्ट सदन में पेश की। केन्द्रीय जन संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत गठित हिन्दी भाषा समिति के सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वित्त मंत्रालय की महत्वपूर्ण नारकोटिक्स समिति के सदस्य के रूप में सीमावर्ती राज्यों में नशीले पदार्थों की खेती की रोकथाम की पहल की। प्रतिभूति घोटाले की जांच के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। रामनरेश यादव ने 1977 में आजमगढ़ से छठी लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। 23 जून 1977 से 15 फ़रवरी 1979 तक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। आपने 1977 से 1979 तक निधौली कलां (एटा) का विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया तथा 1985 से 1988 तक शिकोहाबाद (फिरोजाबाद) से विधायक रहे। श्री यादव 1988 से 1994 तक (लगभग तीन माह छोड़कर) उत्तरप्रदेश से राज्यसभा सदस्य रहे और 1996 से 2007 तक फूलपुर (आजमगढ़) का विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया।