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    वैज्ञानिक का दावा: अभी बरकरार रहेगी भूकंप की संभावना

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Tue, 12 May 2015 04:32 PM (IST)

    नेपाल के साथ भारत में 25 अप्रैल के बाद आज फिर भूकंप के झटकों ने लोगों के जेहन में दहशत पैदा कर दी है। एक वैज्ञानिक का दावा है कि भारत में अभी भूकंप की संभावना बरकरार रहेगी। भोपाल के एक वैज्ञानिक का दावा है कि भारत तथा नेपाल में

    लखनऊ। नेपाल के साथ भारत में 25 अप्रैल के बाद आज फिर भूकंप के झटकों ने लोगों के जेहन में दहशत पैदा कर दी है। एक वैज्ञानिक का दावा है कि भारत में अभी भूकंप की संभावना बरकरार रहेगी।

    भोपाल के एक वैज्ञानिक का दावा है कि भारत तथा नेपाल में अभी भूकंप की संभावना बरकरार रहेगी। भारत और नेपाल में तीव्र भूकंप के संकेत वैज्ञानिकों को छह अप्रैल को ही मिल गए थे। हिमालयी क्षेत्र में भूगर्भ के अंदर प्लेटों के खिसकने से भारी उथल-पुथल हुई थी। भोपाल के आइसेक्ट विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सूर्यांशु चौधरी ने बताया कि 25 अप्रैल को भूकंप के दौरान पृथ्वी में कोई बड़ी दरार नहीं आई थी, इसी कारण इसके आने की संभावना बनी रही। पृथ्वी में कोई बड़ी दरार न आने के कारण धरती के अंदर से गैस तथा ऊर्जा के अन्य कारक निकल नहीं पाते हैं। जब तक यह ऊर्जा जमीन से बाहर निकलेगी नहीं तब तक भूकंप की संभावना बनी रहेगी। उन्होंने आज भूकंप आने का भी यही कारण माना।

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    रूस के वैज्ञानिकों के साथ भूकंप के अध्ययन में लगे डॉ. सूर्यांशु चौधरी ने बताया कि सेटेलाइट की मदद से हासिल संकेतों का भू-भौतिकविद् अध्ययन करके सटीक अनुमान लगाने में जुटे थ। इससे पहले नेपाल में जिस स्थान पर भूकंप का केंद्र था, उसके आसपास भूगर्भ के अंदर नौ महीने से प्लेटों के खिसकने से उथल-पुथल चल रही थी। वीक जोन (भूकंप का केंद्र रहे) से कुछ रेडान गैसों का उत्सर्जन जारी था। छह अप्रैल को यह प्रक्रिया तेज होने पर सेटेलाइट की मदद से पकड़ में आई, तो अध्ययन शुरू हुआ। वहीं, 23 अप्रैल को भूगर्भीय उथल-पुथल चरम पर पहुंच चुकी थी।

    भू भौतिकविद् डॉ. सूर्यांशु चौधरी के मुताबिक वैज्ञानिक गैसों के उत्सर्जन से पैदा होने वाले वीक जोन (भूकंप के केंद्र) का पता लगाने में जुटे थे, ताकि भूकंप का सटीक अनुमान लगा लोगों को आगाह किया जा सके। डॉ. सूर्यांशु और रूसी वैज्ञानिक भूकंप पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं।

    तीन दिन तक रहें सतर्क

    भूकंप के बाद लोगों को अभी तीन दिन तक सतर्क रहना होगा। सूर्यांशु चौधरी ने बताया भूगर्भ की प्लेटों को स्थिर होने में तीन दिन का समय लगता है। प्लेटों का स्थिर होना इस पर निर्भर करता है कि पृथ्वी अपनी कितनी ऊर्जा निकाल चुकी और कितनी अभी बाकी है। इस प्रक्रिया के दौरान झटके फिर लग सकते हैं।

    इस तरह लगाया जाता है अनुमान

    भूगर्भ के अंदर वीक जोन में रेडान गैसों का उत्सर्जन होता है। यह गैसें वायुमंडल के साथ रासायनिक क्रिया करतीं हैं, जिससे वायुमंडल के तापमान, उसकी स्थैतिक ऊर्जा में परिवर्तन मिलता है। वैज्ञानिक इसी के आधार पर भूकंप और उसके केंद्र का अनुमान लगाते हैं।