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    यूपी में गहराया बिजली संकट

    By Edited By:
    Updated: Sat, 07 Sep 2013 09:39 AM (IST)

    लखनऊ(जागरण ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बिजली संकट गहरा गया है। गांव से लेकर शहर तक जह

    लखनऊ(जागरण ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बिजली संकट गहरा गया है। गांव से लेकर शहर तक जहां बिजली की मांग में जबरदस्त इजाफा हो रहा है, वहीं पर्याप्त बिजली की उपलब्धता न होने से उद्योगों को भी बिजली संकट से जूझना पड़ेगा। पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने रात में उद्योगों की चार घंटे बिजली काटने का निर्णय किया है। बिजली की कमी के कारण गांव से लेकर महानगरों तक की बिजली आपूर्ति में भी दो से चार घंटे की आपात कटौती की जा रही है।

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    गर्मी बढ़ने के साथ ही बारिश न होने से गांव से लेकर शहरों तक में बिजली की मांग में जबरदस्त इजाफा होता जा रहा है। सिंचाई व एसी के बढ़े विद्युत लोड से मांग जहां 11500 मेगावाट के ऊपर पहुंच रही है वहीं उपलब्धता बमुश्किल करीब 9000 मेगावाट ही है। दिन में ही नहीं रात में भी बिजली की मांग बढ़ी है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहली सिंतबर को जहां बिजली की मांग 201.7 मिलियन यूनिट (एमयू) थी वहीं पांच सिंतबर को मांग बढ़कर 241 एमयू पहुंच गई।

    मांग के मुताबिक बिजली उपलब्ध न होने पर कारपोरेशन प्रबंधन ने अब उद्योगों की बिजली भी रात में दस से दो बजे तक काटने का फैसला किया है। फिलहाल 15 सितंबर तक उद्योगों की बिजली काटने का शेड्यूल है। उद्योगों की चार घंटे बिजली कटौती से 600 से एक हजार मेगावाट बिजली की उपलब्धता बढ़ने का अनुमान है।

    सूबे में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार के निर्देश पर प्रबंधन ने उद्योगों को बिजली कटौती से मुक्त कर रखा है। प्रबंधन ने गंभीर बिजली संकट के चलते इस साल पहली बार उद्योगों की बिजली काटने का फैसला किया है जबकि उद्योगों को आपूर्ति की जाने वाली बिजली की दरें सबसे अधिक होती है।

    प्रबंधन ने इनर्जी एक्सचेंज व बैंकिंग के जरिए भी बिजली लेने का निर्णय किया है। एक्सचेंज से रात में 12 बजे से सुबह पांच बजे तक करीब डेढ़ हजार मेगावाट तक तथा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व दिल्ली से लगभग 500 मेगावाट बिजली की व्यवस्था की गई है। कारपोरेशन प्रबंधन का कहना है इस तरह से बिजली की उपलब्धता बढ़ने से गांवों से लेकर शहरों तक कम बिजली की कटौती करनी पड़ेगी। बिजली की उपलब्धता बढ़ने व मांग में कमी आने पर पहले-पहल उद्योगों को बिजली कटौती से मुक्त किया जाएगा। फिलहाल गांवों में भी दस के बजाय छह से आठ घंटे तक ही बिजली पहुंच रही है। जिला मुख्यालय से लेकर महानगरों तक की बिजली आपूर्ति में भी दो से चार घंटे की आपात कटौती हो रही है। बिजली संकट के मद्देनजर उन शहरों की बिजली भी दो-चार घंटे काटी जा रही है जो तय शेड्यूल के मुताबिक पूरी तरह से कटौती मुक्त हैं।

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