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    दागियों को लेकर दलों की हिचक टूटी

    By Edited By:
    Updated: Sun, 08 Dec 2013 01:43 PM (IST)

    इलाहाबाद (हरिशंकर मिश्र)ं। सुप्रीम कोर्ट के सजायाफ्ता को चुनाव लड़ने से रोकने के फैसले के बाद

    इलाहाबाद (हरिशंकर मिश्र)ं। सुप्रीम कोर्ट के सजायाफ्ता को चुनाव लड़ने से रोकने के फैसले के बाद से दागियों पर चुप्पी साधे राजनीतिक दलों की हिचक टूटने लगी है। समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को पार्टी में शामिल करने के साथ ही सुल्तानपुर से टिकट देकर इसकी शुरुआत कर दी है।

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    लोकसभा चुनाव को देखते हुए अन्य राजनीतिक दलों में भी इसकी होड़ लग सकती है। सूबे में बहुत से बाहुबली नेता हैं जो प्रमुख राजनीतिक दलों का दामन थामने को बेकरार हैं और किसी न किसी माध्यम से बड़े नेताओं के संपर्क में भी बने हुए हैं।

    यूपी की सियासत में दो दशकों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेता चुनाव जीतने की क्षमता के चलते राजनीतिक दलों को आकर्षित करते रहे हैं। वह चाहे सबसे अधिक मुकदमों के आरोपी मित्रसेन यादव हों या फिर डीपी यादव, मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, धनंजय सिंह और रमाकांत यादव जैसे दबंग। समाजवादी पार्टी को ऐसे नेताओं से कभी गुरेज नहीं रहा तो बसपा ने भी जरूरत के अनुसार इनका इस्तेमाल किया। यहां तक सियासी शुचिता की दुहाई देने वाली भाजपा भी इनसे अपने दामन को अलग न रख सकी। विधानसभा चुनाव में तमाम आरोपों से घिरे बाबू सिंह कुशवाहा को पार्टी में शामिल कर भाजपा ने सबको चौंका ही दिया था। दागियों से किसी ने भी दूरी नहीं बनाई। यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में 189 दागी सदन में पहुंचे, जिनमें 111 सपा के, 29 बसपा के, 25 भाजपा के और 13 कांग्रेस के रहे।

    अतीक के सपा से टिकट हासिल करने के बाद माना जा रहा है कि अन्य बाहुबली भी किसी न किसी दल का सहारा हासिल कर सकते हैं। पूर्वाचल के माफिया मुख्तार अंसारी सपा से अपने पुराने संबंधों के चलते फिर वापसी कर सकते हैं। चर्चा है कि जल्द ही अंसारी का कौमी एकता दल सपा में शामिल नजर आएगा। बाहुबली डीपी यादव भी सपा के करीबी नेताओं के संपर्क में हैं। वर्तमान में बसपा के सांसद जौनपुर के धनंजय सिंह जो कि जेल में बंद हैं, के लिए भारतीय जनता पार्टी चुनावी राह बना सकती है। चर्चा है कि पूर्वाचल के चर्चित माफिया बृजेश सिंह को भी भाजपा में शामिल करने के लिए एक लाबी प्रयासरत है। इनके अलावा तमाम घपलों घोटालों के आरोपी चंद्रदेव राम यादव, रंगनाथ मिश्र, अवधपाल यादव आदि नेता भी अपने लिए नए रास्ते तलाश सकते हैं।

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    दागियों से किसी को भी नहीं रहा परहेज

    विधानसभा चुनाव- 2012 (403 में 189 दागी)

    पार्टी जीते दागी मामले

    सपा 224 111 56

    बसपा 80 29 14

    भाजपा 47 25 14

    कांग्रेस 28 13 7

    रालोद 9 2 1

    निर्दलीय 6 5 4

    पीस पार्टी 4 2 1

    कौमी एकता 2 1 1

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    दस से अधिक मुकदमे वाले यूपी के सांसद

    - बाल कुमार पटेल- संसदीय क्षेत्र मिर्जापुर (सपा)- 10 मुकदमे

    -राम किशुन- संसदीय क्षेत्र चंदौली (सपा)-10 मुकदमे

    -रमाकांत यादव- संसदीय क्षेत्र आजमगढ़- (भाजपा) 11 मुकदमे

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    दस से अधिक मुकदमे वाले विधायक

    - मित्रसेन यादव- बीकापुर (फैजाबाद) सपा- 36 मुकदमे

    - सुशील सिंह- चंदौली- निर्दलीय- 20 मुकदमे

    - रामवीर सिंह -जसराना (फिरोजाबाद)-बसपा- 18 मुकदमे

    - रामेश्वर सिंह- अलीगंज (एटा)- सपा- 27 मुकदमे

    -हरिओम- सिरसागंज (फिरोजाबाद)- सपा- 16 मुकदमे

    - विजय कुमार- ज्ञानपुर (भदोही)- सपा- 25 मुकदमे

    -मुख्तार अंसारी- मऊ, कौमी एकता दल- 15 मुकदमे

    -रविदास मेहरोत्रा- लखनऊ सेंट्रल-सपा-17 मुकदमे

    -महबूब अली- अमरोहा- सपा- 15 मुकदमे।

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