भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आखिरी दिन आज
इलाहाबाद में चल रही भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आज आखिरी दिन है। इस दो दिवसीय इस बैठक में राष्ट्रीय मुद्दों का भी उल्लेख हुआ लेकिन अधिकतर उत्तर प्रदेश पर केंद्रित था।
इलाहाबाद [आशुतोष झा]। एक हाथ में विकास का एजेंडा और दूसरे हाथ में उत्तर प्रदेश सरकार की विफलता और मथुरा व कैराना जैसी घटनाओं का विस्तृत पुलिंदा..। मिशन उत्तर प्रदेश में भाजपा की रणनीति कुछ इसी तर्ज पर होगी। खेमेबाजी की छिटपुट घटनाओं को राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर हावी होने से रोकते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने यह संदेश दे दिया है कि केंद्र में दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए मिशन 2017 ही मिशन 2019 का भी माध्यम है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगठन को निर्देश दिया है कि इस ध्येय में अभी से जुटें और लोकसभा चुनाव के बाद जुड़े सदस्यों व कार्यकर्ताओं को भी इसमे जोड़ें। उत्तर प्रदेश चुनाव में अभी वक्त है लेकिन प्रयाग में कार्यकारिणी से ही भाजपा ने बिगुल फूंक दिया है। हालांकि दो दिवसीय इस बैठक में राष्ट्रीय मुद्दों का भी उल्लेख हुआ लेकिन अधिकतर उत्तर प्रदेश पर केंद्रित था।
इसे भी पढें--भाजपा कार्यकारिणीः मोदी को भाए दही-बड़ा और आलू की टिक्की
इसे भी पढें--भाजपा कार्यकारिणीः वैश्विक मंदी में खेवनहार बनेगा भारतl
पांच राज्यों के चुनाव
अपने उदघाटन संबोधन में अमित शाह ने कहा कि 2017 चुनौतियों का साल है। उन्होंने उत्तर प्रदेश समेत गुजरात, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश का नाम भी लिया लेकिन अगली ही लाइन में वह सीधे उत्तर प्रदेश पर आए। उन्होंने कहा कि यहां विकास का अभाव है। कानून व्यवस्था ध्वस्त है। मथुरा जैसी घटनाएं राजनीतिक संरक्षण में हो रही हैं और कैराना में पलायन हो रहा है। ध्यान रहे कि कैराना की घटना को लेकर पिछले दिनों में भाजपा बहुत सक्रिय रही है। खबरों के अनुसार पलायन करने वालों में अधिकांश पिछड़े वर्ग से हैं। जबकि घर छोड़कर जाने वालों में दूसरे नंबर पर वैश्य जाति के परिवार थे। भाजपा की ओर से एक टीम भी भेजी गई थी और हाल ही में मानवाधिकार आयोग ने भी उसका संज्ञान लिया है। ऐसे में भाजपा के लिए यह प्रामाणिक मुद्दा बन गया है। सूत्र बताते हैं कि मथुरा और कैराना की घटनाओं पर भाजपा पूरे प्रदेश में आक्रामक रहेगी।विकास भाजपा का बड़ा मुद्दा है और उसे उत्तर प्रदेश में और बड़े स्तर पर प्रचारित किया जाएगा। कार्यकारिणी बैठक में केंद्र सरकार की सभी सफल योजनाओं का जिक्र किया गया और बताया गया कि किस तरह मोदी सरकार देश के अंदर और बाहर छवि बदल दी है। उत्तर प्रदेश में भी ऐसी सरकार की जरूरत है जो केंद्र से साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके। सुधार और जनकल्याण को एक गति के साथ आगे बढ़ा सके। पार्टी के कार्यकर्ता जमीन तक इस संदेश को पहुंचाएंगे।
इसे भी पढें--भाजपा कार्यकारिणी : पिछड़ों और ब्राह्मणों पर बिछाई जीत की बिसात
इसे भी पढें--भाजपा कार्यकारिणीः 'गुंडाराज ' और 'भ्रष्टाचार ' पर छिड़ेगी जंग
चुनावी समीकरण साधना
चुनावी लिहाज से समीकरण साधने की कोशिश अभी से शुरू हो गई है। केपी मौर्य को पहले ही प्रदेश की कमान सौंपी गई है। अंबेडकर पर भाजपा अपना दावा पहले ही ठोक चुकी है। लेकिन इसे याद भी दिलाया जाता रहेगा। इसी क्रम में शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए भी अंबेडकर का नाम लिया था। ध्यान रहे कि मोदी की पिछड़ी जाति का उल्लेख अक्सर होता रहा है। अल्पसंख्यक मतों में सपा, कांग्रेस और अब बसपा मे यूं तो होड़ है, भाजपा यह सुनिश्चित करने में जुट गई है कि वह वर्ग भाजपा के खिलाफ एकजुट न हो। कोशिश यह भी होगी कि असम की तर्ज पर कुछ वोट भाजपा के साथ भी खड़ा हो। ऐसे में शाह ने याद दिलाया कि मोदी को दो इस्लामिक देशों- अफगानिस्तान और सउदी अरब ने अपने सर्वोच्च सम्मान से नवाजा हैं। जो संकेत है उससे साफ है कि भाजपा फिलहाल मोदी के चेहरे को ही आगे रखकर चलेगी। यही कारण है कि शाह ने पहले पदाधिकारियों की बैठक में और बाद में कार्यकार्यकारिणी में बार बार 'कमल' की बात की। बैठक के बाद जानकारी देने आए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा कि फिलहाल चेहरे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। पार्टी के अंदर संवाद को और आगे बढ़ाने के लिहाज से अगली कार्यकारिणी की तिथि भी तय कर ली गई है। अगली बैठक 23-25 सितंबर को होगी। देखना यह है कि अगली बैठक पार्टी उत्तर प्रदेश में ही करती है या चुनौती भरे किसी दूसरे राज्य में।
विपक्ष को काम से दें जवाब : मोदी
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अगर उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं में उत्साह और जोश भरा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सचेत किया। कार्यकारिणी बैठक से पूर्व पदाधिकारियों की बैठक के अंत में पहुंचे मोदी ने आगाह किया कि विपक्ष को कभी कमजोर न समझें। बल्कि उन्हें अपने काम से जवाब दें। प्रधानमंत्री का समापन भाषण तो सोमवार को होगा, रविवार को उन्होंने कुछ संकेत भी दिए और कुछ निर्देश भी। सरकार और संगठन में बदलाव की अटकलों के बीच उन्होंने कहा कि बदलाव जरूरी है। समय के हिसाब से खुद में भी बदलाव लाना चाहिए। जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना है तो जिम्मेदारी को समझना भी होगा और उस दायित्व को पूरा करना भी होगा। युवाओं की भी जोडऩा होगा। इसी क्रम में उन्होंने विपक्ष की भी बात की और कहा कि उन्हें कमजोर नहीं समझना चाहिए। वह निशाना साधने के लिए अवसर का इंतजार करेंगे और कभी कभी नए बहाने ढूंढेगे। लेकिन इससे पार पाना है तो काम पर ही ध्यान देना होगा। उन्हें काम के जरिए ही जवाब देना होगा। जनता भी यही चाहती है। हमें यही करना भी चाहिए। चाहे जो भी हो, अपने ध्येय के साथ लगातार आगे बढ़ते रहना होगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।