पीएम मोदी को टॉप टेन क्रिमिनल बताने पर इलाहाबाद कोर्ट का गूगल को नोटिस
गूगल सर्च इंजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को टॉप टेन क्रिमिनल में डाला गया है। इस गलती के बाद गूगल ने माफी मांगी थी, लेकिन फोटो को अभी तक नहीं हटाया था।

लखनऊ (वेब डेस्क)। इलाहाबाद की एक अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व के टॉप टेन क्रिमिनल में शामिल करने पर गूगल के संस्थापक, सीईओ तथा इंडिया हेड को नोटिस दिया है। गूगल सर्च इंजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को टॉप टेन क्रिमिनल में डाला गया है। इस गलती के बाद गूगल ने माफी मांगी थी, लेकिन फोटो को अभी तक नहीं हटाया था। इसके बाद से कोर्ट गंभीर है। मामले में अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी।
सर्च इंजन गूगल के संस्थापक, सीईओ और इंडिया हेड को टॉप टेन क्रिमिनल ऑफ वल्र्ड की सूची से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो न हटाने पर अदालत से नोटिस जारी की गई है। भाजपा नेता और याची अधिवक्ता सुशील मिश्र ने सेशन कोर्ट के प्रभारी जज महताब अहमद के समक्ष परसों इस संबंध में अर्जी पेश की थी। इसमें उनका कहना था बीते चार जून को गूगल ने टॉप टेन क्रिमिनल आफ वर्ल्ड की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो डाल दी थी। इसी दिन गूगल ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर माफी मांग ली थी।
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गूगल संस्थापक लैरी पेज का माफीनामा भी गूगल के सर्च इंजन पर पड़ा हुआ है, लेकिन अभी तक कंपनी ने प्रधानमंत्री की फोटो नहीं हटाई है। इससे देश-दुनिया में उनकी छवि धूमिल हो रही है। अर्जी को स्वीकार करते हुए प्रभारी जज महताब अहमद ने गूगल सर्च इंजन मल्टीनेशनल कैलीफोर्निया के संस्थापक लैरी पेज, सीईओ सुंदर पिचाई, इंडिया हेड राजन आनंदन के खिलाफ नोटिस जारी किया। इससे पहले सुशील मिश्र ने सिविल लाइंस पुलिस को तहरीर दी थी। रिपोर्ट दर्ज न होने पर सीजेएम की अदालत में वाद दाखिल किया गया।
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सीजेएम कोर्ट ने यह कहते हुए वाद निरस्त कर दिया कि मामला सिविल प्रोसिडिंग का है। याची का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व नेता हैं। गूगल ने उनकी प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाया है। इससे संपूर्ण भारतवासियों के गरिमा को ठेस पहुंची है। इसी कारण उन्होंने यह केस दायर किया।
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याचिकाकर्ता ने गूगल के टॉप टेन की लिस्ट ने पीएम मोदी की फोटो को हटाने के लिए गूगल को मेल भी किया था, लेकिन गूगल की तरह से इस पर एक्शन नहीं लिया गया। बीते वर्ष उन्होंने इस प्रकरण पर हाईकोर्ट में अर्जी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे दीवानी मुकदमा बताकर खारिज कर दिया। जिसके बाद एक बार फिर से सुशील ने गूगल के खिलाफ मामला दर्ज कराया।

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