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    उन्नाव का डौंडियाखेड़ा बना 'पीपली लाइव'

    By Edited By:
    Updated: Fri, 18 Oct 2013 12:11 AM (IST)

    लखनऊ। आप बताइए यहां कितना सोना मिलेगा, क्या यहां सोना मिलेगा, क्या बाबा का सपना सच होगा, कुछ इस

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    लखनऊ। आप बताइए यहां कितना सोना मिलेगा, क्या यहां सोना मिलेगा, क्या बाबा का सपना सच होगा, कुछ इस तरह के सवाल डौंड़ियाखेड़ा गांव की फिजा में बुधवार सुबह से ही तैर रहे थे। खजाने को लेकर अचानक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए शहीद राजा राव रामबक्स सिंह के उजाड़ व शांत किले में बुधवार को हर कोने से यही आवाजें गूंज रही थीं। कल तक अपनी पहचान को तरसते राजा राव रामबक्स सिंह का वीरान इस किले का हर एक कोना कैमरे की जद था। वहीं, अचानक वाहनों का रेला गांव में देख ग्रामीण अवाक हैं।

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    विकास से कोसों दूर इस क्षेत्र को देखकर दो साल पहले आई आमिर खान की चर्चित फिल्म 'पिपली लाइव' की याद ताजा हो गई। फिल्म के पिपली गांव जैसा दृश्य बुधवार को डौंडि़याखेड़ा के किले पर था। करीब 12 दिन पहले यहां आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया व जियोलॉजिकल सर्वे की टीम आने के बाद लोगों के लिए मानो आस्था का केंद्र हो गया। एक सप्ताह तक अखबारों की सुर्खियां बनने के बाद डौंडि़या खेड़ा हर चैनल का चहेता हो गया है।

    बाबा गए पुराने आश्रम : यहां चैनलों की भीड़ बढ़ने के साथ ही यहां खजाने का सपना देखने वाले बाबा शोभन सरकार अपने पुराने आश्रम शिवली कानपुर देहात चले गए हैं।

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    अब कोटवर के किले में भी खजाने की चर्चा

    उन्नाव : अमर शहीद राजा राव रामबक्श सिंह के किला डौंडि़या खेड़ा में सोने के खजाने के हल्ले के बीच राजा राव रामबक्स सिंह के पूर्वजों के किला कोटवर में भी खजाना होने की चर्चा जोर पकड़ने लगी। राजा के पूर्वज बाबा त्रिलोक चंद की जन्मस्थली कोटवर में है, यहां उनका किला था।

    बताते हैं कि त्रिलोक चंद्र पांचवीं पीढ़ी के थे। छठवीं पीढ़ी डौंड़िया खेड़ा (संग्रामपुर) चली आई थी। बुजुर्ग बताते हैं कि वैश्य वंश के राजा चैत्र माह की पूर्णिमा को कोटवर किले में एकत्रित होकर ध्वजारोहण करते थे। यही के विश्राम सिंह यादव ने दो कमरे बनवाकर विद्यालय शुरू किया, बाद में यही विद्यालय बाबा त्रिलोक चंद्र के नाम से हुआ जो आज भी है। अमर शहीद राव राम बक्श सिंह के बलिदान दिवस 28 दिसंबर को भारी संख्या में लोग उनके पूर्वज त्रिलोक चंद्र की जन्मस्थली कोटवर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। साथ में बाबा का ध्वज भी फहराया जाता था तथा यहीं से बलिदान स्थल तक शोभा यात्रा निकलती है। कोटवर के प्रधान डॉ. यदुकुंवर सिंह, भदिहा के नागेंद्र सिंह का कहना है कि जब राजा राव राम बक्स सिंह के किले में सोना है तो उनके बाबा त्रिलोक चंद के किले में भी सोना होने की पूरी संभावना है। उन्होंने इस किले में भी खजाना की तलाश के लिए सर्वेक्षण कराने की मांग की है।

    ऐतिहासिक तथ्यों में यह भी कहा गया है कि जब राजा राव रामबक्स सिंह अंग्रेजों से लोहा लेते हुए छिपे फिर रहे थे तो उनकी दोनों रानियां ढेरों जेवरात लेकर अपने मायके कालाकाकर पुरवा गई थीं। उसके बाद वह कहां गई इसका आज तक कुछ पता नहीं चला है।

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