दंगा नियंत्रित करने में विफल मुजफ्फरनगर के पूर्व एसएसपी निलंबित
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : मुजफ्फरनगर दंगे के बाद हटाये गये एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे को राज्य सरका
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : मुजफ्फरनगर दंगे के बाद हटाये गये एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे को राज्य सरकार ने रविवार को निलंबित कर दिया। शासन का आरोप है कि सांप्रदायिक दंगे को समय से नियंत्रित करने में दुबे विफल रहे। यह भी आरोप है कि जिस समय मुजफ्फरनगर में दंगा भड़क रहा था, उस समय दुबे की सक्रियता फेसबुक पर थी। उनके खिलाफ विभागीय जांच होगी। दुबे से पहले मुजफ्फरनगर में कुछ थानेदारों पर भी निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है।
गृह सचिव कमल सक्सेना ने एनेक्सी के मीडिया सेंटर में पत्रकारों को बताया कि शासन ने उनकी भूमिका का आकलन करने के बाद उन्हें निलंबित किया है। मुजफ्फरनगर के कवाल में तिहरे हत्याकांड के बाद वहां की एसएसपी को हटाने के बाद सुभाष चंद्र दुबे की तैनाती हुई थी। 28 अगस्त को अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था अरुण कुमार उन्हें लेकर वहां पहुंचे थे और पत्रकारों के बीच यह कहा कि दुबे बहुत तेजतर्रार अफसर हैं और 15 दिन में यहां के हालात बदल देंगे। पर 13 दिन के भीतर ही दुबे को वहां से हटा दिया गया। सात सितंबर को नगला मंदौड़ की महापंचायत के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा की आग में पूरा जिला जलने लगा और दंगे की आग गांवों तक पहुंच गयी। नौ सितंबर को दुबे की जगह प्रवीण कुमार को मुजफ्फरनगर का एसएसपी तैनात किया गया। दुबे के निलंबन के बाद शासन की भूमिका पर राजनीतिक दल सवाल उठाने लगे हैं।
दुबे के निलंबन को भाजपा बनायेगी मुद्दा : सोमवार को शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में भाजपा दुबे के निलंबन को मुद्दा बनायेगी। भाजपा प्रवक्ता डॉ. मनोज मिश्र का कहना है कि यह कार्रवाई एकतरफा है। बवाल के असली दोषियों को सरकार बचा रही है। शामली के निवर्तमान एसपी पर दंडात्मक कार्रवाई न करना सरकार की तुष्टीकरण नीति का सबसे बड़ा उदाहरण है।
दो माह में सात बार हुआ दुबे का तबादला : दो माह में दुबे का सात बार तबादला किया गया है। गोरखपुर, आगरा, इलाहाबाद, डीजीपी कार्यालय और मुजफ्फरनगर समेत सात बार तबादले किये गये। इलाहाबाद में उनकी तैनाती को लेकर शासन में मतभेद भी हुए और बिना कार्यभार संभाले, उन्हें वापस डीजीपी मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया।
एसोसिएशन चुप मगर आक्रोश : फिलहाल सुभाष चंद दुबे के निलंबन पर आइपीएस एसोसिएशन चुप्पी साधे है और अधिकृत तौर पर बोलने को कोई तैयार नहीं है, लेकिन अंदरखाने में आक्रोश है। खासतौर पर नये आइपीएस का तेवर तल्ख है और वह अपने एसोसिएशन को जल्द बैठक बुलाने पर जोर दे रहे हैं।
कायदे कानून का नहीं हुआ अमल : शासन की ओर से यह फरमान जारी किया गया कि जिन जिलों में दंगा फसाद होंगे, उसके लिए संबंधित जिलाधिकारी और एसएसपी जिम्मेदार होंगे। इस निर्देश के बावजूद सूबे के कई जिलों में सांप्रदायिक तनाव फैले और अधिकांश जगह कार्रवाई नहीं हुई। पिछले साल प्रतापगढ़ के आस्थान गांव में हुए सांप्रदायिक बवाल के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी वाइके बहल और एसपी ओपी सागर निलंबित किये गये थे। उसके पहले मथुरा के कोसीकलां में दंगा होने पर वहां के डीएम संजय कुमार और एसपी धर्मवीर का तबादला कर दिया गया। फैजाबाद के दंगे में एएसपी समेत कई छोटे अफसर निलंबित किये गये, जबकि अंबेडकरनगर में तनाव बढ़ने पर एसपी डीपी श्रीवास्तव को निलंबित किया गया। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद तत्कालीन डीआइजी सहारनपुर डीडी मिश्रा, एसएसपी सुभाष चंद दुबे और एसपी शामिल अब्दुल हामिद को हटा दिया गया। लेकिन बाकी जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई।
-------------------
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।