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    साक्षात्कार- भाजपा की स्वीकार्यता के आगे ढेर हुए अन्य दलः महेंद्र नाथ पांडेय

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Sun, 03 Sep 2017 08:02 AM (IST)

    ऐसे में निकाय चुनाव के ठीक पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल के अंग रहे डा. महेंद्रनाथ पांडेय को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सूबे का नेतृत्व करने का मौका दे दिया।

    साक्षात्कार- भाजपा की स्वीकार्यता के आगे ढेर हुए अन्य दलः महेंद्र नाथ पांडेय

    लखनऊ (जेएनएन)। सूबे में अपनी सरकार बनाने के बाद से ही भाजपा संगठन के नेतृत्व की तलाश में जुट गई थी। ऐसे में निकाय चुनाव के ठीक पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल के अंग रहे डा. महेंद्रनाथ पांडेय को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सूबे का नेतृत्व करने का मौका दे दिया। पूर्वांचल के दिग्गज नेताओं में शुमार डा. पांडेय को प्रदेश के पश्चिमी छोर के संगठन को भी साधना होगा। प्रस्तुत है डा. महेंद्रनाथ पांडेय की राकेश पांडेय से मोबाइल पर हुई बातचीत के प्रमुख अंश....।

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    -अपनी नई जिम्मेदारी पर क्या कहना चाहेंगे?
    -विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से जुड़ाव ने ऐसा संस्कार दिया कि जिम्मेदारियों का बेहतर निर्वाह मेरी प्राथमिकता रही है, आगे भी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राज्य सरकार के जो भी जनहित से जुड़े कार्यक्रम हैं उन्हें बेहतर समन्वय से जनता तक पहुंचवाने के टॉस्क में संगठन के सिपाहियों संग जिम्मा संभालूंगा। जनता की शिकायतों और जरूरतों को उचित फोरम तक पहुंचाते हुए निराकरण कराना भी हमारी जिम्मेदारी होगी।

    -यूपी के मौजूदा संगठन को लेकर क्या राय है?
    -यह एक मजबूत संगठन की ही देन थी कि सूबे में प्रचंड बहुमत से सरकार बनी। व्यवस्थित टीम के सदस्यों को गतिशील बनाए रखना है। हम सभी की कोशिश होगी कि मोदी की प्रेरणा व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कुशल नेतृत्व में पार्टी की जो मजबूत स्थिति वर्तमान में है, उसे और आगे ले जाया जाए।

    -सबसे पहली परीक्षा आपकी निकाय चुनाव को लेकर होगी, रणनीति क्या होगी?
    -हां, यह बिल्कुल सही बात है कि अब निकाय चुनाव ही प्राथमिकता हैं। जाहिर है कि पार्टी इकाइयों को आराम करने की गुंजाइश नहीं होगी। नगरीय क्षेत्र के संगठन की सक्रियता पर अत्यधिक जोर होगा। निकाय चुनाव में सौ फीसद सफलता का लक्ष्य हर हाल में हासिल करेंगे।

    -केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी अधिक थी या बतौर प्रदेश अध्यक्ष होगी?
    -दोनों जिम्मेदारियों का अपना अलग महत्व है, तुलना नहीं की जा सकती। एक तरह से देखा जाए तो संगठन को साथ लेकर चलना और उसे सशक्त बनाए रखना अधिक महत्वपूर्ण कार्य है।

    -प्रचंड बहुमत से विधानसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी की सूबे में आगामी लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को लेकर क्या सोच है?
    -बीते विस चुनाव में भाजपा ने इतनी बड़ी लकीर खींच दी है कि सूबे में अन्य दल हाशिए पर आ चुके हैं। ऐसे में पूरा ध्यान इस बात पर केंद्रित होगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन और परामर्श से सफलता की नई गाथा लिखी जाए। एक ऐसी जीत जिसमें पहले से ही नहीं के बराबर बचे विपक्षी दलों का अस्तित्व ही कहीं नहीं रहेगा।

    -बतौर केंद्रीय मंत्री आप अपने कार्यकाल को कैसा पाते हैं?
    -सर्वाधिक उल्लेखनीय होगा नई शिक्षा नीति से जुड़े कार्य का जिक्र करना। देश की शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार के लिए जरूरी इस कदम को लेकर पिछली सरकारों ने ध्यान ही नहीं दिया था। नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे प्राथमिकता में रखा और मंत्रालय के माध्यम से हम ठोस पहल करने में कामयाब रहे।
    -सपा, बसपा और कांग्रेस से सूबे में भाजपा को कितनी चुनौती मिलने की उम्मीद है?
    -प्रदेश ही नहीं देश से भी कांग्रेस गायब हो रही है। रही बात सपा और बसपा का तो भाजपा के करिश्माई नेतृत्व के आगे दोनों पार्टियों का वजूद खत्म हो रहा है।

    -आपके केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटने से क्या पूर्वांचल का पलड़ा कमजोर हुआ है?
    -पूर्वांचल का पलड़ा कहीं कमजोर नहीं पड़ा है। वैसे भी भाजपा के संगठन में क्षेत्र विशेष को फोकस करने या तरजीह देने की कोई कोशिश नहीं होती। हमें ऐसे विचारों से ओतप्रोत किया जाता है कि समूचे उत्तर प्रदेश को हम एक इकाई के रूप में देखते हैं और उसी अनुरूप उसे आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं। समग्र की चिंता करना और समग्र का विकास ही मूल मंत्र है।