Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रख्यात साहित्यकार परमानंद श्रीवास्तव पंचतत्व में विलीन

    लखनऊ। हिन्दी के शीर्ष आलोचकों में से एक प्रोफेसर परमानंद श्रीवास्तव का आज सुबह गोरखपुर में ि

    By Edited By: Updated: Wed, 06 Nov 2013 12:49 AM (IST)

    लखनऊ। ख्यातिलब्ध आलोचक एवं कवि प्रो. परमानंद श्रीवास्तव का मंगलवार को निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे तथा लंबे समय से बीमार चल रहे थे। गत दिनों ब्लड सुगर बढ़ने से उनकी स्थिति गंभीर हो गई, जिसके बाद उन्हें यहां के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। मंगलवार को सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। बड़ी संख्या में साहित्यकारों, शिक्षकों एवं मित्रों की उपस्थिति में राप्ती के राजघाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अपने पीछे वह पत्‍‌नी तथा तीन बेटियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उनके निधन से हिन्दी साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    10 फरवरी 1935 को गोरखपुर जिले के बांसगांव में पैदा हुए प्रो.परमानंद श्रीवास्तव की प्रारंभिक शिक्षा बांसगांव में ही हुई। इसके बाद उन्होंने सेंट एण्ड्रयूज कालेज गोरखपुर से स्नातक व परास्नातक किया। इसके बाद उन्होंने इसी कालेज में अध्यापन कार्य शुरू किया। गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद वह वहां चले गए और हिन्दी विभाग में शिक्षण कार्य शुरू किया। यहीं से वह सेवानिवृत्त भी हुए। उनके कार्यकाल में ही गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रेमचंद पीठ की स्थापना हुई।

    प्रो. श्रीवास्तव ने डा. नामवर सिंह के साथ लंबे समय तक स्वतंत्र रूप से साहित्यिक पत्रिका 'आलोचना' का संपादन किया। उनकी गणना हिंदी के शीर्ष आलोचकों में होती है। आलोचक डा. नामवर सिंह कहते हैं कि मैने ही उन्हें आलोचना का संपादक बनाया। वर्षो तक उन्होंने मेरे साथ का काम किया। वह शरीर से लघु मानव थे लेकिन मन और विचार से बड़े थे। कवि डा. केदारनाथ सिंह ने कहा कि एक आलोचक के रूप में उन्होंने नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने में जो योगदान दिया ऐसा योगदान देने वाला कोई दूसरा आलोचक शायद ही मिले। पूर्वाचल के पिछड़े क्षेत्र से उठकर उन्होंने देश स्तर पर हिंदी साहित्य का सम्मान बढ़ाया।

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर