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    डॉ.लोहिया अस्पताल लखनऊ में बदइंतजामी, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को नहीं मिला इलाज

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Sun, 08 Oct 2017 03:40 PM (IST)

    डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल विभूति खंड गोमतीनगर में कल रात में भयंकर बुखार की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी शनीष मणि मिश्रा को लेकर मित्र तथा ...और पढ़ें

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    डॉ.लोहिया अस्पताल लखनऊ में बदइंतजामी, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को नहीं मिला इलाज

    लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में चिकित्सा विभाग सरकार के नियंत्रण से बाहर है। गोरखपुर तथा फर्रुखाबाद में बच्चों की मौत के मामले में भले ही जांच चल रही है, लेकिन राजधानी के डॉ. राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में तो मरीजों को देखने डॉक्टर ही नहीं पहुंच रहे हैं। 

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    डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल विभूति खंड गोमतीनगर में कल रात में भयंकर बुखार की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी शनीष मणि मिश्रा को लेकर मित्र तथा परिवार के लोग पहुंचे। आकस्मिक चिकित्सा विभाग में उनको देखने के बाद वार्ड में भेज दिया गया। इसके बाद रात से अभी तक कोई भी डॉक्टर उनका हाल लेने नहीं आया। बुखार में बुरी तरह से तप रहे स्नीष मणि मिश्रा को उनके मित्र तथा परिवार के लोग तौलिया पानी में भिगोकर बुखार कम करने का प्रयास करने में लगे रहे। इसके बाद भी डॉक्टर ने उनको नहीं देखा। आज दिन में 12 बजे तक कोई भी डॉक्टर उनके पास नहीं आया जबकि वह इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हैं। 

    लोहिया अस्पताल की बदइंतजामी का खामियाजा कल प्रदेश के श्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में 29 अगस्त को लक्ष्मण पुरस्कार से सम्मानित शनीष मणि मिश्रा को भुगतना पड़ा। देर शाम को उनको भर्ती कराया गया लेकिन रात भर कोई भी डॉक्टर उनका हाल जानने नहीं पहुंचा। बुखार व दर्द से बेहाल खिलाड़ी ने डॉक्टर व नर्स को बुलाया लेकिन सबने उनकी बात अनसुनी कर दी। 

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    गोमतीनगर निवासी टेनिस खिलाड़ी शनीष मणि मिश्र बुखार की चपेट में हैं। उनके शरीर में भीषण दर्द भी हो रहा है। इलाज के बावजूद जब तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो कल लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे। आरोप हैं कि इमरजेंसी में डॉक्टरों ने बिना देखे उन्हें ओपीडी में जाने की सलाह दी।

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    दर्द से कराहते शनीषमणि ओपीडी पहुंचे। यहां एक घंटे की जद्दोजहद के बाद इलाज मिला। डॉक्टर ने उन्हें खून की जांच कराने की सलाह दी। खून का नमूना देने के वक्त चक्कर आ गया।

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    टेक्नीशियन ने मरीज को इमरजेंसी में भर्ती होने की सलाह दी। इमरजेंसी में पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें सिर्फ भर्ती कर लिया। इसके बाद वहां पर झांकने तक नहीं आए।