संगठन चुनाव को अंतिम रूप देने में जुटी समाजवादी पार्टी, बैठक आज
अखिलेश यादव की अध्यक्षता में प्रस्तावित बैठक में सदस्यता अभियान, बूथ, तहसील, जिला इकाई के चुनाव पर मंथन होने की उम्मीद है। सदस्यता अभियान में बड़ी संख्या में युवा जुड़े हैं।
लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश में पांच वर्ष राज करने के बाद भी विधानसभा चुनाव में बड़ी पराजय झेलने के बाद समाजवादी पार्टी संगठन को फिर से मजबूत करने की जुगत में है। आज पार्टी कार्यालय पर अहम बैठक में अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर संगठन चुनाव को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके साथ ही कुछ अहम फैसलों पर चर्चा होगी।
विधानसभा चुनाव के फौरन बाद सदस्यता अभियान शुरू करने वाली सपा नगरीय निकाय चुनाव से पहले ही संगठन का कील-कांटा दुरुस्त करने में जुटी है। आज अखिलेश यादव की अध्यक्षता में प्रस्तावित बैठक में सदस्यता अभियान, बूथ, तहसील, जिला इकाई के चुनाव पर मंथन होने की उम्मीद है। एक जनवरी, 2017 को विशेष अधिवेशन में अखिलेश यादव को अध्यक्ष चुना गया था जिसके बाद विधानसभा चुनाव में सपा अपने न्यूनतम स्कोर पर सिमट गई थी।
पार्टी कार्यकर्ताओं में नए सिरे से जोश भरने व संघर्ष के लिए उन्हें तैयार करने की चाहत में सदस्यता अभियान शुरू किया। मिस्ड काल के जरिये सदस्य बनने की सुविधा प्रदान की गई। दावा किया गया कि दो करोड़ से अधिक लोगों ने सदस्यता ग्रहण की है। यह संख्या विधानसभा चुनाव में सपा मिले वोटों से अधिक है।
पार्टी के रणनीतिकार नगरीय निकाय चुनाव से पहले ही संगठनात्मक चुनाव करा लेना चाहते हैं क्योंकि सपा अध्यक्ष ने पहले ही नगरीय निकाय चुनाव दलीय आधार पर लडऩे का एलान कर रखा है।
अखिलेश यादव की अध्यक्षता विक्रमादित्य मार्ग स्थित सपा कार्यालय में आज होने वाली बैठक में सदस्यता अभियान पूरी करने व सदस्यता शुल्क जमा कराने के साथ बूथ से लेकर जिला इकाई तक के चुनाव कराने पर मंथन किया जाएगा। दरअसल, इस बार समाजवादी पार्टी के संगठनात्मक चुनाव में संस्थापक मुलायम सिंह यादव की जाहिरा भूमिका नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव में शिवपाल यादव पार्टी लाइन से हटकर मतदान कर चुके हैं। सपा के ही कुछ और सदस्यों के 'क्रास वोटिंग' किये जाने का संदेह है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि सपा के जिन विधायकों ने क्रास वोटिंग की है, उनमें में से दो पार्टी के मौजूदा रणनीतिकारों के बेहद करीबी हैं। ऐसे में पार्टी के दो संस्थापक सदस्यों की सक्रिय भागीदारी के बगैर होने वाले संगठनात्मक चुनाव पर विपक्षी दलों की निगाहें भी लगी हैैं।
पूर्व प्रदेश सचिव राजेश दीक्षित का कहना है कि पार्टी एकजुट है। जनता चार माह में ही भाजपा सरकार के कारनामों से परेशान हो उठी है, उसे अखिलेश यादव सरकार के विकास कार्य याद आने लगे हैं। सदस्यता अभियान में बड़ी संख्या में युवा पार्टी से जुड़े हैं।
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