पत्रकार पर हमला करने वाले मुख्तार अंसारी के गुर्गे भेजे गए जेल
उत्तर प्रदेश की राजधानी स्थित हजरतगंज चौराहे पर गल दिवस दैनिक जागरण पत्रकार पर हमला करने वाले विधायक मुख्तार अंसारी के गुर्गों मेंतीन आरोपियों को आज जेल भेज दिया गया।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी स्थित हजरतगंज चौराहे पर गल दिवस दैनिक जागरण पत्रकार पर हमला करने वाले विधायक मुख्तार अंसारी के गुर्गों मेंतीन आरोपियों को आज जेल भेज दिया गया। एसएसपी राजेश कुमार पांडेय के मुताबिक अन्य आरोपियों को चिन्हित किया जा रहा है। पुलिस जिला कारागार जाकर मुख्तार अंसारी से पूछताछ करने की भी तैयारी कर रही है। पुलिस अब तक हमलावरों की इनोवा व स्कार्पियो को बरामद नहीं कर सकी है। हजरतगंज चौराहे पर सोमवार सुबह मुख्तार अंसारी को ले जा रही एंबुलेंस जाम में फंस गई थी। काफिले में पुलिस के वाहनों के साथ इनोवा व स्कार्पियो में सवार विधायक के गुर्गे भी शामिल थे। एंबुलेंस की मोबाइल फोन से फोटो खींचने पर विधायक के गुर्गों ने पत्रकार सौरभ शुक्ला पर हमला बोल दिया था। हजरतगंज पुलिस ने जानलेवा हमला, अपहरण का प्रयास सहित अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर मूलरूप से गाजीपुर जिले के निवासी रवि गुप्ता, कलीम खां व धूपनारायन राय को गिरफ्तार किया था। मंगलवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीतीश कुमार राय की अदालत में पेशी के बाद तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर 12 अप्रैल तक के लिए जेल भेज दिया गया। अदालत ने अभियुक्तों की उस अर्जी को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि तीनों आरोपी निर्दोष हैं, उन्हें झूठा फंसाया गया है। एसएसपी का कहना है कि विधायक के काफिले में दो एंबुलेंस कहां से आईं, आगरा पुलिस ने किन-किन स्तर पर चूक की, काफिले में निजी वाहन कहां से आए और किनके थे, इसकी पड़ताल कराई जा रही है। पत्रकार पर हमले की सूचना के बाद भी त्वरित कार्रवाई न करने के मामले में इंस्पेक्टर हजरतगंज विजयमल यादव व चौराहे पर मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच कराई जा रही है।
जेल की आरामगाह में मुख्तार को कौन लाया
बीमारी की आड़ में बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी ने फिलहाल लखनऊ जिला कारागार को अपना मुफीद ठिकाना बना रखा है। मुख्तार को 14 दिसंबर 2015 को आगरा पुलिस एक मामले में पेशी पर लखनऊ लाई थी। इसके बाद से वह लखनऊ जेल में ही बंद है। सवाल उठता है कि आखिर मुख्तार को क्या गंभीर बीमारी और वह किसके आदेश पर आगरा के बजाय लगातार लखनऊ जिला कारागार में है। सवाल यह भी है कि विधायक के जेल से बाहर निकलने पर उनके मूवमेंट की सूचना स्थानीय पुलिस प्रशासन को क्यों नहीं दी जाती है। कोई यह भी बताने वाला नहीं कि आखिर विधायक के काफिले में दो एम्बुलेंस कहां से आईं, जबकि आगरा पुलिस का कहना है कि विधायक को लखनऊ ले जाए जाने के लिए सेंट्रल जेल से एक एम्बुलेंस ही मुहैया कराई गई थी। सच तो यह है कि अपने राजनीतिक रसूख के बलबूते पर विधायक राजधानी में रहकर अपना नेटवर्क संचालित कर रहा है।
उपचार चलने तक लखनऊ कारागार में रहेंगे मुख्तार
लखनऊ जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा का कहना है कि एडीजे का आदेश है कि जब तक विधानसभा सत्र चलेगा तथा विधायक का इलाज चलेगा तब तक उन्हें लखनऊ जिला कारागार में बंद रखा जाए। इस सिलसिले में जब कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया से सवाल किया गया तो उनका कहना था कि हमारा कोई दखल नहीं। या तो अदालत से या फिर किस वजह से विधायक लखनऊ जेल में है, वह इसका पता लगाएंगे। दूसरी ओर सीएमओ डॉ.एसएनएस यादव का कहना है कि उनके स्तर से विधायक को कोई भी मेडिकल संबंधी सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। न ही उनके स्तर से विधायक को लखनऊ जेल में रखने के संबंध में कोई मेडिकल रिपोर्ट दी गई है। बताया गया कि गत 15 मार्च को विधायक को एक पेशी पर दिल्ली ले जाया जाना था, लेकिन मेडिकल ग्राउंड पर वह पेशी पर नहीं गए। जेल अधिकारियों के मुताबिक मंगलवार को भी विधायक को एक पेशी पर जाना था, लेकिन स्वास्थ्य ठीक न होने को ही आधार पर बनाकर वह पेशी पर नहीं गए। दूसरी ओर सोमवार को विधायक को जेल से केजीएमयू ले जाए जाने तथा उनके काफिले में निजी वाहनों के शामिल होने की सूचना स्थानीय पुलिस प्रशासन को नहीं दी गई, जबकि विधायक की सुरक्षा को इस कदर खतरा है कि उनके गुर्गे एक पत्रकार द्वारा एम्बुलेंस की फोटो खींचने पर न सिर्फ भड़क जाते हैं, बल्कि उस पर हमला कर मोबाइल फोन तक छीन लेते हैं।
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