Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुमनामी बाबा के बक्से में मिले नेता जी के फैमिली फोटो

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Wed, 16 Mar 2016 03:33 PM (IST)

    फैजाबाद में गुमनामी बाबा प्रकरण में मुखर्जी आयोग के पास कोलकाता भेजे गए सुबूतों का एक और बंडल मंगलवार को खोला गया। इनमें निकल रहे सुबूत रहस्य व कौतूहल भरे हैं। नेताजी सुभाषचंद्र बोस, उनके परिवार व करीबी लोगों के फोटोग्राफ बहुत कुछ कहते हैं। कुछ ऐसे नाम भी आए

    लखनऊ। फैजाबाद में गुमनामी बाबा प्रकरण में मुखर्जी आयोग के पास कोलकाता भेजे गए सुबूतों का एक और बंडल मंगलवार को खोला गया। इनमें निकल रहे सुबूत रहस्य व कौतूहल भरे हैं। नेताजी सुभाषचंद्र बोस, उनके परिवार व करीबी लोगों के फोटोग्राफ बहुत कुछ कहते हैं। कुछ ऐसे नाम भी आए हैं, जिनके बारे में अनुमान लगाया जा सकता है कि वे गोपनीय तरीके से गुमनामी बाबा से जुड़े थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोषागार के डबल लॉक से निकाले गए सुबूतों में कई फोटोग्राफ हैं, लेकिन अधिकांश पत्र ही हैं। फोटोग्रॉफ में एक चित्र नेताजी की किशोरावस्था का है, जिसमें वह सिर मुड़ाए हैं। बगल में पिता जानकीनाथ बोस की भी फोटो है। एक फ्रेम में नेताजी के पिता व माता की फोटो है। अन्य फोटो पूरे परिवार की है। इसमें एकदम दायीं तरफ सुभाषचंद्र बोस, प्रथम पंक्ति में उनके भाई सुधीरचंद्र बोस, सतीशचंद्र बोस, शरतचंद बोस व सुरेशचंद्र बोस हैं, पिता जानकीनाथ व माता प्रभावती, उनकी तीन पुत्रियां व नाती-नातिन समेत परिवार करीब 22 सदस्य इस फोटोग्राफ में हैं। अन्य फोटो किसी कार्यक्रम की है, जिसमें पांच लोग माइक लगाकर कोई कार्यक्रम कर रहे हैं। अन्य फोटो में नेताजी के करीबी व फारवर्ड ब्लॉक के सांसद रहे समरगुहा श्रद्धांजलि अर्पित करने की मुद्रा में दिखायी पड़ रहे हैं। अनुमान है कि वह अपने माता-पिता को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। अनाम वृद्ध महिला, युवती व व्यक्ति की अलग-अलग फोटो हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि सभी फोटो कोलकाता के एक स्थान व भवन की हैं।

    पत्रों की लंबी फेहरिस्त है। किसी तृप्ति की ओर से भेजा गया बांग्ला भाषा का पत्र है। इसमें विजय पल्टन व बृजनंदन का जिक्र है। दोनों से संपर्क करने के प्रयास के बारे में लिखा गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि दोनों गुमनामी बाबा से गोपनीय तरीके से जुड़े थे। पल्टन ने 27 जनवरी 1984 को पत्र भेजा था। बृजनंदन को कोलकाता का माना जाता है। 15 अप्रैल 1983 का तरुण मुखर्जी व कौशल किशोर का पत्र है, जो जगजीत दास गुप्ता को भेजा था। इसमें लिखा है कि अभीष्ट अभी पूर्ण नहीं हुआ है, हम व देशवासी आपको धन्य बनाने का गौरव प्राप्त करें। आइएनए के प्रमुख पवित्र मोहन राय के कई पत्र मिले हैं।

    कोलकाता के चंडीघोष रोड से नौ मई 1963 को आशुतोष काली का पत्र कौतूहल पैदा करता है। इसमें लिखा है कि आप वर्तमान में जिस अशांतपूर्ण और बेचैन अवस्था में हैं, ऐसे समय में हमारी तरह के पुराने युग के विप्लव आपके साथ संपर्क रखना चाहते हैं।

    711 सुबूतों की हुई गिनती

    गुमनामी से जुड़े सुबूतों में मुखर्जी आयोग का बक्सा वही है जिसे आयोग ने फैजाबाद आकर कोषागार से सुबूतों से छांटा था। ये सुबूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े हैं। इस बक्से के 711 सुबूतों की गिनती अभी तक की जा चुकी है। मंगलवार को 158 सुबूतों की गणना की गई।