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    दोहरी नीति: धर्मांतरण पर शिथिलता और घर वापसी पर सख्ती

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Mon, 22 Dec 2014 04:38 PM (IST)

    धर्मांतरण और घर वापसी मुद्दे ने पूरे देश में खलबली मचा रखी है। बड़े पैमाने पर ईसाई मिशनरी और अन्य लोग गांव-गांव लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने में लगे है। मिशनरी टीम बनाकर ग्रामीणों को नौकरी, पैसे और शादी का लालच देते हैं। आगरा के एत्मादपुर में

    लखनऊ। धर्मांतरण और घर वापसी मुद्दे ने पूरे देश में खलबली मचा रखी है। बड़े पैमाने पर ईसाई मिशनरी और अन्य लोग गांव-गांव लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने में लगे है। मिशनरी टीम बनाकर ग्रामीणों को नौकरी, पैसे और शादी का लालच देते हैं। आगरा के एत्मादपुर में हिंदू परिवारों को ईसाई बनाने पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तेवर तीखे हो गए हैं। संघ मामले में प्रदेश सरकार पर भी सवाल खड़े कर रहा है और धर्म परिवर्तन संबंधी मामलों में दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा रहा है।

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    आज आगरा में संघ की ओर से कहा गया कि यह विशुद्ध तौर पर धर्मांतरण की घटना हैं, इसमें खुद पीडि़त महिला ने प्रलोभन और धमकी देकर धर्म परिवर्तन करने की बात कही है। फिर भी पुलिस कार्रवाई करने के बजाय पीडि़तों को धमका रही है। जबकि आगरा के वेद नगर प्रकरण में घर वापसी हुई थी और उसमें नंद किशोर वाल्मीकि पर किसी अपराधी की तरह इनाम घोषित कर दिया गया था। अब मामले को केंद्र सरकार से लेकर संसद तक में उठाया जाएगा। वहीं विश्व हिंदु परिषद ने भी मामले में विरोध की घोषणा की है।

    एत्मादपुर तहसील के गांव गढ़ी संपत की 20 महिलाओं को प्रलोभन देकर ईसाई बनाने का मामला रविवार को उजागर हुआ है। जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित गढ़ी संपत गांव में करीब 1800 की आबादी है। बीते करीब एक साल ये यहां ईसाई मिशनरी सक्रिय हैं। इसी दौरान गांव की 20 महिलाओं को नजदीकी फीरोजाबाद जिले के टूंडला के गांव नगला तुलसी जाने के लिए प्रेरित किया गया, वहां हर सप्ताह धर्म सभा का आयोजन होता है। महिलाओं के मुताबिक वहां प्रार्थना में शामिल होने से उन्हें बीमारी आदि दूर होने की बात कही गई। इसे बाद धर्म परिवर्तन करने के लिए एक लाख रुपये, बच्चों को शिक्षा व नौकरी और पति के नाम जमीन का पट्टा कराने का प्रलोभन दिया गया। मामले में एक पीडित महिला रामवती ने धर्म परिवर्तन कराने के आरोपी हरीशंकर व अन्य के खिलाफ थाना एत्मादपुर में तहरीर भी थी, लेकिन पुलिस ने अब तक मामला दर्ज नहीं किया है। इसकी जानकारी मिलने के बाद हिंदुवादी संगठनों में आक्रोश फैला हुआ है। आरएसएस के प्रांत प्रचारक दिनेश जी ने कहा कि कुछ लोग धर्म परिवर्तन के जरिए राष्ट्र के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। महिलाओं को निशाना इसलिए बनाया जा रहा है, क्योंकि महिला की सोच बदलने पर पूरी पीढ़ी की सोच बदलती है। धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनना चाहिए, लेकिन तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले राजनीतिक दल इसके लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।

    दिनेश जी ने एत्मादपुर मामले में सीधे तौर पर प्रदेश सरकार द्वारा पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप जडा। उनका कहना है कि यहां एक साल से ईसाई मिशनरी सक्रिय थे। उनको किताबें बांटी गईं। महिलाओं को बाकायदा प्रलोभन और धमकी दी गई, इसकी शिकायत भी हुई। इसके बाद भी आरोपी हरीशंकर को एत्मादपुर थाना पुलिस संरक्षण दे रही है, इसमें सरकार की भी पूरी भूमिका है। जबिक यह सीधे तौर पर धर्मांतरण का मामला है। वहीं दूसरी तरफ वेदनगर मामले में तो नंद किशोर वाल्मीकि केवल हवन में शामिल हुए थे और वहां परिवारों को दूसरे दिन मीडिया में मामला उछलने के बाद धर्म बदलने का मामला पता लगा, लेकिन उस मामले में तत्काल बिना किसी जांच के मुकदमा दर्ज किया गया। नंद किशोर वाल्मीकि पर किसी अपराधी की तरह आनन-फानन में इनाम भी घोषित कर दिया गया। जिले में बडे पैमाने पर अन्य जगह भी इसी तरह धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है लेकिन सरकारी सरंक्षण के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

    साजिश बर्दाश्त नहीं

    आगरा के एत्मादपुर मामले पर विश्व हिंदू परिषद भी आंदोलन की तैयारी में जुट गई है। विहिप के ब्रज प्रांत संगठन मंत्री राघवेंद्र जी ने कहा कि धर्मांतरण के जरिए प्रदेश सरकार वोटों की राजनीति कर रही है। पुलिस उसके दवाब में है। जब हिंदु संगठन सहमति से घर वापसी कराते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है और जब हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है तो पुलिस निष्क्रियता बरत रही है। अब यह बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

    मिशनरी ग्रामीणों को करते प्रेरित

    मैनपुरी जिले में ईसाई मिशनरियों का एक दल हिंदुओं को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करता है। पहले गांव में एक -दो लोगों को इसके लिए प्रेरित किया जाता है। फिर ये लोग एक साथ मिलकर समाज के निचले तबके के लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए लालच देते हैैं। किसी न किसी बहाने से उन्हें समझाया जाता है कि निचले तबके के होने के कारण वह न तो हिंदू रह गए और न ही मुसलमान। ऐसे में वह ईसाई धर्म अपना लें। नौकरी का प्रलोभन देने पर बेरोजगार तुरंत ही धर्म परिवर्तन के लिए तैयार हो जाते हैैं। यही कारण रहा कि जिले के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर हिंदुओं ने ईसाई धर्म कुबूल लिया। तब धर्म परिवर्तन कराने वालों के खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई तक नहीं की गई। औंछा, ईसई, अचलपुर, कुरावली, सिमरई, गुलालपुर, रीछपुरा, करौली, जसराऊ, दौलीखिरिया समेत कई गांवों में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया। हालांकि इसकी जानकारी होने पर बीते वर्ष जिले के हिंदू संगठन सक्रिय हुए। 25 दिसबंर को हिंदू से ईसाई धर्म अपनाने वाले 18 गांवों के 206 लोगों की एक कार्यक्रम आयोजित कर घर वापसी कराई गई। तब गुलाबपुर निवासी राजबहादुर ने बताया था कि उनके घर ईसाई मिशनरी के लोग आते थे। वह मंदिर में पूजा करने से रोकते थे। ईसाई धर्म अपनाने पर परिवार के लोगों को नौकरी दिलाने का लालच दिया था। इसी लालच में फंसकर हमने ईसाई धर्म अपना लिया।

    औंछा गांव निवासी श्रीचंद्र बताते हैैं कि हमारे गांव में भी करीब दो साल पहले मिशनरी से जुड़े लोग आए थे। उन लोगों ने तमाम तरह के लालच दिए थे। कुछ ग्रामीणों को बरगलाने की कोशिश की थी। लेकिन ग्रामीण उनके झांसे में नहीं आए। बल्लमपुर निवासी नेत्रपाल, चोब सिंह, नेकराम का कहना है कि हमारे गांव में पूर्व मेंं ईसाई मिशनरी से जुड़े लोगों ने कई परिवारों का धर्म परिवर्तन कराया था। नेत्रपाल, चोब सिंह व नेकराम भी उसमें शामिल थे। बाद में हिंदू संगठनों की पहल पर इन लोगों ने बीते वर्ष 25 दिसंबर को घर वापसी कर ली।

    पुलिस और खुफिया सक्रिय

    ईसाई मिशनरी धीरे-धीरे कई गांवों में धर्म परिवर्तन कराते रहे। इधर, हिंदू संगठनों धर्म परिवर्तन करने वालों की घर वापसी कराने की पहल की तो पुलिस बल सक्रिय हो गया। गांव -गांव लोगों पर नजर रखी जा रही है। इसे लेकर हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों में नाराजगी है। उनका कहना है कि जब ईसाई मिशनरी से जुड़े लोग हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराते हैैं तो सरकारें चुप रहती हैैं। पुलिस प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं करता। लेकिन जब उन लोगों के घर वापसी की बात आती है तो सख्ती शुरू कर दी जाती है। ये दोहरी नीति है।

    गुपचुप गांवों में प्रार्थना सभा

    फीरोजाबाद जिले में धर्मांतरण का खेल अरसे से चल रहा है। एक तरफ ईसाई धर्म के प्रवर्तक गुपचुप ढंग से गांवों में प्रार्थना सभा करा कर लोगों को बाइबिल थमा रहे हैैं तो हर वर्ष ऐसे लोगों को ढूंढ़-ढूंढ़ कर इनकी घर वापसी हिंदूवादी संगठन समारोह के साथ में करते रहे है। फीरोजाबाद में सन 2013 में एसआरके महाविद्यालय में संपन्न कार्यक्रम में जनपद के कई गांवों के ऐसे ही 27 परिवारों की हिंदू धर्म में वापसी कराई गई थी। इससे पहले शिकोहाबाद, टूंडला के इमलिया, खैरगढ़ के एसजीएम इंटर कॉलेज में भी इस तरह के कार्यक्रम हो चुके है, जहां पर लोभ एवं बातों में फंसकर ईसाई धर्म को अपनाने वालों ने वैदिक रीति-रिवाज के साथ में हिंदू धर्म में वापसी की। कई वर्ष पूर्व पाढ़म में भी ऐसे ही कार्यक्रम हुए थे। इसके बाद भी गांवों में दलित बहुल क्षेत्र में ईसाई धर्म के प्रवर्तकों द्वारा गुप-चुप ढंग से हिंदुओं को ईसाई बनाने का खेल जारी है। इसका ताजा उदाहरण टूंडला के गांव नगला तुलसी में सामने आया है।