डीपी यादव के गाजीपुर से चुनाव लड़ने पर संशय
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। चुनावी दौर में उत्तर प्रदेश के छोटे दल जितनी तेजी के साथ गठबंधन करते ह
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। चुनावी दौर में उत्तर प्रदेश के छोटे दल जितनी तेजी के साथ गठबंधन करते हैं, उतनी ही तेजी से उनका अलगाव भी होता है। विधानसभा चुनाव के दौरान तो कई छोटे दलों के रिश्ते बने-बिगड़े। अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे छोटे दलों की एकता को लेकर नये-नये प्रयोग हो रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के पहले चौधरी अजित सिंह ने पीस पार्टी और अपना दल के साथ गठबंधन किया था, लेकिन यह नहीं चला। फिर बुंदेलखंड से लेकर पूरब और पश्चिम के दलों ने गठबंधन किया, लेकिन वह टूट गया। सभी अलग-अगल धड़ों में चुनाव मैदान में उतरे। लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए जब एकता मंच का गठन हुआ तो सबसे पहले पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा साझीदार हुए। मंच में शामिल कौमी एकता दल व भासपा समेत कई दलों के साथ कुशवाहा का जनाधिकार मंच भी एक धड़ा था। शुरू में घोषित किये गये 16 उम्मीदवारों की सूची में बाबू सिंह कुशवाहा का भी गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से नाम घोषित था। एक दिन कुशवाहा के सपा के करीब होने की खबर आई और वह यहां ेसे खिसक लिए। फिर एकता मंच के संयोजक पूर्व सांसद अफजाल अंसारी व ओमप्रकाश राजभर ने नई पहल की।
सात जनवरी को राजधानी में कौमी एकता दल, भारतीय समाज पार्टी, महान दल, फूलन सेना, राष्ट्रीय परिवर्तन दल समेत आठ दलों का गठबंधन हुआ और 36 उम्मीदवार घोषित किये गये। पूर्व सांसद और राष्ट्रीय परिवर्तन दल के अध्यक्ष डीपी यादव को गाजीपुर से एकता मंच ने उम्मीदवार घोषित किया। ओमप्रकाश राजभर का कहना है कि दो फरवरी को गाजीपुर में हम एक रैली कर रहे हैं और डीपी यादव के कार्यकर्ता जी-जान से लगे हैं। लेकिन सूत्रों से छनकर यह खबर आ रही है कि डीपी यादव अभी पूरी तरह गाजीपुर से चुनाव लड़ने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। उनको लेकर संशय बना हुआ है।
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