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    ऐसे तो उद्योगों से महंगी हो जाएगी घरों की बिजली

    By Edited By:
    Updated: Sun, 19 Jan 2014 11:27 AM (IST)

    लखनऊ। बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए बने वित्तीय पुनर्गठन योजना (एफआरपी) के तहत छह स

    लखनऊ। बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए बने वित्तीय पुनर्गठन योजना (एफआरपी) के तहत छह साल बाद सूबे में शहरी घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली सर्वाधिक महंगी हो जाएगी।

    केंद्र सरकार द्वारा मंजूर एफआरपी के तहत पावर कार्पोरेशन प्रबंधन बिजली की दरों में बढ़ोतरी प्रस्तावित करने के साथ ही निजीकरण व फ्रेंचाइजीकरण की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ा रहा है। गौर करने की बात है कि एफआरपी प्लान के तहत श्रेणीवार उपभोक्ताओं की प्रति यूनिट बिजली दरें इस तरह से प्रस्तावित हैं कि वर्ष 2020 में घरेलू उपभोक्ताओं की दरें 9.68 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी। जबकि भारी उद्योगों की दरें 9.35 रुपये प्रति यूनिट व शहरी वाणिज्यिक उपभोक्ताओं की दरें 9.49 रुपये प्रति यूनिट होगी। यही दरें एफआरपी की समाप्ति अर्थात वर्ष 2024 में जहां घरेलू शहरी उपभोक्ताओं की दरें 12.67 रुपये प्रति यूनिट वहीं भारी उद्योगों की 12.40 रुपये प्रति यूनिट व शहरी वाणिज्यिक उपभोक्ताओं की दरें 12.41 रुपये प्रति यूनिट आकी गई हैं।

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    उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि जिस तरह प्रदेश की सभी बिजली कंपनियां एफआरपी के तहत अपनी नीति को आगे बढ़ाने में जुटी हैं उससे सिर्फ निजी उद्योग घरानों का ही लाभ होने वाला है। वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद सरकार की हर उपभोक्ता विरोधी नीति पर नजर बनाए हुए है और उसके लिए चाहे जो विधिक लड़ाई लड़ना पड़े, वह लड़ी जाएगी।

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