बिगड़ी व्यवस्था से नाराज मुख्यमंत्री अब बख्शने के मूड में नहीं
योगी ने कहा है कि 'कुछ ऐसे अफसर हैं जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। अब चेतावनी देने का वक्त खत्म हो चुका है, अब कार्रवाई होगी।
लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिला स्तरीय अपने पहले दौरे में 18 अफसरों पर कार्रवाई की तो नौकरशाही में यह साफ संदेश गया कि अब वह बख्शने के मूड में नहीं हैं। योगी ने कहा भी 'कुछ ऐसे अफसर हैं जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। अब चेतावनी देने का वक्त खत्म हो चुका है, अब कार्रवाई होगी।
महराजगंज में विकास कार्यों और कानून-व्यवस्था की समीक्षा के बाद उन्होंने 11 छोटे-बड़े अधिकारियों के निलंबन और आठ के तबादले का फरमान सुनाया।
इस कार्रवाई में छह थानेदार भी नपे। 19 मार्च को सरकार संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने नौकरशाही को काम करने की छूट दी और अपने लोगों को अफसरों से समन्वय बनाने के साथ ही अनुशासित रहने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री की मंशा यह थी कि पिछली सरकारों की तरह अफसरों पर दबाव न रहे। कुछ अफसरों ने इसका सकारात्मक संदेश लिया लेकिन, बहुतों ने जनप्रतिनिधियों तक को ठेंगे पर रखा। मनमानी की शिकायतों ने मुख्यमंत्री की नाराजगी बढ़ाई।
मुख्यमंत्री ने जून में ही कहा था कि अगस्त में जिलों का दौरा करेंगे और तब सरकार की अपेक्षा पर खरा न उतरने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे। योगी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि शासन स्तर पर आने वाली समस्याओं में से 80 फीसद से अधिक थाना, ब्लाक और तहसील स्तर की होती हैं। अगर लोगों को यहां इंसाफ मिल जाए तो शासन स्तर पर समस्याओं का आना बहुत हद तक कम हो जाए।
इन अधिकारियों को सुधरने के लिए चार माह का समय दिया जा चुका है। सरकार अब इससे अधिक मौका देने से रही। महराजगंज दौरे में कार्रवाई की जद में आए अधिकांश अधिकारी तहसील, थाने और ब्लाक स्तर के ही हैं। बारी-बारी मुख्यमंत्री का यह दौरा हर जिले में होना है। पहले ही दौरे में ही उनके द्वारा की गई ताबड़तोड़ कार्रवाई बाकी जिलों के अधिकारियों के लिए चेतावनी है।
पहले ही दे दिए थे योगी ने संकेत
मुख्यमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के जाने के बाद मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक के दिन चंदौली के सीडीओ को निलंबित करने का निर्देश देकर संकेत दे दिया था। उसके बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी भदोही के पूर्व सीडीओ समेत कई अफसरों पर वह नाराज हुए। बावजूद इसके उनके दौरे को अफसरों ने हल्के से लिया और महराजगंज के नतीजे ने साफ कर दिया कि अब पहले जैसी सहूलियत नहीं रहेगी।
थाने से लेकर जिले तक असंतोष
अफसरों की कार्यशैली से थाने से लेकर जिलों तक असंतोष बना है। विपक्ष की बात छोड़ दें, सत्तापक्ष के लोगों ने भी समय-समय पर प्रतिरोध का स्वर मुखर किया है। अवैध खनन के खिलाफ बांदा के नरैनी विधायक राजकरन कबीर जिला प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठे तो इलाहाबाद में नीलम करवरिया ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए शुद्धि-बुद्धि यज्ञ करा दिया। बलरामपुर में भाजपा विधायक पल्टू राम हों रामपुर में राजबाला, सभी का गुस्सा किसी न किसी समय फूटा है। बलिया में भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने भी प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
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